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हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज की दुर्दशा के खिलाफ किशोर उपाध्याय ने दिया धरना

टिहरी का हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिना निदेशक के ही चल रहा है. ऐसे में कॉलेज में अनियमितता आदि को लेकर पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने धरना दिया.

Hydro Engineering College
किशोर उपाध्याय
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Published : Oct 8, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 10:48 PM IST

टिहरीः भागीरथीपुरम के हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज की दुर्दशा को लेकर पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार आंदोलन और शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया. इस दौरान उन्होंने संस्थान को आईआईटी दिल्ली की तर्ज पर स्थापित करने की मांग की. साथ ही सरकार पर कई आरोप भी लगाए.

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि उनके संघर्ष से टिहरी में हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापना की गई थी. इस संस्थान को आईआईटी दिल्ली की तर्ज पर हाइड्रो स्टडीज का विशिष्ट संस्थान बनाने की बात कही गई थी. कुछ सालों तक तो संस्थान बढ़िता ढंग से चला, लेकिन अब इसकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने कहा जिस मंशा के साथ इस संस्थान को स्थापित किया गया था, उस मंशा के साथ आज कुठाराघात हो रहा है.

किशोर उपाध्याय का धरना.

ये भी पढ़ेंः टिहरी: टीएचडीसी के छात्र पराग चौधरी ने रॉकेट का सफल परीक्षण किया

किशोर उपाध्याय ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आज संघर्ष करना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए टिहरी की उपेक्षा के खिलाफ यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा. केंद्र सरकार के वादे के अनुसार इस संस्थान को विकसित नहीं किया गया. साथ ही 3 साल से निदेशक न होने के कारण संस्थान की समस्त गतिविधियां ठप पड़ गई हैं. तत्काल यूजीसी और एआईसीटीई के नियमानुसार निदेशक की नियुक्ति की जाए.

उन्होंने बताया कि पिछली कैबिनेट में विश्व बैंक प्रोजेक्ट खत्म होने के कारण शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार ने अपने खजाने से देने की घोषणा की थी. ऐसे में जब से विश्व बैंक से संबंध खत्म हो गया है तो उसके नियम भी स्वतः समाप्त हो गए हैं. इसलिए उन नियमों को सरकार तत्काल समाप्त करे, क्योंकि इसके कारण कॉलेज में अनियमितताएं और भय का माहौल बना हुआ है.

अनुबंध के अनुसार कॉलेज में टीएचडीसी का हस्तक्षेप बना रहता था. जिस कारण टीएचडीसी ने बिल्डिंग और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए थे, लेकिन विश्व बैंक के नियम से टीएचडीसी का हस्तक्षेप कॉलेज में बंद कर दिया गया और शासन का हस्तक्षेप बढ़ा दिया गया. जबकि, आज तक शासन की ओर से कोई भी धनराशि कॉलेज को नहीं दी गई. कॉलेज में कार्य को आधा अधूरा छोड़ दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रही गड़बड़ियों का PMO ने लिया संज्ञान, जांच के दिए आदेश

वहीं, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस के प्रदेश सचिव शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि आज जो भी बड़े संस्थान या बड़े कार्य टिहरी में दिख रहे हैं. यह सब किशोर उपाध्याय के संघर्षों का नतीजा हैं. पूर्व कनिष्ठ प्रमुख थौलधार कुलदीप पंवार ने कहा कि कॉलेज में 3 साल से निदेशक का पद रिक्त है. जिससे संस्थान पूरी तरह से अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं का शिकार है. साथ ही कहा कि टिहरी की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

टिहरीः भागीरथीपुरम के हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज की दुर्दशा को लेकर पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार आंदोलन और शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया. इस दौरान उन्होंने संस्थान को आईआईटी दिल्ली की तर्ज पर स्थापित करने की मांग की. साथ ही सरकार पर कई आरोप भी लगाए.

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि उनके संघर्ष से टिहरी में हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापना की गई थी. इस संस्थान को आईआईटी दिल्ली की तर्ज पर हाइड्रो स्टडीज का विशिष्ट संस्थान बनाने की बात कही गई थी. कुछ सालों तक तो संस्थान बढ़िता ढंग से चला, लेकिन अब इसकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने कहा जिस मंशा के साथ इस संस्थान को स्थापित किया गया था, उस मंशा के साथ आज कुठाराघात हो रहा है.

किशोर उपाध्याय का धरना.

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किशोर उपाध्याय ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आज संघर्ष करना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए टिहरी की उपेक्षा के खिलाफ यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा. केंद्र सरकार के वादे के अनुसार इस संस्थान को विकसित नहीं किया गया. साथ ही 3 साल से निदेशक न होने के कारण संस्थान की समस्त गतिविधियां ठप पड़ गई हैं. तत्काल यूजीसी और एआईसीटीई के नियमानुसार निदेशक की नियुक्ति की जाए.

उन्होंने बताया कि पिछली कैबिनेट में विश्व बैंक प्रोजेक्ट खत्म होने के कारण शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार ने अपने खजाने से देने की घोषणा की थी. ऐसे में जब से विश्व बैंक से संबंध खत्म हो गया है तो उसके नियम भी स्वतः समाप्त हो गए हैं. इसलिए उन नियमों को सरकार तत्काल समाप्त करे, क्योंकि इसके कारण कॉलेज में अनियमितताएं और भय का माहौल बना हुआ है.

अनुबंध के अनुसार कॉलेज में टीएचडीसी का हस्तक्षेप बना रहता था. जिस कारण टीएचडीसी ने बिल्डिंग और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए थे, लेकिन विश्व बैंक के नियम से टीएचडीसी का हस्तक्षेप कॉलेज में बंद कर दिया गया और शासन का हस्तक्षेप बढ़ा दिया गया. जबकि, आज तक शासन की ओर से कोई भी धनराशि कॉलेज को नहीं दी गई. कॉलेज में कार्य को आधा अधूरा छोड़ दिया गया है.

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वहीं, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस के प्रदेश सचिव शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि आज जो भी बड़े संस्थान या बड़े कार्य टिहरी में दिख रहे हैं. यह सब किशोर उपाध्याय के संघर्षों का नतीजा हैं. पूर्व कनिष्ठ प्रमुख थौलधार कुलदीप पंवार ने कहा कि कॉलेज में 3 साल से निदेशक का पद रिक्त है. जिससे संस्थान पूरी तरह से अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं का शिकार है. साथ ही कहा कि टिहरी की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

Last Updated : Oct 8, 2021, 10:48 PM IST
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