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यंग फार्मर स्कूल से बदलेगी किसानों की किस्मत, युवाओं को दिए गए टिप्स - रुद्रप्रयाग क्षेत्र के  पुराने विकास भवन में संचालित यंग फार्मर स्कूल

रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन में संचालित यंग फार्मर स्कूल में उपस्थित युवाओं को सौर एवं प्राकृतिक ऊर्जा के प्रयोग और संरक्षण की जानकारी दी गई.

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यंग फार्मर स्कूल
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Published : Dec 13, 2019, 9:10 PM IST

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय के पुराने विकास भवन में यंग फार्मर स्कूल चलाया जा रहा है. स्कूल में उपस्थित युवाओं को ऊर्जा दक्ष कृषि पम्प सेट एवं ऊर्जा संरक्षण की जानकारी दी गई. इस मौके पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि यदि सम्पूर्ण सौर विकिरणों का उपयोग कर लिया जाए तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा को सौर ऊर्जा से ही प्राप्त किया जा सकता है.

रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन में संचालित यंग फार्मर स्कूल.

मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त एक अक्षय स्रोत है और पर्यावरण के अनुकूल भी है. साथ ही ये ऊर्जा अप्रदूषणकारी एवं अक्षुण भी होती है. इसका उपयोग अनाज सुखाने, कृषि यंत्र चलाने, खाना पकाने, जल ऊष्मन व अन्य घरेलू कार्यो में भी किया जा सकता है. वर्तमान में सर्वाधिक ऊर्जा की प्राप्ति कोयले के खनन से प्राप्त होती है जो अनवीकरणीय ऊर्जा है. समय की मांग व आपूर्ति के हिसाब से सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि ये निरन्तर प्राप्त होने वाली ऊर्जा है.

ये भी पढें: ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर खाई में गिरा ट्रक, चालक-परिचालक की दर्दनाक मौत

इससे पहले कार्यक्रम के दौरान केवी के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश चौरसिया ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा युक्त छोटे संयत्र जैसे सोलर पावर स्प्रेयर, सोलर वाइल्ड एनिमल रिपलेन्ट, सोलर स्प्रिन्कलर पम्प और सोलर ड्रिप इंटीग्रेशन पम्प का प्रयोग कर काफी हद तक कृषि श्रम व डीजल की बचत की जा सकती है. इससे धन व समय दोनों की बचत होगी.

इसके अतिरिक्त पवन चक्की एवं जल से चलने वाली चक्कियों का प्रयोग करके विद्युत की खपत को भी कम किया जा सकता है. असिंचित क्षेत्रों में जहां पानी पहुंचना कठिन है, वहां पूसा हाइड्रोजैल का उपयोग काफी लाभकारी हो सकता है.

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय के पुराने विकास भवन में यंग फार्मर स्कूल चलाया जा रहा है. स्कूल में उपस्थित युवाओं को ऊर्जा दक्ष कृषि पम्प सेट एवं ऊर्जा संरक्षण की जानकारी दी गई. इस मौके पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि यदि सम्पूर्ण सौर विकिरणों का उपयोग कर लिया जाए तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा को सौर ऊर्जा से ही प्राप्त किया जा सकता है.

रुद्रप्रयाग के पुराने विकास भवन में संचालित यंग फार्मर स्कूल.

मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त एक अक्षय स्रोत है और पर्यावरण के अनुकूल भी है. साथ ही ये ऊर्जा अप्रदूषणकारी एवं अक्षुण भी होती है. इसका उपयोग अनाज सुखाने, कृषि यंत्र चलाने, खाना पकाने, जल ऊष्मन व अन्य घरेलू कार्यो में भी किया जा सकता है. वर्तमान में सर्वाधिक ऊर्जा की प्राप्ति कोयले के खनन से प्राप्त होती है जो अनवीकरणीय ऊर्जा है. समय की मांग व आपूर्ति के हिसाब से सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि ये निरन्तर प्राप्त होने वाली ऊर्जा है.

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इससे पहले कार्यक्रम के दौरान केवी के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश चौरसिया ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा युक्त छोटे संयत्र जैसे सोलर पावर स्प्रेयर, सोलर वाइल्ड एनिमल रिपलेन्ट, सोलर स्प्रिन्कलर पम्प और सोलर ड्रिप इंटीग्रेशन पम्प का प्रयोग कर काफी हद तक कृषि श्रम व डीजल की बचत की जा सकती है. इससे धन व समय दोनों की बचत होगी.

इसके अतिरिक्त पवन चक्की एवं जल से चलने वाली चक्कियों का प्रयोग करके विद्युत की खपत को भी कम किया जा सकता है. असिंचित क्षेत्रों में जहां पानी पहुंचना कठिन है, वहां पूसा हाइड्रोजैल का उपयोग काफी लाभकारी हो सकता है.

Intro:समय की मांग व आपूर्ति के हिसाब से सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प
पुराने विकास भवन में यंग फार्मरों को सौर ऊर्जा की दी जानकारी
रुद्रप्रयाग। पुराने विकास भवन में संचालित यंग फार्मर स्कूल मेें उपस्थित युवाओं को ऊर्जा दक्ष कृषि पम्प सैट एवं ऊर्जा संरक्षण की जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि यदि सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा की आपूर्ति सौर ऊर्जा से ही प्राप्त हो जाएगी। Body:उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त एक अक्षय स्त्रोत व पर्यावरण अनुकूल है। सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा विस्तारित, अप्रदूषणकारी व अक्षुण है। इसका उपयोग अनाज सुखाने, कृषि यंत्र चलाने, खाना पकाने, जल ऊष्मन व अन्य घरेलू कार्यो में भी किया जाता है। वर्तमान में सर्वाधिक ऊर्जा की प्राप्ति कोयले के खुदान से प्राप्त होती है, जो कि अनंवीकरणीग ऊर्जा है। समय की मांग व आपूर्ति के हिसाब से सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प है। यह निरन्तर प्राप्त होने वाली ऊर्जा है।
केवी के वैज्ञानिक डाॅ दिनेश चैरसिया ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा युक्त छोटे संयत्र जैसे सोलर पावर स्प्रेयर, सोलर वाइल्ड एनिमल रिपलेन्ट, सोलर स्प्रिन्कलर पम्प, सोलर ड्रिप इंटीग्रेशन पम्प का प्रयोग कर काफी हद तक कृषि श्रम व डीजल-पेट्रोल से चलने वाले यन्त्रों में हो रहे धन व समय की खपत को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पवन चक्की-जल से चलने वाली चक्कियों के प्रयोग से काफी हद तक विद्युत खपत को भी कम किया जा सकता है। असिंचित क्षेत्रों में जहां पानी पहुंचना कठिन है वहां पूसा हाइड्रो जैल का उपयोग काफी लाभकारी रहा है। परियोजना उरेडा संदीप सैनी ने ऊर्जा के संरक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।Conclusion:
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