रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की 10 जुलाई से निर्धारित परीक्षा को लेकर छात्र एवं अभिभावक चिंतित हैं. छात्रों का कहना है कि कोरोना संक्रमण महामारी की बढ़ती स्थिति में यदि परीक्षा की जाती है तो बाहरी छात्रों की आवाजाही बढ़ जाएगी और विश्वविद्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में परीक्षा संपन्न कराना विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून की ओर से बीएएमएस की प्रथम, द्वितीय, तृतीय, अंतिम व्यवसायिक मुख्य परीक्षा और पूरक परीक्षाएं 10 जुलाई से होना प्रस्तावित है. मगर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा आवाजाही सैनिटाइजेशन को लेकर निजी कॉलेजों की तैयारियों से स्टूडेंट्स के साथ-साथ अभिभावक भी परेशान हैं.
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दरअसल, आयुर्वेद कॉलेज में कई छात्र-छात्राएं बाहरी प्रदेशों से हैं. जो रेड जोन और कंटेनमेंट जोन से ताल्लुक रखते हैं. यदि परीक्षाएं की जाती हैं, तो महामारी को फैलाने से कोई नहीं रोक सकता है और स्थिति बेकाबू हो सकती है. प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत 10 जुलाई से प्रस्तावित आयुर्वेद परीक्षाएं स्थगित किए जाने की मांग की है.
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वहीं, दूसरी तरफ कई जनप्रतिनिधियों ने भी आयुर्वेद विश्वविद्यालय की प्रस्तावित परीक्षा पर कई सवाल उठाए हैं. जनाधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने चिंता जताते हुए कहा कि बिना व्यापक तैयारियों के परीक्षा करवाना एक जोखिम भरा काम है. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा.