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कोरोना ने छीना तुंगनाथ घाटी का पर्यटन, व्यापारियों की बढ़ी चिंता - तुंगनाथ घाटी में पर्यटन रुका

पंच केदारों में चंद्रशिला शिखर की तलहटी में बसे भगवान तुंगनाथ के कपाट खुल गए हैं. तुंगनाथ घाटी की यात्रा न होने से खूबसूरत हिल स्टेशन में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है.

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तुंगनाथ घाटी में रुका पर्यटन.
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Published : May 21, 2020, 10:20 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात और चंद्रशिला शिखर की तलहटी में बसे भगवान तुंगनाथ के कपाट खुल गए हैं. जिसके बाद भी तुंगनाथ घाटी की यात्रा न होने से खूबसूरत हिल स्टेशन में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है. साल भर सैलानियों, तीर्थ यात्रियों और प्रकृति प्रेमियों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में पिछले दो महीने से सैलानियों की आवाजाही ठप पड़ी है.

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तुंगनाथ घाटी में रुका पर्यटन.

यह भी पढ़ें: देहरादून की निरंजनपुर सब्जी मंडी में आढ़ती कोरोना पॉजिटिव, राजधानी में आंकड़ा पहुंचा 50

आने वाले दिनों में अगर प्रदेश सरकार ने स्थानीय तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के प्रयास नहीं किए तो क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है. बता दें कि तुंगनाथ घाटी को प्रकृति ने अपने अदभुत नजारों से सजाया और संवारा है. मिनी स्वीजरलैंड के नाम से खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता इसी घाटी में बसा हुआ है. अधिकांश गढ़वाली फिल्मों की शूटिंग तुंगनाथ घाटी में हुई है.

स्थानीय व्यापारियों को उम्मीद थी कि तीसरे लाॅकडाउन के बाद स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिये. लेकिन लाॅकडाउन के चौथे चरण में भी तीर्थ और पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर लगी रोक से स्थानीय व्यापारियों के अरमानों पर पानी फिर गया है.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात और चंद्रशिला शिखर की तलहटी में बसे भगवान तुंगनाथ के कपाट खुल गए हैं. जिसके बाद भी तुंगनाथ घाटी की यात्रा न होने से खूबसूरत हिल स्टेशन में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है. साल भर सैलानियों, तीर्थ यात्रियों और प्रकृति प्रेमियों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में पिछले दो महीने से सैलानियों की आवाजाही ठप पड़ी है.

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तुंगनाथ घाटी में रुका पर्यटन.

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आने वाले दिनों में अगर प्रदेश सरकार ने स्थानीय तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के प्रयास नहीं किए तो क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है. बता दें कि तुंगनाथ घाटी को प्रकृति ने अपने अदभुत नजारों से सजाया और संवारा है. मिनी स्वीजरलैंड के नाम से खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता इसी घाटी में बसा हुआ है. अधिकांश गढ़वाली फिल्मों की शूटिंग तुंगनाथ घाटी में हुई है.

स्थानीय व्यापारियों को उम्मीद थी कि तीसरे लाॅकडाउन के बाद स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिये. लेकिन लाॅकडाउन के चौथे चरण में भी तीर्थ और पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर लगी रोक से स्थानीय व्यापारियों के अरमानों पर पानी फिर गया है.

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