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कमलेश्वर महादेव मंदिर में पूरी रात दीया लेकर खड़े रहे श्रद्धालु, जानें क्या है मान्यता

प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन श्रद्धालुओं की खासा भीड़ देखने को मिली. इस दौरान श्रद्धालुओं ने हाथों में देसी घी के दिए हाथों में लेकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की.

कमलेश्वर महादेव मंदिर में पूरी रात दीया लेकर खड़े रहे श्रद्धालु
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Published : Nov 11, 2019, 8:51 PM IST

श्रीनगर: नगर का सबसे प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर जो कि अपनी पौराणिक महत्ता को लेकर प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध है. यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है, जिसके पीछे लोगों की अपनी अनोखी मान्यता है. वहीं, हर साल चतुर्दशी के दिन निसंतान दम्पति यहां पर दीये के पवित्र अनुष्ठान में शामिल होते हैं.

देवप्रयाग में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. लोगों की मान्यता है कि जिस दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती वो यहां चतुर्दशी के दिन पूजा-अर्चना कर ये सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. इस दौरान अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्नि राज्यों से 175 निसंतान दंपतियों ने मंदिर में खड़े दिए का अनुष्ठान कर संतान प्राप्ति की कामना की.

कमलेश्वर महादेव मंदिर में पूरी रात दीया लेकर खड़े रहे श्रद्धालु

ये भी पढ़ें: विकासनगर: बदहाली के आंसू रो रहा साहिया व्यायामशाला, लोग कर रहे दुरुस्त करने की मांग

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन वेदनी बेला पर शुरू हुए उपवास के बाद रात के 2 बजे महन्त द्वारा शिवलिगं के सामने विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें 100 व्यजनों का भोग लगाकर शिवलिंह को मक्खन से ढक दिया जाता है. जिसके बाद निसंतान दंपति को अनुष्ठान पूरा करने के लिए जलता हुआ दीया लेकर पूरी रात ओम नमः शिवाय का जप करते हुए खड़ा रहना पड़ता है.

श्रीनगर: नगर का सबसे प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर जो कि अपनी पौराणिक महत्ता को लेकर प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध है. यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है, जिसके पीछे लोगों की अपनी अनोखी मान्यता है. वहीं, हर साल चतुर्दशी के दिन निसंतान दम्पति यहां पर दीये के पवित्र अनुष्ठान में शामिल होते हैं.

देवप्रयाग में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. लोगों की मान्यता है कि जिस दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती वो यहां चतुर्दशी के दिन पूजा-अर्चना कर ये सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. इस दौरान अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्नि राज्यों से 175 निसंतान दंपतियों ने मंदिर में खड़े दिए का अनुष्ठान कर संतान प्राप्ति की कामना की.

कमलेश्वर महादेव मंदिर में पूरी रात दीया लेकर खड़े रहे श्रद्धालु

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बैकुंठ चतुर्दशी के दिन वेदनी बेला पर शुरू हुए उपवास के बाद रात के 2 बजे महन्त द्वारा शिवलिगं के सामने विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें 100 व्यजनों का भोग लगाकर शिवलिंह को मक्खन से ढक दिया जाता है. जिसके बाद निसंतान दंपति को अनुष्ठान पूरा करने के लिए जलता हुआ दीया लेकर पूरी रात ओम नमः शिवाय का जप करते हुए खड़ा रहना पड़ता है.

Intro:Body:श्रीनगर गढ़वाल

एंकर- श्रीनगर का प्राचीन कमलेश्वर महादेव मन्दिर जो अपनी एतिहासिकता और अपनी पौराणिक महत्ता को लेकर प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध है यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी का दिन हजारों लोगों का हुुजुम उमड़ता है जिसके पीछे एक अनोखी मान्यता है । हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन यहां निसन्तान दम्पति खड़े दीये के पवित्र अनुष्ठान मे शामिल होते हंै उसे सन्तान सुख की प्राप्ति होती है। इस साल भी ये अनुष्ठान उसी भव्यता के साथ हुआ जिसमे देश के विभिन्नि राज्यो से 175 निसन्तान दम्पितियांे ने मन्दिर के अनुष्ठान मे शामिल हुए देखिए एक रिर्पोट-

