रुद्रप्रयाग: पंच केदार में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर (मध्यमहेश्वर) के कपाट 21 मई को वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम के लिए शनिवार को रवाना हुई है. रविवार को रांसी पहुंची. 20 मई को डोली रांसी से गोंडार और 21 मई को गोंडार से मध्यमहेश्वर धाम पहुंचेगी.
21 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्ममुहूर्त में गोंडार गांव से रवाना होकर बनातोलो, खटरा, नानौ, मैखम्भा, कूनचट्टी यात्रा पडावों पर आशीष देते हुए देवदर्शनी पहुंचेगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के देवदर्शनी पहुंचने पर मंदिर से शंख ध्वनि बजेगी. ध्वनि का निमंत्रण स्वीकार कर डोली धाम को रवाना होगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.
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सोमवार 21 मई को सिंह लग्न में सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. इस बार धाम में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग होंगे. बता दें कि मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव के नाभि की पूजा की जाती है. समुद्रतल से 3497 मीटर की उंचाई पर स्थित है. शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद होने पर मद्महेश्वर की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. मद्महेश्वर धाम से दो किमी की दूरी पर धौला क्षेत्रपाल नामक गुफा भी स्थित है.