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शिव-पार्वती विवाह स्थल को पिकनिक स्पॉट बनाने का आरोप, त्रियुगीनारायण के ग्रामीणों ने की ये मांग - Allegations of tarnishing the image of Triyuginarayan

शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण को पिकनिक स्पाॅट बनाए जाने पर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उन्होंने एजेंटों की ओर से करवाई जा रही शादियों पर रोक लगाने की मांग की है. साथ ही मंदिर का माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया. जानिए क्या है त्रियुगीनारायण की महिमा और कैसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरा.

Triyuginarayan Temple
त्रियुगीनारायण मंदिर
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Published : Apr 21, 2022, 6:21 PM IST

Updated : Apr 21, 2022, 7:19 PM IST

रुद्रप्रयागः शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण को भले ही देश में वेडिंग डेस्टिनेशन के नाम से जाना जाता हो, लेकिन आस्था के इस पवित्र केंद्र को अब व्यावसायिक रूप देने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. स्थानीय लोगों की मानें तो धार्मिक स्थल को पिकनिक स्पॉट बनाया जा रहा है, जिससे आस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

त्रियुगीनारायण में शादी का क्रेज बढ़ा: बता दें कि ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण (Triyuginarayan Temple) स्थित शिव-पार्वती विवाह स्थल मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में लोग विवाह करने आते हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने इस स्थान को वेडिंग डेस्टिनेशन (Wedding Destination Triyuginarayan) के नाम से मशहूर किया. वर्तमान में यहां हर प्रदेश से लोग विवाह करने पहुंचते हैं. लेकिन इस क्षेत्र में अब शादी के लिए एजेंटों की ओर से लोगों को लाकर व्यावसायिक रूप दिया जा रहा है. इसका ग्रामीणों व तीर्थ पुरोहितों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.

ये भी पढ़ेंः वेडिंग डेस्टिनेशन के रुप में लोकप्रिय हो रहा त्रियुगीनारायण मंदिर, शिव-पार्वती की शादी से जुड़ा है इतिहास

त्रियुगीनारायण के ग्रामीणों ने की बैठक: नाराज ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण में ग्राम प्रधान प्रियंका तिवारी की अध्यक्षता में आम बैठक की. इसमें ग्रामीणों ने मंदिर का माहौल खराब करने वाले बाहरी एजेंटों पर कार्रवाई की मांग की. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व से ही गांव के तीर्थ पुरोहितों की ओर से पौराणिक रूप से विवाह संपन्न कराए जाते रहे हैं. वर्तमान में बाहरी एजेंट व एनजीओ की ओर से आस्था के साथ खिलवाड़ कर मनमाने ढंग से प्राचीन परंपराओं के विरुद्ध जाकर वैवाहिक कार्य संपंन्न कराए जा रहे हैं. जिसका समस्त ग्रामवासियों की ओर से विरोध व्यक्त किया गया है.

एजेंटों द्वारा कराई जा रही शादियों पर आपत्ति: उन्होंने कहा कि इससे हमारी संस्कृति दूषित हो रही है. साथ ही मर्यादाओं का हनन किया जा रहा है. ग्रामीणों ने प्रस्ताव पारित कर एक ज्ञापन जिलाधिकारी को भी सौंपा है. ग्राम प्रधान त्रियुगीनारायण प्रियंका तिवारी ने बताया कि गांव में हो रही शादियों से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पौराणिक आस्था के साथ खिलवाड़ करना एवं मंदिर स्थलों में शराब पार्टियां कर गांव को दूषित किया जा रहा है, जिस कारण ग्रामीणों में आक्रोश है.

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि एजेंटों की ओर से मंदिर में शादियां न करवाई जाएं. इसके स्थानीय लोगों के हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. साथ ही त्रियुगीनारायण मंदिर आज पिकनिक स्पाॅट बनता जा रहा है. रात के समय में हो-हल्ला जैसा माहौल देखने को मिलता है. साथ ही पार्टियां भी की जाती हैं. यह धार्मिक परंपरा के खिलाफ है, जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा.

नया वेडिंग डेस्टिनेशन त्रियुगीनारायण मंदिरः उत्तराखंड का एक प्राचीन मंदिर जो हाल के दिनों में वैवाहिक अनुष्ठान के लिए लोकप्रिय होने लगा है, वह है त्रियुगीनारायण मंदिर. जिसे त्रिजुगी नारायण भी कहते हैं. यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचा जा सकता है. 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक रूप से मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य नजारा पेश करता है. यहां तक पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है.

सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रेकिंग दूरी 25 किलोमीटर है. केदारनाथ मंदिर की वास्तुशैली की तरह ही यह मंदिर पत्थर और स्थानीय सामग्री से निर्मित है. यह मंदिर विश्व के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था.

ये भी पढ़ेंः टूरिस्ट पैलेस के रूप में विकसित होगा बधाणीताल, त्रियुगीनारायण मंदिर से जुड़ी है मान्यता

भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह स्थल है त्रियुगीनारायण: मंदिर के सामने अविनाशी ज्योति जल रही है. मान्यता है कि यह लौ भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की साक्षी है. मंदिर के समक्ष मौजूद ब्रह्मशिला विवाह के सटीक स्थल की पहचान है. इस मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की चांदी की बनी मूर्ति है. उनके साथ में भगवती लक्ष्मी, भगवान बदरीनारायण, माता सीता-भगवान रामचंद्र और कुबेर की भी मूर्तियां स्थित हैं. इस मंदिर परिसर में चार पवित्र कुंड भी हैं- रुद्र कुंड स्नान के लिए, विष्णु कुंड प्रक्षालन हेतु, ब्रह्म कुंड आचमन के लिए और सरस्वती कुंड तर्पण के लिए.

शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा ने इस मंदिर को नई पीढ़ी के बीच विवाह हेतु बहुत मशहूर कर दिया है. वे यहां आकर अपने विवाह की रस्में संपन्न करना चाहते हैं और दिव्य आशीर्वाद की छाया में अपने जीवन के नए अध्याय का आरंभ करने की इच्छा रखते हैं. मान्यता है कि जो दंपति यहां विवाह संपन्न करते हैं, उनका बंधन सात जन्मों के लिए जुड़ जाता है. इसके साथ ही सनातन धर्म के शैव और वैष्णव सम्प्रदायों को समझने के लिए यह मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थल भी है.

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रुद्रप्रयागः शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण को भले ही देश में वेडिंग डेस्टिनेशन के नाम से जाना जाता हो, लेकिन आस्था के इस पवित्र केंद्र को अब व्यावसायिक रूप देने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. स्थानीय लोगों की मानें तो धार्मिक स्थल को पिकनिक स्पॉट बनाया जा रहा है, जिससे आस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

त्रियुगीनारायण में शादी का क्रेज बढ़ा: बता दें कि ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण (Triyuginarayan Temple) स्थित शिव-पार्वती विवाह स्थल मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में लोग विवाह करने आते हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने इस स्थान को वेडिंग डेस्टिनेशन (Wedding Destination Triyuginarayan) के नाम से मशहूर किया. वर्तमान में यहां हर प्रदेश से लोग विवाह करने पहुंचते हैं. लेकिन इस क्षेत्र में अब शादी के लिए एजेंटों की ओर से लोगों को लाकर व्यावसायिक रूप दिया जा रहा है. इसका ग्रामीणों व तीर्थ पुरोहितों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.

