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श्रीराम कथा में निकाली गई 21 कलशों की यात्रा, 22 अप्रैल को होगा समापन

रुद्रप्रयाग में श्रीराम कथा में 51 जल कलशों से भव्य यात्रा निकाली गई है.

कलश यात्रा
kalash yatra
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Published : Apr 20, 2021, 4:45 PM IST

रुद्रप्रयाग: क्यूंजा घाटी के कोटखाल हरिनगर में आयोजित दस दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन 51 जल कलशों से भव्य जल कलश यात्रा निकाली गयी. जिसमें लगभग अस्सी श्रद्धालुओं ने भाग लिया. श्रीराम कथा का 22 अप्रैल को बह्मभोज के साथ समापन होगा. श्री राम कथा के आयोजन से सम्पूर्ण क्यूंजाघाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है.

श्रीराम कथा के आठवें दिन प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार श्रद्धालु स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ श्रीराम कथा स्थल से लगभग एक किमी दूर नन्दा देवी के प्राकृतिक जल स्रोत पर पहुंचे. जहां पर पण्डित आशुतोष नौटियाल ने पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजा संपंन कर हवन किया तथा 51 जल कलश को सजाकर आरती की और कलश यात्रा कथा स्थल के लिए रवाना हुई. श्रद्धालुओं की जयकारों से सम्पूर्ण क्यूंजा घाटी वातावरण भक्तिमय बना रहा. जल कलश यात्रा के कथा स्थल पर पहुंचते ही कई देवी-देवता नर रूप में अवतरित हुए .

पढ़ें: FRI ने निकाला 30 प्रशिक्षु पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन, ऐसे करें एप्लाई

भक्तों को आशीष दिया जल कलश यात्रा के प्रधान कलश से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र तथा ब्यास पीठ का जलाभिषेक किया गया तथा शेष कलशों का जल भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया.जल कलश यात्रा के पावन अवसर पर कथावाचक राधिका केदारखण्डी ने कहा कि देव स्थलों में निकली जल कलश यात्रा के दर्शन मात्र से जन्म जन्मान्तरों से लेकर कल्प कल्पान्तरों के पापों का हरण होता है.

रुद्रप्रयाग: क्यूंजा घाटी के कोटखाल हरिनगर में आयोजित दस दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन 51 जल कलशों से भव्य जल कलश यात्रा निकाली गयी. जिसमें लगभग अस्सी श्रद्धालुओं ने भाग लिया. श्रीराम कथा का 22 अप्रैल को बह्मभोज के साथ समापन होगा. श्री राम कथा के आयोजन से सम्पूर्ण क्यूंजाघाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है.

श्रीराम कथा के आठवें दिन प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार श्रद्धालु स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ श्रीराम कथा स्थल से लगभग एक किमी दूर नन्दा देवी के प्राकृतिक जल स्रोत पर पहुंचे. जहां पर पण्डित आशुतोष नौटियाल ने पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजा संपंन कर हवन किया तथा 51 जल कलश को सजाकर आरती की और कलश यात्रा कथा स्थल के लिए रवाना हुई. श्रद्धालुओं की जयकारों से सम्पूर्ण क्यूंजा घाटी वातावरण भक्तिमय बना रहा. जल कलश यात्रा के कथा स्थल पर पहुंचते ही कई देवी-देवता नर रूप में अवतरित हुए .

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भक्तों को आशीष दिया जल कलश यात्रा के प्रधान कलश से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र तथा ब्यास पीठ का जलाभिषेक किया गया तथा शेष कलशों का जल भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया.जल कलश यात्रा के पावन अवसर पर कथावाचक राधिका केदारखण्डी ने कहा कि देव स्थलों में निकली जल कलश यात्रा के दर्शन मात्र से जन्म जन्मान्तरों से लेकर कल्प कल्पान्तरों के पापों का हरण होता है.

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