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टिहरी: करोड़ों की पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, ग्रामीणों को नहीं मिला लाभ

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Published : Mar 7, 2020, 2:21 PM IST

Updated : Mar 7, 2020, 3:02 PM IST

घनसाली विधानसभा क्षेत्र में बना रानीगढ़ पेयजल योजना में घोटाले का मामला सामने आया है. दरअसल जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए आधी अधूरी योजना को हैंड ओवर ले लिया.

drinking water scheme
6 करोड़ की पेयजल योजना जल संस्थान व जल निगम ने चढ़ा दी भष्ट्रचार की भेंट

टिहरी: जिले के घनसाली विधानसभा क्षेत्र के नगर पंचायत में बना रानीगड़ पेयजल योजना में घोटाले का मामला सामने आया है. इस योजना में जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों ने इसकी कार्यप्रणाली, फिल्टर टैंक व पाइप लाइन के निर्माण पर एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े किए है. जिस कारण से यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है.

करोड़ों की पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, ग्रामीणों को नहीं मिला लाभ

बता दें कि क्षेत्र के घनसाली विधानसभा में 6 करोड़ की लागत से रानीगढ़ पेयजल योजना का निर्माण करवाया गया था. लेकिन इस योजना के फिल्टर टैंक से ग्रामीणों को एक दिन भी पानी नही मिला सका है. योजना में जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों ने इसकी कार्यप्रणाली, फिल्टर टैंक व पाइप लाइन के निर्माण पर एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े किए हैं.

सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, जल निगम ने जल संस्थान को आधी अधूरी योजना जल संस्थान को हैंड ओवर कर दिया. मानकों के अनुरूप न बनी पेयजल योजना को के खिलाफ जल संस्थान के अधिकारी व जल निगम के अधिकारी आपस में एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े कर रहे है. मिली जानकारी के तहत जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने आपस में मिलकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए योजना को आधी- अधूरी हैंडओवर ले लिया.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बड़ा सड़क हादसा, धनौल्टी के पास खाई में गिरी मैक्स, 6 की मौत

जबकि, जहां पेयजल योजना का जल स्रोत है वहां से और फिल्टर टैंक तक पाइप लाइन का एलाइनमेंट पूरी तरह से मानकों के विपरीत है. ऐसी जगह पर फिल्टर टैंक बनाया गया है जहां पर किसी भी तरह का कोई स्रोत नहीं है. दूसरा फिल्टर टैंक पर स्थानीय डस्ट का उपयोग किया गया है, जबकि फिल्टर टैंक के लिए बाहर से डस्ट मंगवाई जाती है. पाइप लाइन का एलाइनमेंट स्रोत से फिल्टर टैंक तक सीधा नहीं बनाया गया है. फिल्टर टैंक की छत पूरी तरह खुली हुई है उसमें जाली नहीं लगाई गई है, जिससे पानी पानी दूषित हो सकता है.

ये भी पढ़ें: भवनों में दरारें पड़ने से घबराए ग्रामीण, विभागीय अधिकारियों से की जल्द कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों ने जल निगम और जल संस्थान के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि 6 करोड़ की रानीगढ़ पेयजल योजना को भ्रष्टाचार के हवाले कर दी है क्योंकि जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह का भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है. जो कागजों में साफतौर पर दिखाई दे रहा है.

जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीडीओ अभिषेक रोहिल्ला सहित पांच लोगों की कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि जो भी भ्रष्टाचार में सलिप्त होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

टिहरी: जिले के घनसाली विधानसभा क्षेत्र के नगर पंचायत में बना रानीगड़ पेयजल योजना में घोटाले का मामला सामने आया है. इस योजना में जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों ने इसकी कार्यप्रणाली, फिल्टर टैंक व पाइप लाइन के निर्माण पर एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े किए है. जिस कारण से यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है.

करोड़ों की पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, ग्रामीणों को नहीं मिला लाभ

बता दें कि क्षेत्र के घनसाली विधानसभा में 6 करोड़ की लागत से रानीगढ़ पेयजल योजना का निर्माण करवाया गया था. लेकिन इस योजना के फिल्टर टैंक से ग्रामीणों को एक दिन भी पानी नही मिला सका है. योजना में जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों ने इसकी कार्यप्रणाली, फिल्टर टैंक व पाइप लाइन के निर्माण पर एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े किए हैं.

सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, जल निगम ने जल संस्थान को आधी अधूरी योजना जल संस्थान को हैंड ओवर कर दिया. मानकों के अनुरूप न बनी पेयजल योजना को के खिलाफ जल संस्थान के अधिकारी व जल निगम के अधिकारी आपस में एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े कर रहे है. मिली जानकारी के तहत जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने आपस में मिलकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए योजना को आधी- अधूरी हैंडओवर ले लिया.

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जबकि, जहां पेयजल योजना का जल स्रोत है वहां से और फिल्टर टैंक तक पाइप लाइन का एलाइनमेंट पूरी तरह से मानकों के विपरीत है. ऐसी जगह पर फिल्टर टैंक बनाया गया है जहां पर किसी भी तरह का कोई स्रोत नहीं है. दूसरा फिल्टर टैंक पर स्थानीय डस्ट का उपयोग किया गया है, जबकि फिल्टर टैंक के लिए बाहर से डस्ट मंगवाई जाती है. पाइप लाइन का एलाइनमेंट स्रोत से फिल्टर टैंक तक सीधा नहीं बनाया गया है. फिल्टर टैंक की छत पूरी तरह खुली हुई है उसमें जाली नहीं लगाई गई है, जिससे पानी पानी दूषित हो सकता है.

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स्थानीय लोगों ने जल निगम और जल संस्थान के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि 6 करोड़ की रानीगढ़ पेयजल योजना को भ्रष्टाचार के हवाले कर दी है क्योंकि जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह का भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है. जो कागजों में साफतौर पर दिखाई दे रहा है.

जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीडीओ अभिषेक रोहिल्ला सहित पांच लोगों की कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि जो भी भ्रष्टाचार में सलिप्त होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Mar 7, 2020, 3:02 PM IST
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