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माघ मरोज का त्योहार शुरू, लजीज पकवानों के साथ मेहमान नवाजी की है विशेष परंपरा

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Published : Jan 14, 2021, 3:42 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 6:30 PM IST

माघ मरोज त्योहार जौनपुर, जौनसार और रवांई घाटी के नैनबाग क्षेत्र के आसपास गांवों में मनाया जाता है. यह पूरे माघ महीने चलता है. इस त्योहार में तरह-तरह के पकवानों के साथ मेहमान नवाजी की विशेष परंपरा है.

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माघ मरोज का त्योहार शुरू

धनौल्टी: टिहरी जनपद के जौनपुर विकासखंड के नैनबाग, जौनसार और रवांई घाटी में मरोज त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक माह तक चलने वाला यह त्योहार जौनपुर प्रखंड के नैनबाग क्षेत्र के इडवालस्यू, लालूर, सिलवाड़, छज्यूला पट्टियों के करीब 105 गांवो के साथ-साथ रवांई घाटी और जौनसार क्षेत्र के कई गांवों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

माघ मरोज का त्योहार शुरू

इस त्योहार में गांव के हर घर में तरह-तरह के पकवानों के साथ मेहमान नवाजी की परंपरा है. ग्रामीणों ने बताया कि मरोज त्योहार हमारे पूर्वजों के समय से मनाया जा रहा है. इस त्योहार में अन्य प्रदेशों में रहने वाले लोग अपने घर आते हैं. स्थानीय लोग वाद्य यंत्रों के साथ अपने पारंपरिक गीतों पर नृत्य कर मरोज का जश्न मनाते हैं. इस पर्व के दौरान पूरे एक माह तक हर गांव के पंचायती आंगन के साथ-साथ घरों में लोक संस्कृति की झलक दिखाई देती है.

ये भी पढ़ें: पौड़ी: जिला अस्पताल में नेत्र चिकित्सक पर लगे गंभीर आरोप, लेंस के बदले मांगी रकम

मरोज त्योहार के दौरान मेहमानों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों को विशेष मेहमान नवाजी पर बुलाया जाता है. पूरे माह दावतों का दौर चलता है, जिससे भाईचारे का संदेश मिलता है. प्रत्येक घर में मुख्य रूप से मांसाहारी भोजन परोसने की परंपरा है. जिसमें दूर दराज रहने वाले सभी लोग गांव में आकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं.

धनौल्टी: टिहरी जनपद के जौनपुर विकासखंड के नैनबाग, जौनसार और रवांई घाटी में मरोज त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक माह तक चलने वाला यह त्योहार जौनपुर प्रखंड के नैनबाग क्षेत्र के इडवालस्यू, लालूर, सिलवाड़, छज्यूला पट्टियों के करीब 105 गांवो के साथ-साथ रवांई घाटी और जौनसार क्षेत्र के कई गांवों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

माघ मरोज का त्योहार शुरू

इस त्योहार में गांव के हर घर में तरह-तरह के पकवानों के साथ मेहमान नवाजी की परंपरा है. ग्रामीणों ने बताया कि मरोज त्योहार हमारे पूर्वजों के समय से मनाया जा रहा है. इस त्योहार में अन्य प्रदेशों में रहने वाले लोग अपने घर आते हैं. स्थानीय लोग वाद्य यंत्रों के साथ अपने पारंपरिक गीतों पर नृत्य कर मरोज का जश्न मनाते हैं. इस पर्व के दौरान पूरे एक माह तक हर गांव के पंचायती आंगन के साथ-साथ घरों में लोक संस्कृति की झलक दिखाई देती है.

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मरोज त्योहार के दौरान मेहमानों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों को विशेष मेहमान नवाजी पर बुलाया जाता है. पूरे माह दावतों का दौर चलता है, जिससे भाईचारे का संदेश मिलता है. प्रत्येक घर में मुख्य रूप से मांसाहारी भोजन परोसने की परंपरा है. जिसमें दूर दराज रहने वाले सभी लोग गांव में आकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं.

Last Updated : Jan 14, 2021, 6:30 PM IST
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