देहरादून/टिहरी: कोरोना से जंग में वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार बताया जा रहा है. अबतक देश में करोड़ों लोगों ने वैक्सीनेशन भी करवाया है, लेकिन अब यह वैक्सीनेशन कई युवाओं के लिए परेशानी का कारण बन गया है. बता दें कि विदेश जाने वाले युवाओं को वैक्सीनेशन की वजह से कई देशों में वीजा नहीं मिल रहा है. ऐसे में युवाओं का विदेश जाने का सपना टूट गया है.
वैक्सीन लेना युवाओं को पड़ा महंगा
कोवैक्सीन की डोज लेने से उत्तराखंड के कई युवाओं के विदेश जाने के सपने टूट गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में कोवैक्सीन (covaxin) के शामिल ना होने से कई देश कोवैक्सीन की डोज लेने वालों को अपने देश आने के लिए वीजा नहीं दे रहे हैं. स्थिति यह है कि देश के साथ ही प्रदेश भर में कई युवा ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीनेशन की दोनों डोज लेने के बावजूद कई देशों का वीजा मिलने में दिक्कतें आ रही हैं.
कोविशील्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल
कोविड वैक्सीनेशन कराने के बावजूद युवाओं वीजा ना मिलने से परेशान हैं. इस संबंध में जब हमने राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह मर्तोलिया से बात की तो, उन्होंने बताया कि वर्तमान में वीजा न मिलने की समस्या सबसे ज्यादा उन युवाओं के सामने आ रही है, जिन्होंने कोवैक्सीन की डोज लगाई है. इसके साथ ही कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां कोविशील्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने WHO को लिखा पत्र
ऐसे में कोविशील्ड की डोज लगा चुके युवा भी इस समस्या से गुजर रहे हैं. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में WHO को पत्र लिखा गया है. गौरतलब है कि कोविड टीकाकरण के बावजूद विदेश जाने वाले युवाओं की परेशानी कम नहीं हो रही है. देश के साथ ही प्रदेश भर के हजारों युवाओं की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह करे तो क्या करें?
युवाओं को नहीं दिखा रहा विकल्प
वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि जिस वैक्सीन की पहली डोज लगाई है, उसी की दूसरी डोज भी लगानी होगी. ऐसे में इन युवाओं के सामने अब यह विकल्प भी नहीं है कि वह आगे चलकर कोई और दूसरी वैक्सीन लगवाएं. जिन युवाओं ने वैक्सीन की दोनों डोज लगा ली है, उनके सामने अब कोई और अन्य वैक्सीन लगाने का विकल्प नहीं है.
वीजा की राह में बना वैक्सीन
भारत लौटे प्रवासी नौकरी और विदेश जाने वालों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. दुनिया के अधिकांश देशों ने अपने यहां प्रवेश के लिए टीकाकरण की शर्त रखी है. हर देश की अलग-अलग शर्तें हैं, लेकिन अधिकांश देश डब्ल्यूएचओ की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल वैक्सीन का वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मांग रहे हैं. देश में जिन लोगों ने कोविशील्ड की डोज ली है, उन्हें तो विदेश यात्रा में कोई परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन जिन्होंने कोवैक्सीन का टीका लगाया है. उन्हें कई देश वीजा नहीं दे रहे हैं. इससे विदेशों में पढ़ने और नौकरी करने वाले प्रवासी भारतीयों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा होने लगा है.
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टिहरी जिले के घनसाली निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि पिछले साल कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कुवैत से भारत वापस आ गया. अब कुवैत में कोरोना संक्रमण कम होने के बाद होटल खुलने लगे हैं. मुझे भी वहां से आने के लिए कॉल आई है, उसके बाद मैंने कुवैत जाने को वीजा के लिए आवेदन किया. लेकिन कोवैक्सीन लगवाने के कारण मुझे वीजा नहीं मिल पा रहा है. जिससे मेरे सामने कुवैत जाने की समस्या खड़ी हो गई है. अब मैं कोई दूसरी वैक्सीन की डोज भी नहीं लगा सकता. भारत सरकार को डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों से बात करके समस्या का समाधान करवाना चाहिए.
वहीं, घनसाली तहसील के बोंगा गांव निवासी चंद्रमोहन ने बताया कि मैंने भी कोवैक्सीन की डोज लगवाई थी. अब मैं कुवैत जाना चाहता था, लेकिन वीजा नहीं मिलने के कारण समस्या खड़ी हो गई है. मैंने इस मामले में सीएमओ कार्यालय में दूसरी वैक्सीन लगाने के लिए संपर्क किया तो अधिकारियों ने दूसरी वैक्सीन लगाने से साफ मना कर दिया. अब मेरे सामने वीजा लगाने की समस्या खड़ी हो गई है.
इसके अलावा घनसाली निवासी दीपक की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. उन्होंने बताया कि मैं भी कुवैत के एक होटल में काम करता था. लॉकडाउन के चलते मैं वापस इंडिया आ गया. अब कोरोना संक्रमण कम होने पर होटल मालिक ने हमें बुलाया. हमने वीजा लगाने के लिए आवेदन किया तो वीजा नहीं मिल रहा है. अब हमारे सामने कुवैत जाने के लिए समस्या खड़ी हो गई है. दीपक ने भी कहा कि उत्तराखंड और केंद्र सरकार को डब्ल्यूएचओ अधिकारियों से संपर्क करके इस समस्या का समाधान करवाना चाहिए ताकि घर लौटे प्रवासी अपने रोजगार के लिए विदेश जा सके.