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केदारनाथ में निर्माण पर वैज्ञानिकों ने फिर चेताया, बताया तेजी से बर्फ पिघलने का कारण

केदारनाथ क्षेत्र में निर्माण को लेकर वैज्ञानिकों ने सरकार को चेताया (Scientists alert on construction in Kedarnath Dham) है. वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों (Wadia Institute) ने केदारनाथ क्षेत्र में साल 2013 की आपदा के बाद किए गए अध्ययन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. जिसमें इस क्षेत्र में किसी भी बड़े निर्माण को ना करने को लेकर आगाह किया गया था.

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Published : Oct 31, 2022, 10:01 AM IST

Updated : Oct 31, 2022, 10:18 AM IST

देहरादूनः केदारनाथ क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम ने निर्माण कार्य रोकने की सिफारिश की तो सरकार से लेकर शासन तक में हड़कंप मच गया. लेकिन वैज्ञानिकों के केदारनाथ धाम क्षेत्र में निर्माण कार्यों (construction in kedarnath area) को लेकर सरकार को आगाह करने का यह कोई नया मामला नहीं है. क्योंकि धाम में 2013 की जल प्रलय के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने अध्ययन के बाद जो रिपोर्ट दी थी, उसमें भी किसी भी बड़े निर्माण को ना करने की सिफारिश की गई थी. इसके बावजूद केदारनाथ क्षेत्र में ऐसे कई निर्माण किए गए जो इस इलाके में प्राकृतिक रूप से खतरे को निमंत्रण देने वाले हैं.

केदारनाथ आपदा के बाद किया आगाहः भले ही केदारनाथ में निर्माण को लेकर वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद निर्माण कार्य रोके जाने की सिफारिश हाल ही में की हो, लेकिन वैज्ञानिकों के केदारनाथ में खतरे को लेकर यह कोई पहली रिपोर्ट नहीं है. इससे पहले वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ क्षेत्र में साल 2013 की आपदा के बाद किए गए अध्ययन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें इस क्षेत्र में किसी भी बड़े निर्माण को ना करने को लेकर आगाह किया गया था. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद केदारनाथ क्षेत्र में कई बड़े निर्माण किए गए और अब एक बार फिर वैज्ञानिकों को अपनी रिपोर्ट में इन कामों को रोकने के लिए सिफारिश करनी पड़ रही है.

केदारनाथ में निर्माण पर वैज्ञानिकों ने फिर चेताया

बड़ा निर्माण नहीं करने की सिफारिशः वाडिया इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डीपी डोभाल (Scientist DP Dobhal) बताते हैं कि उन्होंने इस पूरे क्षेत्र का अध्ययन आपदा के बाद किया था और इस दौरान उन्होंने पहले ही यह बात साफ कर दी थी कि इस इलाके में कई एक्टिव एवलॉन्च होने के चलते एक बड़ा खतरा यहां बना हुआ है. यही नहीं, रिपोर्ट में इस क्षेत्र में किसी भी बड़े निर्माण को नहीं किए जाने की भी सिफारिश की गई थी.
ये भी पढ़ेंः वन मंत्री सुबोध उनियाल बोले- ट्री प्रोटेक्शन एक्ट में होगा संशोधन, ये पेड़ काटने पर बैन

वायुमंडल में फैली धूल के कण से खतराः खास बात यह है कि वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट को भी नजरअंदाज करते हुए यहां पर निर्माण किए गए और अब इस खतरे से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर सरकार में हड़कंप मचा हुआ है. चिंता इतनी सी भर नहीं है बल्कि इस क्षेत्र में निर्माण कार्य के चलते वायुमंडल में फैली धूल के कण भी खतरे को बढ़ा रहे हैं. वैज्ञानिक डीपी डोभाल कहते हैं कि वैसे तो बर्फबारी क्षेत्र में कम हुई है और इस कारण एक्टिव अवलॉन्च ग्लेशियर के ऊपरी क्षेत्रों में आ रहे हैं. लेकिन यदि बर्फबारी ज्यादा होती तो यह एवलॉन्च मंदिर के पीछे तक भी आ सकते थे.

