रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर (Second Kedar Lord Madmaheshwar ) छह माह अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान रहने के बाद आज धाम के लिए रवाना हो गए हैं. शीतकालीन गद्दीस्थल में विधि विधान से भगवान मदमहेश्वर की पूजा अर्चना की गई, जिसके बाद स्थानीय वाद्य यंत्रों और हजारों भक्तों की जयकारों के साथ भगवान को धाम के लिए रवाना किया गया. डोली यात्रा आज अपने पहले पड़ाव रांसी पहुंचेगी और 19 मई को डोली के धाम पहुंचने के बाद मंदिर के कपाट खोल दिये जायेंगे.
बता दें, मदमहेश्वर धाम में भगवान शिव के मध्य भाग की पूजा होती है. ओंकारेश्वर मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चारण, मंगल गीतों के साथ डोली को भावुक क्षणों के साथ विदा किया. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली डंगवाडी, ब्राह्मण खोली, मंगोलचारी, सलामी, फापंज, मनसूना, राऊलैंक, उनियाणा सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी. 18 मई को राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.
19 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट 11 बजे कर्क लगन में वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.
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वहीं, मदमहेश्वर धाम की डोली रवाना होने के साथ ही सिक्स सिग्मा की टीम भी मदमहेश्वर धाम के लिए रवाना हो गई है. मेडिकल टीम में दो चिकित्सक और दो पैरा मेडिकल स्टाफ हैं, जो तीर्थयात्रियों को मदमहेश्वर धाम में सेवाएं देंगे. इसके अलावा टीम को सेटेलाइट फोन दे दिये गये हैं. धाम में दूर संचार की व्यवस्था नहीं होने से सिक्स सिग्मा ने सेटेलाइट फोन अपनी टीम को दिये हैं, जिससे कोई घटना घटने पर त्वरित गति से राहत व बचाव का कार्य किया जा सके. मदमहेश्वर धाम की दूरी रांसी से 15 किमी है. यहां पहुंचने के लिए घोड़े-खच्चरों के साथ पालकी का सहारा लिया जा सकता है.