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केदार नृत्य की प्रख्यात लोक नृत्यांगना गजला देवी का निधन, साल 1956 के गणतंत्र दिवस परेड में दी थी प्रस्तुति

उत्तराखंड ने लोक नृत्यांगना गजला देवी को खो दिया है. गजला देवी केदार नृत्य की प्रख्यात नृत्यांगना थीं. उन्होंने साल 1956 और 1960 में गणतंत्र दिवस के परेड में नृत्य की प्रस्तुति दी थीं.

gajla devi
गजला देवी
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Published : May 30, 2021, 7:38 PM IST

Updated : May 30, 2021, 8:57 PM IST

टिहरीः केदार नृत्य की प्रख्यात लोक नृत्यांगना गजला देवी का निधन हो गया है. गजला देवी ने साल 1956 और 1960 के गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर केदार नृत्य की प्रस्तुति दी थी. वहीं, उनके निधन पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है. बता दें कि नृत्यांगना गजला देवी का टिहरी के ढुंग, बजियाल गांव (अखोड़ी) में निधन हो गया है. बीते दिनों अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी. जिसके बाद रविवार को उनका निधन हो गया.

gajla devi
गजला देवी.

जानिए कौन थी गजला देवी

गजला देवी उस टीम की अंतिम जीवित नृत्यांगना सदस्य थी, जिसने 1956 और फिर 1960 के दशक में भी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर केदार नृत्य की प्रस्तुति दी थी. तब टिहरी गढ़वाल की यह टीम उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी के निर्देशन में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुई थीं, जिसमें उनके पति भी शामिल थे. गजला देवी तब मात्र 18 या 19 साल की थीं.

gajla devi
पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ गजला.

ये भी पढ़ेंः विलुप्त के कगार पर उत्तराखंड का वाद्य यंत्र 'हुड़का', लोक कला को ऐसे बचा रहा एक छात्र

गरीबी और रोजी-रोटी की संघर्ष में बीता गजला देवी का जीवन

गजला देवी के पति शिवजनी टिहरी गढ़वाल ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के श्रेष्ठ और पारंगत ढोल वादक व लोक गायक हैं. पति-पत्नी कई दशकों से गांव की छानियों में जीवन यापन करते रहे. दोनों गांवों और अन्य जगहों पर अपनी रोजी-रोटी के संघर्ष में लगे रहे. गजला अपने पीछे बेटा, बेटियां, नाती, पोतों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं.

केदार नृत्य कार्यशाला पर भी कोरोना की पड़ी मार

बीते साल गजला देवी ने नई टिहरी में केदार नृत्य कार्यशाला शुरू की थी, जिसमें पति-पत्नी दोनों नई टिहरी आते रहे, लेकिन कोरोना के चलते कार्यशाला रोकनी पड़ी थी.

टिहरीः केदार नृत्य की प्रख्यात लोक नृत्यांगना गजला देवी का निधन हो गया है. गजला देवी ने साल 1956 और 1960 के गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर केदार नृत्य की प्रस्तुति दी थी. वहीं, उनके निधन पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है. बता दें कि नृत्यांगना गजला देवी का टिहरी के ढुंग, बजियाल गांव (अखोड़ी) में निधन हो गया है. बीते दिनों अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी. जिसके बाद रविवार को उनका निधन हो गया.

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गजला देवी.

जानिए कौन थी गजला देवी

गजला देवी उस टीम की अंतिम जीवित नृत्यांगना सदस्य थी, जिसने 1956 और फिर 1960 के दशक में भी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर केदार नृत्य की प्रस्तुति दी थी. तब टिहरी गढ़वाल की यह टीम उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी के निर्देशन में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुई थीं, जिसमें उनके पति भी शामिल थे. गजला देवी तब मात्र 18 या 19 साल की थीं.

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पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ गजला.

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गरीबी और रोजी-रोटी की संघर्ष में बीता गजला देवी का जीवन

गजला देवी के पति शिवजनी टिहरी गढ़वाल ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के श्रेष्ठ और पारंगत ढोल वादक व लोक गायक हैं. पति-पत्नी कई दशकों से गांव की छानियों में जीवन यापन करते रहे. दोनों गांवों और अन्य जगहों पर अपनी रोजी-रोटी के संघर्ष में लगे रहे. गजला अपने पीछे बेटा, बेटियां, नाती, पोतों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं.

केदार नृत्य कार्यशाला पर भी कोरोना की पड़ी मार

बीते साल गजला देवी ने नई टिहरी में केदार नृत्य कार्यशाला शुरू की थी, जिसमें पति-पत्नी दोनों नई टिहरी आते रहे, लेकिन कोरोना के चलते कार्यशाला रोकनी पड़ी थी.

Last Updated : May 30, 2021, 8:57 PM IST
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