ETV Bharat / state

केदार घाटी में 11 दिन में 4 बार हुआ हिमस्खलन, आज निरीक्षण के लिए पहुंचेगी विशेषज्ञों की टीम - terrestrial inspection of avalanche causes

केदारनाथ की पहाड़ियों पर भूस्खलन ने आम लोगों के साथ सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है. केदार घाटी में 11 दिन में 4 बार हिमस्खलन होने की घटना को लेकर उत्तराखंड सरकार गंभीर हो गई है. आज उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित की गई टीम केदारनाथ जाकर हिमस्खलन के कारणों का स्थलीय निरीक्षण करेगी.

Kedarnath Avalanche
केदारनाथ हिमस्खलन
author img

By

Published : Oct 3, 2022, 9:48 AM IST

Updated : Oct 3, 2022, 1:06 PM IST

देहरादून: केदार घाटी में हो रहे हिमस्खलन का अध्ययन करने के लिए टीम रवाना होगी. वाडिया इंस्टीट्यूट के 2 वैज्ञानिक आज केदारनाथ में उस जगह जाएंगे जहां पिछले 11 दिनों में 4 बार हिमस्खलन हो चुका है.

उत्तराखंड सरकार केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन के स्थलीय निरीक्षण के लिए पहले ही टीम गठित कर चुकी है. वैज्ञानिकों की टीम स्थलीय निरीक्षण और अध्ययन करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. रिपोर्ट तैयार करने के बाद वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम इसे उत्तराखंड सरकार और शासन को सौंप देगी. साथ ही लगातार हो रहे हिमस्खलन को रोकने के उपाय भी सुझाएगी.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ की पहाड़ियों पर फिर हुआ हिमस्खलन, मंदिर सुरक्षित

11 दिन में 4 बार हिमस्खलन: केदारनाथ धाम में मंदिर परिसर से करीब पांच से सात किमी की दूरी पर चौराबाड़ी ग्लेशियर के टूटने की घटनाएं हो रही हैं. बीती 22 सितंबर को हिमस्खलन की पहली घटना हुई. इस दृश्य को लोगों ने कैमरे में कैद किया. इसके बाद 26 सितंबर को केदारनाथ के इसी क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ. 27 सितंबर को भी केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन हुआ था. हालांकि ये घटना रिकॉर्ड नहीं हो पाई थी. 1 अक्टूबर को भी केदारनाथ की पहाड़ी पर हिमस्खलन हुआ था.
सचिव आपदा प्रबंधन ने किया था अध्ययन का आग्रह: केदारनाथ की पहाड़ियों पर 22 सितंबर को जब पहली बार हिमस्खलन हुआ तो आपदा प्रबंधन विभाग तभी अलर्ट हो गया था. सचिव आपदा प्रबंधन को हिमस्खलन की पहली घटना के बाद ही पत्र लिखकर भूगर्भीय टीम से क्षेत्र का अध्ययन कराने का आग्रह किया गया था. चारों घटनाओं से मंदाकिनी का जलस्तर नहीं बढ़ा. न ही किसी प्रकार का कोई नुकसान हुआ. सुरक्षा की दृष्टि से एसडीआरएफ, डीडीआरएफ और केदारनाथ में मौजूद प्रशासनिक टीम को अलर्ट करते हुए निगरान के निर्देश दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ एवलॉन्च: सरकार ने गठित की कमेटी, नदियों के जलस्तर पर भी नजर

वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं: वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते जहां गर्मी और बारिश में बदलाव देखने को मिल रहा, वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्तूबर माह में ही बर्फबारी होने से हिमस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं का मानना है कि फिलहाल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्तूबर में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों की सेहत के लिए तो ठीक है, लेकिन हिमस्खलन की घटनाएं थोड़ी चिंताजनक हैं.

डॉ. साईं का यह भी कहना है कि केदारनाथ क्षेत्र में हिमस्खलन की जो घटनाएं हुई हैं, उससे फिलहाल अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी इतनी ज्यादा बर्फबारी नहीं हुई है कि भारी हिमस्खलन के साथ ही ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं हों.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर का जियोलाॅजिकल सर्वे करेगी टीम, सामने आएगी 'हकीकत'

देहरादून: केदार घाटी में हो रहे हिमस्खलन का अध्ययन करने के लिए टीम रवाना होगी. वाडिया इंस्टीट्यूट के 2 वैज्ञानिक आज केदारनाथ में उस जगह जाएंगे जहां पिछले 11 दिनों में 4 बार हिमस्खलन हो चुका है.

उत्तराखंड सरकार केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन के स्थलीय निरीक्षण के लिए पहले ही टीम गठित कर चुकी है. वैज्ञानिकों की टीम स्थलीय निरीक्षण और अध्ययन करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. रिपोर्ट तैयार करने के बाद वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम इसे उत्तराखंड सरकार और शासन को सौंप देगी. साथ ही लगातार हो रहे हिमस्खलन को रोकने के उपाय भी सुझाएगी.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ की पहाड़ियों पर फिर हुआ हिमस्खलन, मंदिर सुरक्षित

11 दिन में 4 बार हिमस्खलन: केदारनाथ धाम में मंदिर परिसर से करीब पांच से सात किमी की दूरी पर चौराबाड़ी ग्लेशियर के टूटने की घटनाएं हो रही हैं. बीती 22 सितंबर को हिमस्खलन की पहली घटना हुई. इस दृश्य को लोगों ने कैमरे में कैद किया. इसके बाद 26 सितंबर को केदारनाथ के इसी क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ. 27 सितंबर को भी केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन हुआ था. हालांकि ये घटना रिकॉर्ड नहीं हो पाई थी. 1 अक्टूबर को भी केदारनाथ की पहाड़ी पर हिमस्खलन हुआ था.
सचिव आपदा प्रबंधन ने किया था अध्ययन का आग्रह: केदारनाथ की पहाड़ियों पर 22 सितंबर को जब पहली बार हिमस्खलन हुआ तो आपदा प्रबंधन विभाग तभी अलर्ट हो गया था. सचिव आपदा प्रबंधन को हिमस्खलन की पहली घटना के बाद ही पत्र लिखकर भूगर्भीय टीम से क्षेत्र का अध्ययन कराने का आग्रह किया गया था. चारों घटनाओं से मंदाकिनी का जलस्तर नहीं बढ़ा. न ही किसी प्रकार का कोई नुकसान हुआ. सुरक्षा की दृष्टि से एसडीआरएफ, डीडीआरएफ और केदारनाथ में मौजूद प्रशासनिक टीम को अलर्ट करते हुए निगरान के निर्देश दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ एवलॉन्च: सरकार ने गठित की कमेटी, नदियों के जलस्तर पर भी नजर

वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं: वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते जहां गर्मी और बारिश में बदलाव देखने को मिल रहा, वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्तूबर माह में ही बर्फबारी होने से हिमस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं का मानना है कि फिलहाल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्तूबर में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों की सेहत के लिए तो ठीक है, लेकिन हिमस्खलन की घटनाएं थोड़ी चिंताजनक हैं.

डॉ. साईं का यह भी कहना है कि केदारनाथ क्षेत्र में हिमस्खलन की जो घटनाएं हुई हैं, उससे फिलहाल अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी इतनी ज्यादा बर्फबारी नहीं हुई है कि भारी हिमस्खलन के साथ ही ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं हों.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर का जियोलाॅजिकल सर्वे करेगी टीम, सामने आएगी 'हकीकत'

Last Updated : Oct 3, 2022, 1:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.