श्रीनगर: नगर का सबसे प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर जो कि अपनी पौराणिक महत्ता को लेकर प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध है. यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है, जिसके पीछे लोगों की अपनी अनोखी मान्यता है. वहीं, हर साल चतुर्दशी के दिन निसंतान दम्पति यहां पर दीये के पवित्र अनुष्ठान में शामिल होते हैं.
देवप्रयाग में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. लोगों की मान्यता है कि जिस दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती वो यहां चतुर्दशी के दिन पूजा-अर्चना कर ये सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. इस दौरान अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्नि राज्यों से 175 निसंतान दंपतियों ने मंदिर में खड़े दिए का अनुष्ठान कर संतान प्राप्ति की कामना की.
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बैकुंठ चतुर्दशी के दिन वेदनी बेला पर शुरू हुए उपवास के बाद रात के 2 बजे महन्त द्वारा शिवलिगं के सामने विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें 100 व्यजनों का भोग लगाकर शिवलिंह को मक्खन से ढक दिया जाता है. जिसके बाद निसंतान दंपति को अनुष्ठान पूरा करने के लिए जलता हुआ दीया लेकर पूरी रात ओम नमः शिवाय का जप करते हुए खड़ा रहना पड़ता है.