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त्रियुगीनारायण के ग्रामीणों ने की बैठक: नाराज ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण में ग्राम प्रधान प्रियंका तिवारी की अध्यक्षता में आम बैठक की. इसमें ग्रामीणों ने मंदिर का माहौल खराब करने वाले बाहरी एजेंटों पर कार्रवाई की मांग की. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व से ही गांव के तीर्थ पुरोहितों की ओर से पौराणिक रूप से विवाह संपन्न कराए जाते रहे हैं. वर्तमान में बाहरी एजेंट व एनजीओ की ओर से आस्था के साथ खिलवाड़ कर मनमाने ढंग से प्राचीन परंपराओं के विरुद्ध जाकर वैवाहिक कार्य संपंन्न कराए जा रहे हैं. जिसका समस्त ग्रामवासियों की ओर से विरोध व्यक्त किया गया है.

एजेंटों द्वारा कराई जा रही शादियों पर आपत्ति: उन्होंने कहा कि इससे हमारी संस्कृति दूषित हो रही है. साथ ही मर्यादाओं का हनन किया जा रहा है. ग्रामीणों ने प्रस्ताव पारित कर एक ज्ञापन जिलाधिकारी को भी सौंपा है. ग्राम प्रधान त्रियुगीनारायण प्रियंका तिवारी ने बताया कि गांव में हो रही शादियों से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पौराणिक आस्था के साथ खिलवाड़ करना एवं मंदिर स्थलों में शराब पार्टियां कर गांव को दूषित किया जा रहा है, जिस कारण ग्रामीणों में आक्रोश है.

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि एजेंटों की ओर से मंदिर में शादियां न करवाई जाएं. इसके स्थानीय लोगों के हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. साथ ही त्रियुगीनारायण मंदिर आज पिकनिक स्पाॅट बनता जा रहा है. रात के समय में हो-हल्ला जैसा माहौल देखने को मिलता है. साथ ही पार्टियां भी की जाती हैं. यह धार्मिक परंपरा के खिलाफ है, जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा.

नया वेडिंग डेस्टिनेशन त्रियुगीनारायण मंदिरः उत्तराखंड का एक प्राचीन मंदिर जो हाल के दिनों में वैवाहिक अनुष्ठान के लिए लोकप्रिय होने लगा है, वह है त्रियुगीनारायण मंदिर. जिसे त्रिजुगी नारायण भी कहते हैं. यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचा जा सकता है. 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक रूप से मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य नजारा पेश करता है. यहां तक पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है.

सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रेकिंग दूरी 25 किलोमीटर है. केदारनाथ मंदिर की वास्तुशैली की तरह ही यह मंदिर पत्थर और स्थानीय सामग्री से निर्मित है. यह मंदिर विश्व के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था.

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भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह स्थल है त्रियुगीनारायण: मंदिर के सामने अविनाशी ज्योति जल रही है. मान्यता है कि यह लौ भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की साक्षी है. मंदिर के समक्ष मौजूद ब्रह्मशिला विवाह के सटीक स्थल की पहचान है. इस मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की चांदी की बनी मूर्ति है. उनके साथ में भगवती लक्ष्मी, भगवान बदरीनारायण, माता सीता-भगवान रामचंद्र और कुबेर की भी मूर्तियां स्थित हैं. इस मंदिर परिसर में चार पवित्र कुंड भी हैं- रुद्र कुंड स्नान के लिए, विष्णु कुंड प्रक्षालन हेतु, ब्रह्म कुंड आचमन के लिए और सरस्वती कुंड तर्पण के लिए.

शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा ने इस मंदिर को नई पीढ़ी के बीच विवाह हेतु बहुत मशहूर कर दिया है. वे यहां आकर अपने विवाह की रस्में संपन्न करना चाहते हैं और दिव्य आशीर्वाद की छाया में अपने जीवन के नए अध्याय का आरंभ करने की इच्छा रखते हैं. मान्यता है कि जो दंपति यहां विवाह संपन्न करते हैं, उनका बंधन सात जन्मों के लिए जुड़ जाता है. इसके साथ ही सनातन धर्म के शैव और वैष्णव सम्प्रदायों को समझने के लिए यह मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थल भी है.

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Last Updated : Apr 21, 2022, 7:19 PM IST
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