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द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली पहुंची रांसी, 21 को खुलेंगे कपाट - उत्तराखंड न्यूज

भगवान मद्महेश्वर की डोली ने पार किया पहला पड़ाव. रांसी पहुंची.

भगवान मद्महेश्वर की डोली.
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Published : May 19, 2019, 1:45 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदार में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर (मध्यमहेश्वर) के कपाट 21 मई को वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम के लिए शनिवार को रवाना हुई है. रविवार को रांसी पहुंची. 20 मई को डोली रांसी से गोंडार और 21 मई को गोंडार से मध्यमहेश्वर धाम पहुंचेगी.

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली पहुंची रांसी.

21 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्ममुहूर्त में गोंडार गांव से रवाना होकर बनातोलो, खटरा, नानौ, मैखम्भा, कूनचट्टी यात्रा पडावों पर आशीष देते हुए देवदर्शनी पहुंचेगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के देवदर्शनी पहुंचने पर मंदिर से शंख ध्वनि बजेगी. ध्वनि का निमंत्रण स्वीकार कर डोली धाम को रवाना होगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.

पढ़ें- बदरी-विशाल के दर पहुंचेंगे पीएम मोदी, प्रसाद के रूप में मिलेंगे चौलाई के लड्डू

सोमवार 21 मई को सिंह लग्न में सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. इस बार धाम में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग होंगे. बता दें कि मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव के नाभि की पूजा की जाती है. समुद्रतल से 3497 मीटर की उंचाई पर स्थित है. शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद होने पर मद्महेश्वर की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. मद्महेश्वर धाम से दो किमी की दूरी पर धौला क्षेत्रपाल नामक गुफा भी स्थित है.

रुद्रप्रयाग: पंच केदार में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर (मध्यमहेश्वर) के कपाट 21 मई को वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम के लिए शनिवार को रवाना हुई है. रविवार को रांसी पहुंची. 20 मई को डोली रांसी से गोंडार और 21 मई को गोंडार से मध्यमहेश्वर धाम पहुंचेगी.

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली पहुंची रांसी.

21 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्ममुहूर्त में गोंडार गांव से रवाना होकर बनातोलो, खटरा, नानौ, मैखम्भा, कूनचट्टी यात्रा पडावों पर आशीष देते हुए देवदर्शनी पहुंचेगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के देवदर्शनी पहुंचने पर मंदिर से शंख ध्वनि बजेगी. ध्वनि का निमंत्रण स्वीकार कर डोली धाम को रवाना होगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.

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सोमवार 21 मई को सिंह लग्न में सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. इस बार धाम में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग होंगे. बता दें कि मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव के नाभि की पूजा की जाती है. समुद्रतल से 3497 मीटर की उंचाई पर स्थित है. शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद होने पर मद्महेश्वर की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. मद्महेश्वर धाम से दो किमी की दूरी पर धौला क्षेत्रपाल नामक गुफा भी स्थित है.

भगवान मदमहेश्वर धाम के लिए रवाना
रूद्रप्रयाग- पंच केदारो में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली आज अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम को रवाना होगी । विभिन्न यात्रा पडावो पर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए 21 मई को अपने धाम पहुँचेगी तथा डोली के धाम पहुँचने पर मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगे ।           मन्दिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार आज सभा मण्डण से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में विराजमान कर डोली का विशेष श्रृगार कर आरती उतारी जायेगी । भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ओंकारेश्वर मन्दिर की परिक्रमा कर धाम के लिए रवाना होगी तथा डगवाडी,  बाह्मणखोली , मंगोलचारी , सलामी , फापज , मनसूना,  बुरूवा , राऊलैक , उनियाणा यात्रा पडावो पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुँचेगी । 20 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास को गौण्डार गाँव पहुँचेगी । 21 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्म बेला पर गौण्डार गाँव से रवाना होकर बनातोलो , खटरा,  नानौ , मैखम्भा , कूनचटटी यात्रा पडावो पर आशीष देते हुए देवदर्शनी पहुँचेगी । भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के देवदर्शनी पहुँचने पर मन्दिर से शंख ध्वनि बजेगी तथा शंख ध्वनि का निमंत्रण स्वीकार कर डोली धाम को रवाना होगी तथा डोली के धाम पहुँचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगे ।
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