टिहरीः जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर संचालित किया जा रहा है. इसका संचालन स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट की ओर से किया जा रहा है, लेकिन अस्पताल में इलाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं. आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से कई मरीजों की सांसत में बन आती है. यहां इलाज के बजाय रेफर किया जाता है. ऐसा ही एक मामला बीते दिनों सामने आया है. जहां डॉक्टर की लापरवाही एक महिला पर भारी पड़ गई.
दरअसल, बीते 26 अक्टूबर को नई टिहरी निवासी 80 साल की महिला सोना देवी घर पर फिसल गई थी. जिससे वो चल नहीं पाई और परिजन उसे घायल अवस्था में जिला अस्पताल बौराड़ी ले गए. जहां पर हड्डी के जूनियर डॉक्टर शिवेंद्र को दिखाया गया. डॉक्टर ने महिला का एक्स-रे करवाया. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने महिला की कहीं पर भी हड्डी नहीं टूटने की बात कही. साथ ही उन्हें महिला को घर ले जाकर दर्द वाली जगह पर सेंकने को कहा गया.
वहीं, जब परिजन महिला को घर ले गए तो दर्द ज्यादा होने लगा. जिसके बाद परिजन महिला को देहरादून के परम हॉस्पिटल ले गए. जहां पर नई टिहरी के जूनियर डॉक्टर की ओर से कराए गए एक्सरे को दिखाया गया. एक्सरे देखने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि महिला की फीमर की हड्डी टूटी हुई है और फ्रैक्चर भी गंभीर है. इसका ऑपरेशन होगा और रॉड डालनी पड़ेगी. जिससे मरीज को मानसिक और शारीरिक परेशानी के कारण आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा. परिजनों ने महिला के इलाज का खर्च डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन से मांगा है.
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टिहरी जिला अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर स्थानीय व्यापारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रोष जताया है. उन्होंने जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड से हटाने की मांग की है. उन्होंने अस्पताल के सीएमएस अमित राय से मिलकर डॉक्टर को हटाने को कहा है. उनका कहना है कि यहां पर मरीजों का इलाज सही ढंग से इलाज नहीं किया जा रहा है. लिहाजा, स्वामी राम हिमालयन जौलीग्रांट का अनुबंध खत्म किया जाए और सरकारी डॉक्टर के जरिए अस्पताल का संचालन करवाएं. उन्होंने स्वामी राम हिमालयन जौलीग्रांट के खिलाफ धरना प्रदर्शन देने की चेतावनी भी दी.
क्या बोले सीएमएसः वहीं, मामले में अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर अमित राय ने कहा कि मामले में लापरवाही को लेकर स्वामी राम हिमालयन जौलीग्रांट के उच्चाधिकारियों से बात की गई है. वो खुद भी कई बार अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और कर्मचारियों को लिखित निर्देश दे चुके हैं कि वो अपना आई कार्ड पहने. जिससे मरीजों को पता चल सके कि वो किस डॉक्टर से अपना इलाज करवा रहे हैं और किससे बात कर रहे हैं, लेकिन इन पर किसी बात का असर नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल बौराड़ी का अनुबंध स्वामी राम हिमालयन जौलीग्रांट के साथ मार्च 2023 तक है. जूनियर डॉक्टर को इलाज करने का अधिकार नहीं होता है, वो सिर्फ कंसल्टेंट के रूप में काम करते हैं. इस मामले में जांच बिठा दी गई है. वहीं, स्थानीय लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार की ओर से बौराड़ी अस्पताल को मार्च के बाद दोबारा से पीपीपी मोड पर दिया गया तो इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा.