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कभी देखी है ऐसी टेस्टिंग ? डोबरा-चांठी पुल पर एक साथ खड़े किए 14 लोडेड ट्रक

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Published : Oct 4, 2020, 7:05 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 12:34 PM IST

विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील पर देश का सबसे बड़ा डोबरा-चांठी मोटरेबल झूला पुल बनकर तैयार हो गया है. बहुत जल्द ही इसका उद्घाटन भी होने वाला है. उद्घाटन से पहले इस पुल की टेस्टिंग के लिए इसके उपर 14 लोडेड ट्रक खड़े किये गये. बता दें कि ये डबल लेन पुल है, जिसकी लंबाई 440 मीटर है. भारत में 440 मीटर लंबाई वाला ये पहला डबल लेन पुल है.

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डोबरा-चांठी पुल की टेस्टिंग के लिए खड़े किये गये 14 लोडेड ट्रक

टिहरी: 14 साल से बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर, थौलधार और उत्तरकाशी के गाजणा पट्टी की दो लाख की आबादी के आवागमन के लिये बन रहे डोबरा-चांठी पुल की फाइनल लोड टेस्टिंग के लिए उसके ऊपर 14.5 टन के 14 लोडेड ट्रकों को 30-30 मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया. इस दौरान प्रतापनगर विधायक विजय पंवार और भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद रतूड़ी ने अधिकारियों से निर्माण कार्य के बारे में भी जानकारी ली.

बता दें कि डोबरा-चांठी पुल की फाइनल लोड टेस्टिंग की प्रक्रिया बीते 22 सितंबर से चल रही है. रविवार को दक्षिण कोरियाई इंजीनियर जैकी किम और उनकी टीम ने पुल की लोड टेस्टिंग की. इस दौरान पुल के दोनों टावर पर पड़ रहे दबाव को परखा गया. टेस्टिंग के बाद बताया गया कि पुल के दोनों टावर पर 5 सेंटीमीटर का झुकाव आया है. पुल के झुकाव की सीमा 10 सेंटीमीटर तक निर्धारित की गई है.

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डोबरा-चांठी पर लोड टेस्टिंग.

वहीं, टावरों पर लगे स्टील सस्पेंडरों का अधिकतम डिफ्लेक्शन (नीचे की ओर झुकाव) 50 एमएम से अधिक नहीं होना चाहिए. इस दौरान सभी 14 वाहनों के लोड के बावजूद टॉवरों का डिफ्लेक्शन ठीक रहा. अब लोड टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. उसके बाद एप्रोच रोड का कुछ काम बचा है, जिसके बाद पुल के ऊपर से वाहनों का संचालन शुरू किया जाएगा.

डोबरा-चांठी पुल पर 14 लोडेड ट्रक खड़े करके लोड टेस्टिंग हुई.

पढ़ें- मछली पालन की इस विधि में कम पानी-जगह में ले ज्यादा उत्पादन, किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

इस दौरान भाजपा के जिला अध्यक्ष विनोद रतूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के सहयोग से आज यह पुल बनकर तैयार हुआ है. जल्द ही इसे जनता को समर्पित कर दिया जाएगा. वहीं, प्रताप नगर के विधायक विजय सिंह पंवार ने कहा वे प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे इस पुल के उद्घाटन के मौके पर आएं, जिससे क्षेत्र का और विकास भी हो सकेगा. वहीं, प्रतापनगर के लोगों ने कहा कि कई सालों से यह पुल निर्माणाधीन था, जिसके बनने से प्रताप नगर के लोगों की समस्याएं दूर होंगी.

