ETV Bharat / state

खुद ही बीमार है 'अस्पताल' तो मरीजों को कैसे मिलेगा इलाज - hospital news

टिहरी के बौराड़ी अस्पताल को स्वामी राम हिमालयन जॉलीग्रांट अस्पताल द्वारा पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. संचालन पूर्ण रूप से न होने की वजह से अस्पताल में कई अव्यवस्थाएं सामने आ रही है. मरीजों को इलाज के लिए भी दूसरे जिलों और राज्यों में जाना पड़ रहा है.

बौराड़ी अस्पताल
author img

By

Published : Mar 8, 2019, 11:54 AM IST

टिहरी: जिले के सबसे बड़े बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. जिससे उम्मीद जगी थी कि अस्पताल के दिन बहुरेंगे लेकिन स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है. लोगों का कहना है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में तो दे दिया गया है लेकिन न तो अस्पताल में डॉक्टर हैं और न ही कोई अन्य सुविधा.

दरअसल, टिहरी के बौराड़ी अस्पताल को स्वामी राम हिमालयन जॉलीग्रांट अस्पताल द्वारा पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में सौंपने के बाद भी अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है. जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. यहां अस्पताल में मरीजों की परेशानी सुनने के लिए डॉक्टर तक मौजूद नहीं हैं.

बौराड़ी अस्पताल की स्थिति बदहाल.

बौराड़ी अस्पताल में इलाज कराने पहुंची अनिता थपलियाल का कहना है कि दूर-दराज से लोग इलाज के लिए अस्पताल आते हैं. लेकिन सुविधा के अभाव में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मार्च महीने के अंत तक अस्पताल की अव्यवस्थाओं को सुधारा नहीं जाता तो वो धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

बता दें कि इस अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए टिहरी के प्रतापनगर, घनसाली, छाम, कोटेश्वर, जाखणीधार, चंबा समेत कई क्षेत्रों से मरीज पहुंचते थे. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं के अभाव के चलते अब मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश का रुख करना पड़ रहा है.

वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पीपीपी मोड में संचालन होने के बाद अस्पताल में एक्स-रे मशीन की जो समस्या आ रही थी उसे दूर कर लिया गया है. इसके अलावा अस्पताल में स्टाफ की कमी को भी जल्द दूर कर लिया जाएगा. उनका कहना है कि अस्पताल में जल्द डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती भी कर दी जाएगी.

अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा
जनवरी से पहले तक जिला अस्पताल बौराड़ी का संचालन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन था. इस दौरान अस्पताल में करीब 28 डॉक्टर और 115 कर्मचारी व स्टाफ कार्यरत थे. लेकिन स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के अधीन दिये जाने के बाद सरकार ने यहां तैनात कई डॉक्टरों को रिलीव कर दिया. इसी वजह से अब अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा है.

दरअसल, स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट और सरकार के बीच बीते 8 नवबंर 2018 को MOU साइन होने हुआ था. जिसके बाद 14 जनवरी 2019 से अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन होना था. लेकिन, किन्हीं कारणों अभी तक अस्पतला पूरी तरह से पीपीपी मोड पर नहीं आ पाया है. बताया जा रहा है कि मार्च-अप्रैल तक अस्पताल का पूर्ण रूप से पीपीपी मोड पर संचालन शुरू हो जाएगा.

चार साल के लिया हुआ करार
विश्व बैंक के फंड की 100 करोड़ की लागत से चार साल के लिये जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट को दिया गया है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने अबतक जिन भी अस्पतालों को पीपीपी मोड पर दिया है, उनमें से किसी का भी सफल संचालन नहीं हो पाया है.

टिहरी: जिले के सबसे बड़े बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. जिससे उम्मीद जगी थी कि अस्पताल के दिन बहुरेंगे लेकिन स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है. लोगों का कहना है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में तो दे दिया गया है लेकिन न तो अस्पताल में डॉक्टर हैं और न ही कोई अन्य सुविधा.

दरअसल, टिहरी के बौराड़ी अस्पताल को स्वामी राम हिमालयन जॉलीग्रांट अस्पताल द्वारा पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में सौंपने के बाद भी अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है. जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. यहां अस्पताल में मरीजों की परेशानी सुनने के लिए डॉक्टर तक मौजूद नहीं हैं.

बौराड़ी अस्पताल की स्थिति बदहाल.

बौराड़ी अस्पताल में इलाज कराने पहुंची अनिता थपलियाल का कहना है कि दूर-दराज से लोग इलाज के लिए अस्पताल आते हैं. लेकिन सुविधा के अभाव में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मार्च महीने के अंत तक अस्पताल की अव्यवस्थाओं को सुधारा नहीं जाता तो वो धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

बता दें कि इस अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए टिहरी के प्रतापनगर, घनसाली, छाम, कोटेश्वर, जाखणीधार, चंबा समेत कई क्षेत्रों से मरीज पहुंचते थे. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं के अभाव के चलते अब मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश का रुख करना पड़ रहा है.

वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पीपीपी मोड में संचालन होने के बाद अस्पताल में एक्स-रे मशीन की जो समस्या आ रही थी उसे दूर कर लिया गया है. इसके अलावा अस्पताल में स्टाफ की कमी को भी जल्द दूर कर लिया जाएगा. उनका कहना है कि अस्पताल में जल्द डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती भी कर दी जाएगी.

अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा
जनवरी से पहले तक जिला अस्पताल बौराड़ी का संचालन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन था. इस दौरान अस्पताल में करीब 28 डॉक्टर और 115 कर्मचारी व स्टाफ कार्यरत थे. लेकिन स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के अधीन दिये जाने के बाद सरकार ने यहां तैनात कई डॉक्टरों को रिलीव कर दिया. इसी वजह से अब अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा है.

दरअसल, स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट और सरकार के बीच बीते 8 नवबंर 2018 को MOU साइन होने हुआ था. जिसके बाद 14 जनवरी 2019 से अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन होना था. लेकिन, किन्हीं कारणों अभी तक अस्पतला पूरी तरह से पीपीपी मोड पर नहीं आ पाया है. बताया जा रहा है कि मार्च-अप्रैल तक अस्पताल का पूर्ण रूप से पीपीपी मोड पर संचालन शुरू हो जाएगा.

चार साल के लिया हुआ करार
विश्व बैंक के फंड की 100 करोड़ की लागत से चार साल के लिये जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट को दिया गया है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने अबतक जिन भी अस्पतालों को पीपीपी मोड पर दिया है, उनमें से किसी का भी सफल संचालन नहीं हो पाया है.

Intro:टिहरी जिला अस्पताल में सुविधा न होने के कारण इलाज के लिए भटक रहे है मरीज जब से इस अस्पताल को पीपी मोड़ में दिए जाने की कवायद चल रही है तब से यह मरीजो की संख्याबमे गिरावट आई है इससे पहले जब सरकार के द्वारा इस अस्पताल को चलाया जा रह था उस समय यह पर 24 से अधिक डॉक्टर काम कर रहे थे,ओर जब से सरकार द्वारा अस्पताल को पीपी मोड़ में देने की कवायद की गई तब से इस अस्पताल में काम करने वाले सरकारी डॉक्टर असमंजस की इस्थिति में है कि अब कहा पर मरीजो का इलाज किया जाएगा,


Body:जिला अस्पताल को पिपिमोड पर दिये जाने की कवायद को लेकर लोगो ने किया बिरोध करना शुरू कर दिया है एकता मंच के अध्यक्ष आकाश कर्षली ओर ग्रामीण महिला ने कहा कि जब से इस अस्पताल को पीपी मोड़ में दिए जाने की कवायद हो रही है तब से इस अस्पताल में समस्याओं का अंबार लग गया है पीपीपी मोड़ में न तो मरीजो से तहजीब से बात की जाती है और न ही ढंग से इलाज ,इस अस्पताल की समस्या बढ़ती ही जा रही है,मरीजो को दवाई नही मिल रही है ना ही एक्सरे हो रहे है तो ही अल्ट्रासाउंड,मरीज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है

लोगो का कहना है कि इससे अच्छा तो सरकारी डॉक्टर थे जो सही से मरीजो का इलाज करते थे,

सरकार के द्वारा हिमालयन अस्पताल जोलीग्रांट को टिहरी का जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड़ में दिया गया है जहाँ पर काम करने वाले डॉक्टर मरीजो से साथ सही से पेश नही आते जबकि डॉक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है लेकिन पीपी मोड़ पे काम करने वाले डॉक्टर के व्यवहार से भी मरीज परेशान है और जी भी मरीज इलाज के लिए यह आते है उनको सीधे रेफर कर दिया जाता है अगर मरीजो को रेफर ही किया जाना था तो फिर इस अस्पताल को पीपी मोड़ में देने का मतलब है,


Conclusion:टिहरी के जिला अस्पताल में सुविधा ना होने के कारण मरीज दर दर की ठोकर खा रहे हैं ,मरीज इलाज करवाने के लिए, परंतु इस और किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया साथ ही जिला अस्पताल बरारी को पीपी मोड पर दिए जाने से स्थानीय लोगों ने
इसका विरोध करना शुरू कर दिया है स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल बराड़ी पहले अच्छे से चल रहा था लेकिन जब से इस अस्पताल को पीपी मोड पर दिए जाने की कवायद चल गई है तब से यहां पर मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है और ना ही यहां पर मरीजों का एक्स रे हो पा रहा है और ना ही दवाइयां मिल पा रही हैं स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जिला अस्पताल बरारी को पीपीपी मोड पर दिया गया तो इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जाएगा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.