टिहरी: आपदा में अपनों के लापता होने का गम क्या होता है, इसे भला परिजनों से ज्यादा कौन समझ सकता है. अपनों के इंतजार में परिजनों की पथराई आंखें गांव के रास्ते पर ही नजर बनाई हुईं हैं. परिजन आज भी जितेंद्र की बाट जोह रहे हैं. आपदा के दिन से जितेंद्र का कोई बता नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि एक न एक दिन उनका लाड़ला घर लौटेगा.
चमोली आपदा में लापता जितेंद्र के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों ने प्रशासन से जितेंद्र की मोबाइल लोकेशन ट्रेस करने की मांग की है. आपको बता दें कि टिहरी के रौलाकोट निवासी जितेंद्र चमोली आपदा के दिन से ही लापता हैं. परिजन आज भी जितेंद्र की बाट जोह रहे रहे हैं. वहीं जितेंद्र के परिवार के सदस्य काफी परेशान हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, 11 फरवरी को जितेंद्र की बहन सीमा ने उनके नंबर पर कॉल किया था. किसी ने कॉल उठाकर हैलो कहा और 5 सेकेंड बाद ही फोन कट हो गया. उसके बाद दो बार रिंग होने के साथ ही मोबाइल स्विच ऑफ बताने लगा.
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फोन पर रिंग जाने और मोबाइल स्विच ऑफ होने के बाद जितेंद्र के घर में खलबली मच गई. परिजनों को उम्मीद के साथ चमत्कार होने की संभावना दिखने लगी है. परिवार वालों का मानना है कि जितेंद्र टनल में सुरक्षित होगा. अगर जितेंद्र और उसके अन्य साथी जीवित निकलते हैं तो यह भगवान का चमत्कार ही होगा.
परिजनों ने कहा कि हमारा उत्तराखंड सरकार से अनुरोध है कि वह मोबाइल कॉल को सर्विलांस में लगाकर खोजबीन करें. जितेंद्र 2017 से तपोवन के पावर प्लांट में काम कर रहा है. वहीं, रौलाकोट के पूर्व प्रधान उमेद लाल ने कहा कि सरकार को जितेंद्र के मोबाइल की लोकेशन निकाल कर, उस जगह पर रेस्क्यू करना चाहिए, जिससे जितेंद्र के बारे में पता चल सकें.