  • जुटाने में अनथक प्रयास किये और तब कोर्ट ने इस पुल को बनाने के निर्देश दिये।
    श्रेय लेने के लिये दाल-भात में मूसर-चंद कई कूद रहे हैं।
    कोई बात नहीं, होता है, काम कोई करता है, श्रेय लेने के लिये कई लोग आगे आ जाते हैं।2/2

    — Kishore Upadhyay (@KupadhyayINC) October 4, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उधर, भाजपा को कार्य का श्रेय लेते देख कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पलटवार किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि श्रेय लेने के लिये कई लोग कूद रहे हैं. कोई बात नहीं काम कोई करता है और श्रेय लेने के लिये कई लोग आगे आ जाते हैं. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कोलेन गान्साल्वेज का आभार व्यक्त करते हुये उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सही तथ्य पेश किए और उनके प्रयास से ही कोर्ट ने इस पुल को बनाने के निर्देश दिये.

गौर हो कि डोबरा-चांठी देश का सबसे लंबा मोटरेबल झूला पुल है. इस पुल से टिहरी झील बेहद खूबसूरत नजर आती है. जानते हैं इस पुल की खूबियां-

  • प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी में रहने वाली करीब 3 लाख से ज्यादा की आबादी को बहुत राहत मिलेगी. 14 साल के लम्बे इंतजार के बाद ये निर्माण कार्य पूरा हुआ है.
  • पहले टिहरी जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी.
  • पुल के शुरू होने के बाद अब यह दूरी घटकर आधी रह जाएगी.
  • ये डबल लेन पुल है, जिसकी लंबाई 440 मीटर है. भारत में 440 मीटर लंबाई वाला ये पहला डबल लेन पुल है.
  • इस पुल की कुल चौड़ाई 7 मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है.
  • इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और उम्र 100 सालों की है.
  • 14 सालों में कई कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींचे हैं.
  • डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण साल 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन काम के दौरान कई समस्याएं सामने आने लगीं.
  • गलत डिजाइन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था.
  • साल 2010 तक इस पुल के निर्माण पर लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे.
  • दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया.
  • पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया और साउथ कोरिया की कंपनी योसीन को यह टेंडर मिला.
  • कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और तेजी से पुल का निर्माण शुरू किया.
  • साल 2018 में एक बार फिर काम रुक गया जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए.
  • तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है.
  • जल्द ही पुल का उद्घाटन किया जाएगा.

पुल बनने से प्रतापनगर क्षेत्र ही नहीं बल्कि उत्तरकाशी जिले के गाजणा पट्टी के लोगों को भी फायदा होगा. साल 2005 के बाद से यहां के लोग कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. एक से दूसरी जगह पहुंचने के लिए सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. डोबरा चांठी पुल पर आवाजाही शुरू होने के बाद ये परेशानी खत्म हो जाएगी.

टिहरी: 14 साल से बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर, थौलधार और उत्तरकाशी के गाजणा पट्टी की दो लाख की आबादी के आवागमन के लिये बन रहे डोबरा-चांठी पुल की फाइनल लोड टेस्टिंग के लिए उसके ऊपर 14.5 टन के 14 लोडेड ट्रकों को 30-30 मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया. इस दौरान प्रतापनगर विधायक विजय पंवार और भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद रतूड़ी ने अधिकारियों से निर्माण कार्य के बारे में भी जानकारी ली.

बता दें कि डोबरा-चांठी पुल की फाइनल लोड टेस्टिंग की प्रक्रिया बीते 22 सितंबर से चल रही है. रविवार को दक्षिण कोरियाई इंजीनियर जैकी किम और उनकी टीम ने पुल की लोड टेस्टिंग की. इस दौरान पुल के दोनों टावर पर पड़ रहे दबाव को परखा गया. टेस्टिंग के बाद बताया गया कि पुल के दोनों टावर पर 5 सेंटीमीटर का झुकाव आया है. पुल के झुकाव की सीमा 10 सेंटीमीटर तक निर्धारित की गई है.

dobra chanthi bridge.
डोबरा-चांठी पर लोड टेस्टिंग.

वहीं, टावरों पर लगे स्टील सस्पेंडरों का अधिकतम डिफ्लेक्शन (नीचे की ओर झुकाव) 50 एमएम से अधिक नहीं होना चाहिए. इस दौरान सभी 14 वाहनों के लोड के बावजूद टॉवरों का डिफ्लेक्शन ठीक रहा. अब लोड टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. उसके बाद एप्रोच रोड का कुछ काम बचा है, जिसके बाद पुल के ऊपर से वाहनों का संचालन शुरू किया जाएगा.

