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तुंगनाथ मंदिर परिसर में पर्यटकों ने फैलाई गंदगी, स्थानीय लोग आक्रोशित - Tourists spread dirt in Tungnath temple

तुंगनाथ धाम में इन दिनों भारी बर्फबारी का लुत्फ लेने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचे रहे हैं. जिसकी वजह से वहां गंदगी का अंबार लग गया है. वहीं, धाम में फैले गंदगी को लेकर स्थानीयों में रोष देखा जा रहा है. लोगों का कहना है कि प्रशासन को कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.

tourists in Tungnath Dham
तुंगनाथ धाम में बढ़ी पर्यटकों की हलचल
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Published : Mar 17, 2022, 4:42 PM IST

रुद्रप्रयाग: तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुंगनाथ धाम में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है. गंदगी फैलने के कारण इको सिस्टम पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. स्थानीय हक-हकूकधारी लंबे समय से कपाट बंद होने के बाद धाम में किसी भी प्रकार की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. जिस कारण धाम की सुंदरता भी बदरंग होती जा रही है.

बता दें कि तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद हैं. बावजूद इसके सैकड़ों की संख्या में पर्यटक धाम पहुंच रहे हैं. चोपता-दुगलबिट्टा में बर्फ नहीं होने के कारण पर्यटक तुंगनाथ धाम पहुंच रहे हैं और मंदिर परिसर के साथ ही पैदल मार्ग के जगह-जगह कूड़ा फेंक रहे हैं. जिससे धाम की पवित्रता प्रभावित हो रही है. विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद लगातार पर्यटकों की आवाजाही हो रही है, जिस कारण पैदल मार्ग से लेकर मंदिर परिसर तक कूड़े के ढेर लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: पहाड़ों में होल्यार मना रहे पहाड़ी होली, द्वारे-द्वारे दे रहे दस्तक, वर्षों पुराना अंदाज आज भी कायम

चोपता से तुंगनाथ व चंद्रशिला पैदल ट्रैक पर शीतकाल में बर्फबारी के बाद हजारों पर्यटक पहुंचते हैं, इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. चोपता से लेकर तुंगनाथ तक एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. यहां आने वाले हजारों पर्यटक पानी की बोतलें, खाने पीने की सामग्री, कूड़ा व कचरे को आसपास फेंक देते हैं. जिससे कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. स्थानीय हक-हकूकधारी लंबे समय से कपाट बंद होने के बाद धाम में किसी भी प्रकार की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इनकी एक नहीं सुनी जा रही है.

स्थानीयों का कहना है कि कपाट बंद होने के बाद छह माह तक भगवान शिव समाधि अवस्था में होते हैं. इसलिए उनकी समाधि को भंग करना ठीक नहीं है. तुंगनाथ मंदिर के पुजारी रामप्रसाद मैठाणी ने कहा कि शीतकाल में मानव प्रवेश निषेध होता है. इस समय धाम में आवाजाही करना हमारी पौराणिक परंपरा के खिलाफ है. दो सप्ताह पूर्व भी हक-हकूकधारी मक्कू गांव के ग्रामीणों ने पर्यटकों की आवाजाही पर रोष प्रकट किया था.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को बताया जा चुका है, लेकिन प्रशासन इस संबंध में कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है. तुंगनाथ मंदिर के प्रबंधक बलबीर नेगी ने बताया कि धाम में पर्यटकों की आवाजाही के कारण गंदगी फैल गई है, जिसके लिए टीम भेज दी गई. उन्होंने कहा कि धाम सहित पैदल मार्ग पर गंदगी फैलने के बाद टीम को भेजा जाता है. धाम में अभी भी बर्फबारी हो रही है, जिस कारण जाने में दिक्कतें होती हैं. ऐसे में मौसम साफ होने पर कूड़े-कचरे की समस्या का समाधान किया जाता है.

रुद्रप्रयाग: तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुंगनाथ धाम में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है. गंदगी फैलने के कारण इको सिस्टम पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. स्थानीय हक-हकूकधारी लंबे समय से कपाट बंद होने के बाद धाम में किसी भी प्रकार की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. जिस कारण धाम की सुंदरता भी बदरंग होती जा रही है.

बता दें कि तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद हैं. बावजूद इसके सैकड़ों की संख्या में पर्यटक धाम पहुंच रहे हैं. चोपता-दुगलबिट्टा में बर्फ नहीं होने के कारण पर्यटक तुंगनाथ धाम पहुंच रहे हैं और मंदिर परिसर के साथ ही पैदल मार्ग के जगह-जगह कूड़ा फेंक रहे हैं. जिससे धाम की पवित्रता प्रभावित हो रही है. विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद लगातार पर्यटकों की आवाजाही हो रही है, जिस कारण पैदल मार्ग से लेकर मंदिर परिसर तक कूड़े के ढेर लगे हुए हैं.

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चोपता से तुंगनाथ व चंद्रशिला पैदल ट्रैक पर शीतकाल में बर्फबारी के बाद हजारों पर्यटक पहुंचते हैं, इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. चोपता से लेकर तुंगनाथ तक एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. यहां आने वाले हजारों पर्यटक पानी की बोतलें, खाने पीने की सामग्री, कूड़ा व कचरे को आसपास फेंक देते हैं. जिससे कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. स्थानीय हक-हकूकधारी लंबे समय से कपाट बंद होने के बाद धाम में किसी भी प्रकार की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इनकी एक नहीं सुनी जा रही है.

स्थानीयों का कहना है कि कपाट बंद होने के बाद छह माह तक भगवान शिव समाधि अवस्था में होते हैं. इसलिए उनकी समाधि को भंग करना ठीक नहीं है. तुंगनाथ मंदिर के पुजारी रामप्रसाद मैठाणी ने कहा कि शीतकाल में मानव प्रवेश निषेध होता है. इस समय धाम में आवाजाही करना हमारी पौराणिक परंपरा के खिलाफ है. दो सप्ताह पूर्व भी हक-हकूकधारी मक्कू गांव के ग्रामीणों ने पर्यटकों की आवाजाही पर रोष प्रकट किया था.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को बताया जा चुका है, लेकिन प्रशासन इस संबंध में कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है. तुंगनाथ मंदिर के प्रबंधक बलबीर नेगी ने बताया कि धाम में पर्यटकों की आवाजाही के कारण गंदगी फैल गई है, जिसके लिए टीम भेज दी गई. उन्होंने कहा कि धाम सहित पैदल मार्ग पर गंदगी फैलने के बाद टीम को भेजा जाता है. धाम में अभी भी बर्फबारी हो रही है, जिस कारण जाने में दिक्कतें होती हैं. ऐसे में मौसम साफ होने पर कूड़े-कचरे की समस्या का समाधान किया जाता है.

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