देहरादून: पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. सभा राजनीतिक वोटों की जुगत में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. ऐसे में इटीवी भारत अपने पाठकों को उत्तराखंड की लोकसभी सीटों के इतिहास से लेकर सियासी समीकरणों के बारे में बता रहै है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट की.
टिहरी गढ़वाल लोकसभा में टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की 14 विधानसभाएं आती हैं. ये सीट अन्य लोकसभा सीटों के मुकाबले इसलिए खास है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक टिहरी गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है, जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया. टिहरी गढ़वाल लोकसभी सीट की राजनीति अमूमन कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आइये आपको बताते हैं कब कौन टिहरी सीट से सांसद रहा-
टिहरी लोकसभा सीट से कब कौन रहा सांसद
साल | पार्टी | सांसद |
1952 | कांग्रेस | कमलेंदुमति शाह |
1957 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1962 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1967 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1971 | कांग्रेस | परिपूर्णानंद |
1977 | जनता दल | त्रेपन सिंह नेगी |
1980 | कांग्रेस | त्रेपन सिंह नेगी |
1984 | कांग्रेस | ब्रह्म दत्त |
1989 | कांग्रेस | ब्रह्म दत्त |
1991 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1996 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1998 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1999 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
2004 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
2007 | कांग्रेस | विजय बहुगुणा |
2009 | कांग्रेस | विजय बहुगुणा |
2012 | बीजेपी | माला राज्यलक्ष्मी शाह |
टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी की कब्जा है और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह यहां से सांसद हैं. माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद भी हैं साथही वोटिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं. मानवेंद्र शाह ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर आठ बार जीत हासिल की थी.
अब बात करते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र
टिहरी लोकसभा के बड़े चेहरे
नाम | पार्टी |
माला राज्यलक्ष्मी शाह | बीजेपी |
प्रीतम सिंह | कांग्रेस |
गोपलमणि | निर्दलीय |
इनके अलावा बसपा और 7 अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतर कर यहां के मुकाबले को और भी रोचक बनाने की जुगत में लगे हैं.
सामाजिक ताना-बाना
तीन जिलों में फैली टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां की 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी शहरी क्षेत्रों में.
इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 40 फीसदी राजपूत, 32 फीसदी ब्राह्मण,17 फीसदी एससी-एसटी, पांच फीसदी मुस्लिम, पांच फीसद गोर्खाली और एक फीसद अन्य मतदाता हैं.
जातीय समीकरण
- राजपूत- 40 %
- ब्राह्मण- 32%
- एससी-एसटी-17%
- मुस्लिम- 5%
- गोर्खाली- 5 %
- अन्य- 1%
इस इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है.
अब बात करते हैं यहां 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की...साल 2014 में टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे. जिनमें 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता जबकि 6 लाख 40 हजार 806 महिला शामिल थी.वहीं बात 2019 की करे तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1477532 है. इस बार के चुनाव आयोग ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा में 927 पोलिंग बूथ बनाएं हैं.
बात अगर टिहरी गढ़वाल लोकसभा के मुद्दों की करे तो यहां विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. टिहरी ऐसी लोकसभा है जहां विकास और विस्थापन साथ-साथ चलते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा ये वे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो सकता है.
मुद्दे जो रहेंगे खास
- विस्थापन
- रोजगार
- स्वास्थ्य
- शिक्षा
तमाम सियासी समीकरणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टिहरी गढ़वाल लोकसभा हॉट सीट साबित हो सकती है. यहां एक ओर जहां रानी अपनी सियासी सत्ता बचाने के लिए मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर विरासत में राजनीति की एबीसीडीसीखकर आए प्रीतम सिंह हैं जो रानी के गढ़ में सेंध लगाने के मंसूबे से चुनावी मैदान में हैं. इनके साथ ही कथावाचक गोपाल मणीके साथ अन्य निर्दलीय भी इस सीट के समीकरणों को और रोचक बना रहे हैं. ऐेसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजघराने वाली इस सीट पर जनता किसे जीत का आशीर्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर बैठाती है.