टिहरी: दिल्ली के संसद भवन, सिग्नेचर ब्रिज और कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर उत्तराखंड के डोबरा-चांठी पुल पर फसाड लाइट लगायी गयी है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटकों की भीड़ जुट रही है. रंग बिरंगी लाइटों से सजा पुल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज पर लगी फसाड लाइट
42 वर्ग किलोमीटर तक फैली टिहरी झील के ऊपर प्रतापनगर को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज पर फसाड लाइटें लगाई गई हैं. इन लाइटों को इससे पहले संसद भवन, सिग्नेचर ब्रिज और कोलकाता में हावड़ा ब्रिज पर लगाया गया है.
उत्तराखंड में पहली बार लगाई गई फसाड लाइट
डोबरा-चांठी पुल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस पर 6 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक फसाड लाइटिंग सिस्टम लगाया गया है. इस लाइट का पहली बार उत्तराखंड में प्रयोग किया गया है. फसाड लाइटिंग सिस्टम में 20 तरह की थीम अपलोड की गई हैं, जिससे होली, दीवाली, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि महत्वपूर्ण मौकों पर पुल थीम लाइटिंग से जगमग रहेगा.
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कई राज्यों में लग चुकी है फसाड लाइट
डोबरा-चांठी पुल पर फसाड लाइट लगाने वाले आनंद ने बताया कि यह विशेष प्रकार की लाइट होती है. वह जिस स्थान पर लगती है, उसी पर फोकस रहती है. यानी यह रोशनी इधर-उधर नहीं बिखेरती है. इससे पहले हमने इस तरह की लाइट वाराणसी, हैदराबाद सुप्रीम कोर्ट, रेलवे स्टेशन, कोलकाता के हावड़ा ब्रिज पर लगाई है. अब उत्तराखंड में पहली बार डोबरा चांठी पुल पर लगा रहे हैं.
दिल्ली से ऑपरेट होगी फसाड लाइट
जब पुल का उद्घाटन होगा तो उसके बाद इस पुल पर शाम को 7 बजे से रात 9 बजे तक फसाड लाइट रंग-बिरंगी रोशनी देगी. 9 बजे के बाद एक रंग की लाइट जलेगी, जिससे रात को चलने वाले वाहनों को दिक्कत नहीं हो. सबसे आश्चर्य कि उद्घाटन के बाद इस पुल पर लगी फसाड लाइट को दिल्ली से ऑपरेट किया जाएगा, जो अपने आप में नई टेक्नोलॉजी होगी. फसाड लाइट की शुरुआत 2018 में हुई और सबसे पहले यह लाइट दिल्ली में लगाई गई. उसके बाद कई राज्यों में इसे लगाया गया और उत्तराखंड में पहली बार इसे लगाया गया है.