टिहरी: साधू-संत समाज के लोग देवप्रयाग के डडुआ गांव में बनी शराब की फैक्ट्री का लगातार विरोध कर रहे हैं. लेकिन गांव में खुली इस फैक्ट्री का ग्रामीणों ने स्वागत किया है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें गांव में ही रोजगार मिल रहा है, इसलिए वे उत्तराखंड सरकार के साथ खड़े हैं. साथ ही कहा कि संत समाज जिस देवप्रयाग कि बात कर रहा है वो इस गांव से 38 किलोमीटर दूर है.
देवप्रयाग में बने शराब फैक्ट्री का ग्रामीण वकालत कर रहे हैं. ग्रामीण, संत-समाज और राजनीतिक दलों के विरोध में खड़े हो गए हैं. ग्रामीणों ने विरोध कर रहे संतों और राजनीतिक दलों के विरोध में डडुआ गांव में प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो वे भूख हड़ताल करने को भी तैयार हैं.
पढ़ें: वर्ल्ड टाइगर डे पर PM मोदी ने जारी किए आंकड़ें, 10 साल में उत्तराखंड में दोगुनी हुई बाघों की संख्या
विरोध की वजह
दरअसल, देवप्रयाग संगम स्थली मानी जाती है. जहां अलकनंदा और भागीरथी नदी का मिलन होता है और यहीं से होकर गंगा नदी निकलती है, जोकि आस्था का प्रतीक मानी जाती है. ऐसे में साधु-संतों का कहना है कि देवप्रयाग में बनी शराब की फैक्ट्री आस्था को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है.
संगम से कोसो दूर है फैक्ट्री
स्थानीय लोगों की मानें तो शराब की फैक्ट्री संगम से 38 किलोमीटर दूर डडुआ गांव के एक बंजर भूमी पर बनाई गई है. जहां शराब की फैक्ट्री एक तरह से यहां के लोगों को रोजगार देने का काम कर रही है. इस गांव में फैक्ट्री बनने से यहां के लोग काफी खुश हैं. साथ ही उत्तराखंड सरकार का धन्यवाद करते हैं.
पलायन की पीड़ा
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन के चलते आज बहुत से गांव वीरान हो गए हैं. जिन गांवों में थोड़े बहुत लोग हैं भी तो उनमें से युवकों को रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों की ओर रुख करना पड़ रहा है. ऐसे में पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने का इन इलाकों में उद्योगों का लगना काफी हद तक जरूरी है.
फैक्ट्री से मिला रोजगार
काफी लम्बे समय से डडुआ में लगी इस फैक्ट्री का विरोध हो रहा है. लेकिन यहां फैक्ट्री खुलने से अभीतक 100 लोगों को रोजगार मिल चुका है. जिसमें विधवा महिलांए और दिव्यांग सहित कई ऐसे गरीब परिवार शामिल हैं, जहां कोई कमाने वाला नहीं था. वहीं, आने वाले समय में 1000 से अधिक लोगों को यहां रोजगार दिया जाना है.