टिहरी: जिले के सबसे बड़े बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. जिससे उम्मीद जगी थी कि अस्पताल के दिन बहुरेंगे लेकिन स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है. लोगों का कहना है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में तो दे दिया गया है लेकिन न तो अस्पताल में डॉक्टर हैं और न ही कोई अन्य सुविधा.
दरअसल, टिहरी के बौराड़ी अस्पताल को स्वामी राम हिमालयन जॉलीग्रांट अस्पताल द्वारा पीपीपी मोड में संचालित किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि अस्पताल को पीपीपी मोड में सौंपने के बाद भी अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है. जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. यहां अस्पताल में मरीजों की परेशानी सुनने के लिए डॉक्टर तक मौजूद नहीं हैं.
बौराड़ी अस्पताल में इलाज कराने पहुंची अनिता थपलियाल का कहना है कि दूर-दराज से लोग इलाज के लिए अस्पताल आते हैं. लेकिन सुविधा के अभाव में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मार्च महीने के अंत तक अस्पताल की अव्यवस्थाओं को सुधारा नहीं जाता तो वो धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.
बता दें कि इस अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए टिहरी के प्रतापनगर, घनसाली, छाम, कोटेश्वर, जाखणीधार, चंबा समेत कई क्षेत्रों से मरीज पहुंचते थे. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं के अभाव के चलते अब मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश का रुख करना पड़ रहा है.
वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पीपीपी मोड में संचालन होने के बाद अस्पताल में एक्स-रे मशीन की जो समस्या आ रही थी उसे दूर कर लिया गया है. इसके अलावा अस्पताल में स्टाफ की कमी को भी जल्द दूर कर लिया जाएगा. उनका कहना है कि अस्पताल में जल्द डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती भी कर दी जाएगी.
अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा
जनवरी से पहले तक जिला अस्पताल बौराड़ी का संचालन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन था. इस दौरान अस्पताल में करीब 28 डॉक्टर और 115 कर्मचारी व स्टाफ कार्यरत थे. लेकिन स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के अधीन दिये जाने के बाद सरकार ने यहां तैनात कई डॉक्टरों को रिलीव कर दिया. इसी वजह से अब अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा है.
दरअसल, स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट और सरकार के बीच बीते 8 नवबंर 2018 को MOU साइन होने हुआ था. जिसके बाद 14 जनवरी 2019 से अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन होना था. लेकिन, किन्हीं कारणों अभी तक अस्पतला पूरी तरह से पीपीपी मोड पर नहीं आ पाया है. बताया जा रहा है कि मार्च-अप्रैल तक अस्पताल का पूर्ण रूप से पीपीपी मोड पर संचालन शुरू हो जाएगा.
चार साल के लिया हुआ करार
विश्व बैंक के फंड की 100 करोड़ की लागत से चार साल के लिये जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट को दिया गया है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने अबतक जिन भी अस्पतालों को पीपीपी मोड पर दिया है, उनमें से किसी का भी सफल संचालन नहीं हो पाया है.