रुद्रप्रयाग: कभी चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव (Chardham Yatra padaw) कहा जाने वाला नरकोटा बाजार (Rudraprayag Narkota Bazar) आज अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. रेल परियोजना से बाजार समाप्त हो गया और इसका उन्हें कोई फायदा नहीं मिला. बाजार के बदले आज तक नया बाजार तैयार नहीं हो पाया है. कुल मिलाकर रेल परियोजना (Uttarakhand Rail Project) से ग्रामीणों को नुकसान हुआ है और हर दिन समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं.
हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त होने से कई नाली जमीन बंजर पड़ी है. ये सच है की रेल परियोजना विकास के लिए जरूरी है, लेकिन इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. परियोजना निर्माण के दौरान ग्रामीणों की जिंदगी भर की कमाई से बने घरों को ध्वस्त किया गया. ऐसे में इसका विरोध कर आंदोलन करना अब ग्रामीणों की मजबूरी हो गई है.
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ग्रामीणों का कहना है कि आरबीएनएल कंपनी आखिर क्यों अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है. जबकि प्रभावित गांव के ग्रामीणों को परियोजना निर्माण से कोई नुकसान ना पहुंचे, ये जिम्मेदारी कंपनी की है. साथ ही निर्माण इस तरह से किया जाय की ग्रामीणों और उनके आजीविका का कोई नुकसान न पहुंचे. बावजूद इसके सरकार की नीतियों और परियोजना निर्माण के मानकों की अनदेखी की जा रही है.
ग्रामीण भगवती प्रसाद भट्ट ने कहा कि रेल विकास निगम नरकोटा गांव की अनदेखी कर रहा है. ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. क्षेत्रीय विधायक भी कभी समस्याएं सुनने नहीं आए. धूल, प्रदूषण और विस्फोटों से ग्रामीण जनता परेशान है. रेल परियोजना निर्माण से ग्रामीणों की सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे खेत बंजर पड़े हैं. मंदिर का रास्ता ध्वस्त कर दिया गया है. वहीं प्रभावित रमेश सिलोडी ने कहा कि कुछ ग्रामीणों को रोजगार मिला है, मगर अभी भी सैकड़ों ग्रामीण बेरोजगार हैं. ऐसे ग्रामीण भी हैं, जो बहुत गरीब परिवार से हैं, उनकी कोई सुनने वाला नहीं है.
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वहीं जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि आरबीएनएल कंपनी को सावधानी के साथ कार्य करने के निर्देश दिये गये हैं, जिससे नरकोटा गांव को कोई नुकसान न पहुंचे और ग्रामीणों की सम्पत्ति बर्बाद न हो. उन्होंने कहा कि जिस भी चीज का ग्रामीणों को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए कंपनी को कहा जायेगा.