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संवर रहा बाबा केदार का धाम, तेजी से तैयार किया जा रहा शंकराचार्य समाधि स्थल

केदारनाथ धाम में आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल का निर्माण कार्य गतिमान है. अब तक 35 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. समाधि स्थल में लगाए जा रहे कटुआ पत्थर में शंकराचार्य से जुड़ी जानकारियां और श्लोक भी लिखे जाएंगे.

shankaracharya samadhi site
शंकराचार्य समाधि स्थल
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Published : Oct 1, 2020, 7:56 PM IST

रुद्रप्रयागः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल का निर्माण कार्य केदारनाथ धाम में जोरों पर चल रहा है. बताया जा रहा है कि दिसंबर तक यह कार्य पूरा हो जाएगा और अगले साल यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनेगा. समाधि स्थल को भव्यता प्रदान करने को लेकर वुड स्टोन की कंपनी रात दिन एक किए हुए हैं, जिससे समाधि स्थल के अलग स्वरूप में नजर आए. इतना ही नहीं इसकी भव्यता के लिए दस हजार कटुआ पत्थर लगाए जा रहे हैं.

shankaracharya samadhi site
निर्माणाधीन शंकराचार्य समाधि स्थल.

बता दें कि साल 2013 की केदारनाथ आपदा के समय आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल तबाह हो गई थी. इसके बाद समाधि स्थल निर्माण की मांग उठने लगी और बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इसे शामिल किया गया. समाधि स्थल का कार्य केदारनाथ धाम में तेजी से चल रहा है. इन दिनों धाम में मौसम भी काफी अच्छा है, जिसका फायदा वुड स्टोन कंपनी उठा रही है और निर्माण कार्य को तेजी से कर रही है.

शंकराचार्य समाधि स्थल का कार्य.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड: जल्द बढ़ाया जा सकता है चारधामों में श्रदालुओं के दर्शन का समय

समाधि स्थल पर दूसरे चरण का कार्य चल रहा है और इसकी भव्यवता का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. अब तक 35 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और मौसम ने साथ दिया तो बाकी कार्य दिसंबर अंत तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. समाधि स्थल तक पहुंचने और वहां से बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे. प्रवेश के लिए दिव्य शिला से होते हुए 65 मीटर लंबा रास्ता बनेगा. रास्ते के अंतिम छोर पर घुमावदार रैंप बनेगी, जिसके दो चक्कर लगाकर समाधि तक पहुंचा जा सकेगा.

कटुआ पत्थर में लिखे जाएंगे शंकराचार्य से जुड़ी जानकारियां और श्लोक
समाधि से बाहर आने के लिए दूसरी ओर से रैंप के दो चक्कर लगाकर श्रद्धालु भैरवनाथ मंदिर की तरफ वाले रास्ते पर पहुंचेंगे. दोनों रास्तों पर दस हजार पठाल बिछाई जाएंगी. साथ ही निश्चित दूरी पर कटुआ पत्थर भी लगाए जाएंगे. जिसमें आदिगुरू शंकराचार्य से जुड़ी जानकारी व श्लोक लिखे होंगे. दो फीट लंबे व एक फीट चैड़ाई वाले पत्थरों को सरस्वती नदी के किनारे बड़े बोल्डरों से तैयार किया जा रहा है. बीते चार महीने से राजस्थान के मजदूरों के साथ स्थानीय कारीगर भी बोल्डरों से कटुआ पत्थर तैयार करने में जुटे हुए हैं.

रुद्रप्रयागः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल का निर्माण कार्य केदारनाथ धाम में जोरों पर चल रहा है. बताया जा रहा है कि दिसंबर तक यह कार्य पूरा हो जाएगा और अगले साल यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनेगा. समाधि स्थल को भव्यता प्रदान करने को लेकर वुड स्टोन की कंपनी रात दिन एक किए हुए हैं, जिससे समाधि स्थल के अलग स्वरूप में नजर आए. इतना ही नहीं इसकी भव्यता के लिए दस हजार कटुआ पत्थर लगाए जा रहे हैं.

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निर्माणाधीन शंकराचार्य समाधि स्थल.

बता दें कि साल 2013 की केदारनाथ आपदा के समय आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल तबाह हो गई थी. इसके बाद समाधि स्थल निर्माण की मांग उठने लगी और बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इसे शामिल किया गया. समाधि स्थल का कार्य केदारनाथ धाम में तेजी से चल रहा है. इन दिनों धाम में मौसम भी काफी अच्छा है, जिसका फायदा वुड स्टोन कंपनी उठा रही है और निर्माण कार्य को तेजी से कर रही है.

शंकराचार्य समाधि स्थल का कार्य.

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समाधि स्थल पर दूसरे चरण का कार्य चल रहा है और इसकी भव्यवता का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. अब तक 35 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और मौसम ने साथ दिया तो बाकी कार्य दिसंबर अंत तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. समाधि स्थल तक पहुंचने और वहां से बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे. प्रवेश के लिए दिव्य शिला से होते हुए 65 मीटर लंबा रास्ता बनेगा. रास्ते के अंतिम छोर पर घुमावदार रैंप बनेगी, जिसके दो चक्कर लगाकर समाधि तक पहुंचा जा सकेगा.

कटुआ पत्थर में लिखे जाएंगे शंकराचार्य से जुड़ी जानकारियां और श्लोक
समाधि से बाहर आने के लिए दूसरी ओर से रैंप के दो चक्कर लगाकर श्रद्धालु भैरवनाथ मंदिर की तरफ वाले रास्ते पर पहुंचेंगे. दोनों रास्तों पर दस हजार पठाल बिछाई जाएंगी. साथ ही निश्चित दूरी पर कटुआ पत्थर भी लगाए जाएंगे. जिसमें आदिगुरू शंकराचार्य से जुड़ी जानकारी व श्लोक लिखे होंगे. दो फीट लंबे व एक फीट चैड़ाई वाले पत्थरों को सरस्वती नदी के किनारे बड़े बोल्डरों से तैयार किया जा रहा है. बीते चार महीने से राजस्थान के मजदूरों के साथ स्थानीय कारीगर भी बोल्डरों से कटुआ पत्थर तैयार करने में जुटे हुए हैं.

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