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भारत के सबसे लंबे मोटरेबल सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी का CM त्रिवेंद्र ने किया उद्घाटन

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Published : Nov 8, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Nov 8, 2020, 7:54 PM IST

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टिहरी झील के ऊपर बने डोबरा-चांठी पुल का उद्घाटन कर जनता को समर्पित कर दिया है. डोबरा-चांठी देश का सबसे लंबा मोटरेबल झूला पुल (सस्पेंशन ब्रिज) है.

dobra chanti bridge
डोबरा-चांठी पुल

टिहरी: टिहरी झील पर बना देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी जनता को समर्पित कर दिया गया है. जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया. इसके साथ करीब ढाई लाख की आबादी का 14 सालों का इंतजार भी खत्म हो गया है.

dobra chanti bridge
डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण करते सीएम त्रिवेंद्र.

डोबरा-चांठी पुल के निर्माण में खर्च हुए तीन अरब रुपये
डोबरा-चांठी वासियों की समस्याओं को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार में इस पुल को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा. कई सालों से निर्माणाधीन पुल के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एकमुश्त बजट जारी किया. जिसका परिणाम भी जनता के सामने है. इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और इसकी उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है. इस पुल की चौड़ाई 7 मीटर है. जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है. इसके निर्माण में करीब 3 अरब रुपये खर्च हुए हैं.

dobra chanti bridge
डोबरा-चांठी पुल के लोकार्पण के बाद लोगों में भारी उत्साह.

ये भी पढ़ेंः कभी देखी है ऐसी टेस्टिंग? डोबरा-चांठी पुल पर एक साथ खड़े किए 14 लोडेड ट्रक

साल 2006 में डोबरा-चांठी पुल का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन काम के दौरान कई उतार-चढ़ाव और समस्याएं सामने आने लगी. गलत डिजाइन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते साल 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था. साल 2010 में पुल के निर्माण में लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे. दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया. जो 2020 में बनकर तैयार हुआ.

सीएम त्रिवेंद्र ने डोबरा-चांठी पुल का किया उद्घाटन.

पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया. साउथ कोरिया की यूसीन कंपनी को यह टेंडर मिला. कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और जैकी किम की निगरानी में तेजी से पुल का निर्माण शुरू हुआ. साल 2018 में एक बार फिर काम में व्यवधान पड़ा. जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए. तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है. लंबे उतार-चढ़ाव के बाद अब प्रताप नगर की जनता सीधे कम समय में जिला मुख्यालय आ जा सकेगी.

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फसाड लाइट से जगमगाता डोबरा-चांठी पुल.

ये भी पढ़ेंः फसाड लाइट से जगमगाया डोबरा-चांठी पुल, उमड़ी पर्यटकों की भीड़

डोबरा-चांठी पुल में आकर्षक है फसाद लाइट
बता दें कि डोबरा-चांठी पुल पर 5 करोड़ रुपये की लागत से पुल को फसाद लाइट से भी सजाया गया है. क्योंकि, फसाद लाइट कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर लगाई गई हैं. जिसमें रंग-बिरंगी जगमगाती लाइटें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी. साथ ही यह आकर्षक का केंद्र भी बना हुआ है.

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टिहरी झील पर बना डोबरा-चांठी पुल.

पर्यटक स्थल के रूप में उभरेगा डोबरा-चांठी पुल
डोबरा-चांठी पुल एक पर्यटक स्थल भी बनने जा रहा है. यह पुरानी टिहरी की तर्ज पर रोजगार का केंद्र भी होगा. यह जगह कई गांव से जुड़ा है. जो पुरानी टिहरी की कमी दूर करने का काम भी करेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि आपसी भाईचारा, संस्कृति भी जिंदा होगी.

टिहरी: टिहरी झील पर बना देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी जनता को समर्पित कर दिया गया है. जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया. इसके साथ करीब ढाई लाख की आबादी का 14 सालों का इंतजार भी खत्म हो गया है.

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डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण करते सीएम त्रिवेंद्र.

डोबरा-चांठी पुल के निर्माण में खर्च हुए तीन अरब रुपये
डोबरा-चांठी वासियों की समस्याओं को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार में इस पुल को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा. कई सालों से निर्माणाधीन पुल के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एकमुश्त बजट जारी किया. जिसका परिणाम भी जनता के सामने है. इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और इसकी उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है. इस पुल की चौड़ाई 7 मीटर है. जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है. इसके निर्माण में करीब 3 अरब रुपये खर्च हुए हैं.

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डोबरा-चांठी पुल के लोकार्पण के बाद लोगों में भारी उत्साह.

ये भी पढ़ेंः कभी देखी है ऐसी टेस्टिंग? डोबरा-चांठी पुल पर एक साथ खड़े किए 14 लोडेड ट्रक

साल 2006 में डोबरा-चांठी पुल का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन काम के दौरान कई उतार-चढ़ाव और समस्याएं सामने आने लगी. गलत डिजाइन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते साल 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था. साल 2010 में पुल के निर्माण में लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे. दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया. जो 2020 में बनकर तैयार हुआ.

सीएम त्रिवेंद्र ने डोबरा-चांठी पुल का किया उद्घाटन.

पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया. साउथ कोरिया की यूसीन कंपनी को यह टेंडर मिला. कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और जैकी किम की निगरानी में तेजी से पुल का निर्माण शुरू हुआ. साल 2018 में एक बार फिर काम में व्यवधान पड़ा. जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए. तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है. लंबे उतार-चढ़ाव के बाद अब प्रताप नगर की जनता सीधे कम समय में जिला मुख्यालय आ जा सकेगी.

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फसाड लाइट से जगमगाता डोबरा-चांठी पुल.

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डोबरा-चांठी पुल में आकर्षक है फसाद लाइट
बता दें कि डोबरा-चांठी पुल पर 5 करोड़ रुपये की लागत से पुल को फसाद लाइट से भी सजाया गया है. क्योंकि, फसाद लाइट कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर लगाई गई हैं. जिसमें रंग-बिरंगी जगमगाती लाइटें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी. साथ ही यह आकर्षक का केंद्र भी बना हुआ है.

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टिहरी झील पर बना डोबरा-चांठी पुल.

पर्यटक स्थल के रूप में उभरेगा डोबरा-चांठी पुल
डोबरा-चांठी पुल एक पर्यटक स्थल भी बनने जा रहा है. यह पुरानी टिहरी की तर्ज पर रोजगार का केंद्र भी होगा. यह जगह कई गांव से जुड़ा है. जो पुरानी टिहरी की कमी दूर करने का काम भी करेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि आपसी भाईचारा, संस्कृति भी जिंदा होगी.

Last Updated : Nov 8, 2020, 7:54 PM IST
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