वीओ 1 . भक्ति मे डूबे लोग, भोले नाथ के जय कारो से गुजंता परिसर भगवान शिव के प्रसिद्ध कमलेश्वर मन्दिर मे भक्तांे का ये हूजूम, कलियुग मे भी ये कठोर पूजा, ये तस्वीरंे श्रीनगर गढवाल के कमलेश्वर महादेव मन्दिर की है। जहां ंहर साल बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन एक विशेष अनुष्ठान पूरा हेाता है। कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर प्रति वर्ष लगने वाले ऐतिहासिक व धार्मिक मेले का अपना महत्व है। हजारांे दर्शनार्थी भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर जहां मेले का उल्लासपूवर्क आनंद उठाते है। वहीं निस्तान दम्पत्ति बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व की रात्रि को घी का दीप प्रज्वति कर रात भर खडे होकर भगवान शिव की स्तुति करते है । रात्री भर यहंा निसन्तान दम्पति मे ओम नम शिवाय का जप करते हंै। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को खड़े दीये के अनुष्ठान का विशेष महत्व है , यहंा जो भी निसन्तान दम्पति इस दिन खड़े दिये की पूजा करता है उसे सन्तान सुख की प्राप्ति होती है । इसी श्रद्धा देश के अलग अलग राज्यांे समेत प्रवासी भारतीय दम्पतियांे ने भी इस बार 175 दम्पति ने खड़े दीये के अनुष्ठान पूरा किया।


बाइट1- श्रद्वालु दिल्ली से आये
बाइट2- श्रद्वालु प्रवासी
बाइट3 स्थानिए

विओ 2- खड़े दिये की पूजा वो कठिन पूजा है जिसे निसन्तान दम्पति को पूरी रात भर जाग कर हाथों मे घी के दीपक लिये पूरा करना पड़ता है बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन के वेदनी बेला पर शुरू हुए उपवास के बाद रात्रि के 2 बजे महन्त द्वारा शिवलिगं के आगे एक विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमे 100 व्यजनों का भोग लगाकर शिवलिगं को मक्खन से ढका दिया जाता है जिसमे बाद निसन्तान दम्पति को अनुष्ठान पूरा करना होता है जिस अनुष्ठान के तहत वे जलता हुआ दीया लेकर पूरी रात ओम नम शिवाय का जप करते हुए खड़े रहते है।


बाइट4-श्रद्वालु
बाइट5-आसुतोष पुरी महंत कमलेश्वर मंदीर

वीओ 3- मध्य हिमालय तलहटी में बसा अलकनंदा नदी के किनारें स्थापित पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर से श्रद्धालुआंे की अटूट आस्था के पीछे कई किवदिन्तयां है। मन्दिर से जुडी मान्यता है की भगवान विष्णु ने देवासुर सग्रांम के दौरान भगवान शिव की सुर्दशन चक्र प्राप्ति के लिए कमलेश्वर मन्दिर मे भगवान शिव की घोर तपस्या की और सहस्त्र कमलांे से भगवान शिव को चढाये भगवान विष्णु ने अन्तिम कमल के रूप मे अपने कमल रूपी नेत्र भगवान शिव को चढाये जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हे सुर्दशन चक्र वरदान प्रदान किया यहीं कारण है कि इस शिववालय का नाम कमलेश्वर महादेव मन्दिर पड़ा । वहंी द्वापर युग मे भगवान श्रीकृष्ण ने जामवतीं के कहने पर कमलेश्वर मन्दिर मे भगवान शिव की आराधना की जिसके बाद उन्हे स्वाम नामक पुत्र की प्राप्ति हुई इस अनुष्ठान को एक निसन्तान दम्पति ने देखा और शिव की आराधना के बाद उन्हे भी सन्तान प्राप्ति हुई। मन्दिर से जुडी एक ओर मान्यता के अनुसार ब्रहम हत्या से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम चन्द्र जी ने भी ब्रहम हत्या से बचने के लिए इसी स्थल पर शिव की तपस्या की ।तब से ये अनुष्ठान यहां बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन पूरा होता है और जिन निसन्तान दम्पति को सन्तान प्राप्ति होती है वे भी यहां इसी दिन अपने पुत्र पुत्री को लाकर यहां इस अनुष्ठान मे पूजा अर्चना करते हैं। Conclusion:
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