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लैंडस्लाइड और मकानों में दरारें हिमालय में बड़े प्रोजेक्ट का हैं नतीजा, पढ़ें इस भू वैज्ञानिक ने और क्या कहा

Landslide and cracks in Uttarakhand टिहरी में लगातार हो रही बारिश के चलते जगह-जगह भूस्खलन और दरारें पड़ रही हैं. साथ ही टिहरी झील के आसपास बसे गांवों की जमीनों व मकानों में भी दरारें पड़ रही हैं. प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक एसपी सती ने भूस्खलन होने की सबसे बड़ी वजह मानवीय हस्तक्षेप बताया है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 11, 2023, 12:38 PM IST

Updated : Aug 11, 2023, 1:36 PM IST

लैंडस्लाइड और मकानों में दरारें हिमालय में बड़े प्रोजेक्ट का हैं नतीजा

टिहरी: उत्तराखंड में बारिश का दौर जारी है. इससे पहाड़ियां दरक रही हैं और भूस्खलन जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. आलम ये है कि प्रकृतिक आपदा से कई मकान जमींदोज हो रहे हैं, जबकि कई भवनों में दरारें भी आ गई हैं. इसी बीच भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि बारिश के समय भूस्खलन और दरारें पड़ना एक सामान्य गतिविधि है. बारिश के कारण जोन सैचुरेएशन पॉइंट स्लोप दरारों में पानी जाता है. ये स्लोप को डाउन फॉल के लिए प्रेरित करता है.

मानवीय हस्तक्षेप मुख्य कारण: भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि बड़े स्तर पर हमने स्लोप्स को डिस्टर्ब किया है. ढालों को भी डिस्टर्ब किया है. जिससे कालांतर में यह दुष्परिणाम होने ही थे. विश्व के सभी बड़े वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर बड़े प्रोजेक्ट हिमालय में नहीं होने चाहिए, जिसका परिणाम देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बारिश पहले भी आती थी, लेकिन नुकसान नहीं होते थे. अब हर साल बड़े पैमाने में भूस्खलन हो रहे हैं. इसके पीछे मानवीय हस्तक्षेप मुख्य कारण है.

बिना ब्लास्टिंग के बनाई जाएं टनल: ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन बनाते समय टनल के आसपास मकानों और जमीनों में पड़ रही दरारों पर एसपी सती ने कहा कि यह बात सच है कि टनल बन रही है. आज ऐसी तकनीकी आ गई है, जिसके जरिए बिना ब्लास्टिंग के टनल बनाई जा सकती है. ब्लास्टिंग के कारण दरारें पड़ती हैं. दरारें ऊपर स्लोप तक आती हैं. जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है और इसके आसपास स्लोप में बसी बस्तियों के जल स्रोत खत्म हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन बनाते समय जितने भी टनल के आसपास के जल स्रोत हैं, वह सब सूख गए हैं.
ये भी पढ़ें: काशीपुर में NH-74 पर ढेला नदी के ऊपर बना पुल धंसा, विधायक ने अधिकारियों से मांगा जवाब

झील के आसपास बसे गांवों और जमीनों में दरारें: भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि टिहरी डैम की झील के आसपास बसे गांवों और जमीनों में दरारें हैं. झील का पानी एक साल में एक ही जगह नहीं रहता, बल्कि झील का पानी कभी नीचे पहुंचता है और कभी ऊपर आता है. झील का जल स्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, जिससे गोडाउन इफेक्ट पड़ता है. गोडाउन बढ़ने की वजह से गांव खतरे में हैं और यह दरारें दिन ब दिन बढ़ रही हैं. वे गांव चिन्हित किए जाएं, जिनमें कुछ बचने की गुंजाइश है. साथ ही उनका प्रोविजनल बनाकर रोका जा सकता है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बारिश के बाद बढ़ी परेशानियां, मसूरी में हुआ भूस्खलन, थराली में भी रोड का हिस्सा बहा

लैंडस्लाइड और मकानों में दरारें हिमालय में बड़े प्रोजेक्ट का हैं नतीजा

टिहरी: उत्तराखंड में बारिश का दौर जारी है. इससे पहाड़ियां दरक रही हैं और भूस्खलन जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. आलम ये है कि प्रकृतिक आपदा से कई मकान जमींदोज हो रहे हैं, जबकि कई भवनों में दरारें भी आ गई हैं. इसी बीच भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि बारिश के समय भूस्खलन और दरारें पड़ना एक सामान्य गतिविधि है. बारिश के कारण जोन सैचुरेएशन पॉइंट स्लोप दरारों में पानी जाता है. ये स्लोप को डाउन फॉल के लिए प्रेरित करता है.

मानवीय हस्तक्षेप मुख्य कारण: भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि बड़े स्तर पर हमने स्लोप्स को डिस्टर्ब किया है. ढालों को भी डिस्टर्ब किया है. जिससे कालांतर में यह दुष्परिणाम होने ही थे. विश्व के सभी बड़े वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर बड़े प्रोजेक्ट हिमालय में नहीं होने चाहिए, जिसका परिणाम देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बारिश पहले भी आती थी, लेकिन नुकसान नहीं होते थे. अब हर साल बड़े पैमाने में भूस्खलन हो रहे हैं. इसके पीछे मानवीय हस्तक्षेप मुख्य कारण है.

बिना ब्लास्टिंग के बनाई जाएं टनल: ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन बनाते समय टनल के आसपास मकानों और जमीनों में पड़ रही दरारों पर एसपी सती ने कहा कि यह बात सच है कि टनल बन रही है. आज ऐसी तकनीकी आ गई है, जिसके जरिए बिना ब्लास्टिंग के टनल बनाई जा सकती है. ब्लास्टिंग के कारण दरारें पड़ती हैं. दरारें ऊपर स्लोप तक आती हैं. जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है और इसके आसपास स्लोप में बसी बस्तियों के जल स्रोत खत्म हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन बनाते समय जितने भी टनल के आसपास के जल स्रोत हैं, वह सब सूख गए हैं.
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झील के आसपास बसे गांवों और जमीनों में दरारें: भू वैज्ञानिक एसपी सती ने कहा कि टिहरी डैम की झील के आसपास बसे गांवों और जमीनों में दरारें हैं. झील का पानी एक साल में एक ही जगह नहीं रहता, बल्कि झील का पानी कभी नीचे पहुंचता है और कभी ऊपर आता है. झील का जल स्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, जिससे गोडाउन इफेक्ट पड़ता है. गोडाउन बढ़ने की वजह से गांव खतरे में हैं और यह दरारें दिन ब दिन बढ़ रही हैं. वे गांव चिन्हित किए जाएं, जिनमें कुछ बचने की गुंजाइश है. साथ ही उनका प्रोविजनल बनाकर रोका जा सकता है.
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Last Updated : Aug 11, 2023, 1:36 PM IST
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