डोबरा-चांठी पुल पर 14 लोडेड ट्रक खड़े करके लोड टेस्टिंग हुई.

पढ़ें- मछली पालन की इस विधि में कम पानी-जगह में ले ज्यादा उत्पादन, किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

इस दौरान भाजपा के जिला अध्यक्ष विनोद रतूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के सहयोग से आज यह पुल बनकर तैयार हुआ है. जल्द ही इसे जनता को समर्पित कर दिया जाएगा. वहीं, प्रताप नगर के विधायक विजय सिंह पंवार ने कहा वे प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे इस पुल के उद्घाटन के मौके पर आएं, जिससे क्षेत्र का और विकास भी हो सकेगा. वहीं, प्रतापनगर के लोगों ने कहा कि कई सालों से यह पुल निर्माणाधीन था, जिसके बनने से प्रताप नगर के लोगों की समस्याएं दूर होंगी.

  • जुटाने में अनथक प्रयास किये और तब कोर्ट ने इस पुल को बनाने के निर्देश दिये।
    श्रेय लेने के लिये दाल-भात में मूसर-चंद कई कूद रहे हैं।
    कोई बात नहीं, होता है, काम कोई करता है, श्रेय लेने के लिये कई लोग आगे आ जाते हैं।2/2

    — Kishore Upadhyay (@KupadhyayINC) October 4, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उधर, भाजपा को कार्य का श्रेय लेते देख कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पलटवार किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि श्रेय लेने के लिये कई लोग कूद रहे हैं. कोई बात नहीं काम कोई करता है और श्रेय लेने के लिये कई लोग आगे आ जाते हैं. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कोलेन गान्साल्वेज का आभार व्यक्त करते हुये उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सही तथ्य पेश किए और उनके प्रयास से ही कोर्ट ने इस पुल को बनाने के निर्देश दिये.

गौर हो कि डोबरा-चांठी देश का सबसे लंबा मोटरेबल झूला पुल है. इस पुल से टिहरी झील बेहद खूबसूरत नजर आती है. जानते हैं इस पुल की खूबियां-

  • प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी में रहने वाली करीब 3 लाख से ज्यादा की आबादी को बहुत राहत मिलेगी. 14 साल के लम्बे इंतजार के बाद ये निर्माण कार्य पूरा हुआ है.
  • पहले टिहरी जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी.
  • पुल के शुरू होने के बाद अब यह दूरी घटकर आधी रह जाएगी.
  • ये डबल लेन पुल है, जिसकी लंबाई 440 मीटर है. भारत में 440 मीटर लंबाई वाला ये पहला डबल लेन पुल है.
  • इस पुल की कुल चौड़ाई 7 मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है.
  • इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और उम्र 100 सालों की है.
  • 14 सालों में कई कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींचे हैं.
  • डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण साल 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन काम के दौरान कई समस्याएं सामने आने लगीं.
  • गलत डिजाइन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था.
  • साल 2010 तक इस पुल के निर्माण पर लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे.
  • दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया.
  • पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया और साउथ कोरिया की कंपनी योसीन को यह टेंडर मिला.
  • कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और तेजी से पुल का निर्माण शुरू किया.
  • साल 2018 में एक बार फिर काम रुक गया जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए.
  • तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है.
  • जल्द ही पुल का उद्घाटन किया जाएगा.

पुल बनने से प्रतापनगर क्षेत्र ही नहीं बल्कि उत्तरकाशी जिले के गाजणा पट्टी के लोगों को भी फायदा होगा. साल 2005 के बाद से यहां के लोग कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. एक से दूसरी जगह पहुंचने के लिए सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. डोबरा चांठी पुल पर आवाजाही शुरू होने के बाद ये परेशानी खत्म हो जाएगी.

Last Updated : Oct 5, 2020, 12:34 PM IST
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