इसलिए पिघल रही तेजी से बर्फः वह बताते हैं कि बर्फबारी कम हो रही है और वायुमंडल में धूल के कण फैलने के कारण जो बर्फ गिर रही है, वह तेजी से पिघल रही है. इसकी वजह यह है कि बर्फ के साथ यह धूल के कण मिक्स हो रहे हैं जिसके कारण सूर्य की किरणें यह बर्फ सोख रही हैं. इससे बर्फ तेजी से पिघल रही है. वह बताते हैं कि केदारनाथ जिस क्षेत्र में है, उसके आगे समतल क्षेत्र सीमित है. इसके आगे पूरा इलाका एक ढलान के रूप में मौजूद है. ऐसी स्थिति में इस सीमित समतल क्षेत्र पर निर्माण का इस तरह का दबाव ज्यादा करना खतरा बन सकता है.

देहरादूनः केदारनाथ क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम ने निर्माण कार्य रोकने की सिफारिश की तो सरकार से लेकर शासन तक में हड़कंप मच गया. लेकिन वैज्ञानिकों के केदारनाथ धाम क्षेत्र में निर्माण कार्यों (construction in kedarnath area) को लेकर सरकार को आगाह करने का यह कोई नया मामला नहीं है. क्योंकि धाम में 2013 की जल प्रलय के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने अध्ययन के बाद जो रिपोर्ट दी थी, उसमें भी किसी भी बड़े निर्माण को ना करने की सिफारिश की गई थी. इसके बावजूद केदारनाथ क्षेत्र में ऐसे कई निर्माण किए गए जो इस इलाके में प्राकृतिक रूप से खतरे को निमंत्रण देने वाले हैं.

केदारनाथ आपदा के बाद किया आगाहः भले ही केदारनाथ में निर्माण को लेकर वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद निर्माण कार्य रोके जाने की सिफारिश हाल ही में की हो, लेकिन वैज्ञानिकों के केदारनाथ में खतरे को लेकर यह कोई पहली रिपोर्ट नहीं है. इससे पहले वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ क्षेत्र में साल 2013 की आपदा के बाद किए गए अध्ययन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें इस क्षेत्र में किसी भी बड़े निर्माण को ना करने को लेकर आगाह किया गया था. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद केदारनाथ क्षेत्र में कई बड़े निर्माण किए गए और अब एक बार फिर वैज्ञानिकों को अपनी रिपोर्ट में इन कामों को रोकने के लिए सिफारिश करनी पड़ रही है.

केदारनाथ में निर्माण पर वैज्ञानिकों ने फिर चेताया

बड़ा निर्माण नहीं करने की सिफारिशः वाडिया इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डीपी डोभाल (Scientist DP Dobhal) बताते हैं कि उन्होंने इस पूरे क्षेत्र का अध्ययन आपदा के बाद किया था और इस दौरान उन्होंने पहले ही यह बात साफ कर दी थी कि इस इलाके में कई एक्टिव एवलॉन्च होने के चलते एक बड़ा खतरा यहां बना हुआ है. यही नहीं, रिपोर्ट में इस क्षेत्र में किसी भी बड़े निर्माण को नहीं किए जाने की भी सिफारिश की गई थी.
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वायुमंडल में फैली धूल के कण से खतराः खास बात यह है कि वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट को भी नजरअंदाज करते हुए यहां पर निर्माण किए गए और अब इस खतरे से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर सरकार में हड़कंप मचा हुआ है. चिंता इतनी सी भर नहीं है बल्कि इस क्षेत्र में निर्माण कार्य के चलते वायुमंडल में फैली धूल के कण भी खतरे को बढ़ा रहे हैं. वैज्ञानिक डीपी डोभाल कहते हैं कि वैसे तो बर्फबारी क्षेत्र में कम हुई है और इस कारण एक्टिव अवलॉन्च ग्लेशियर के ऊपरी क्षेत्रों में आ रहे हैं. लेकिन यदि बर्फबारी ज्यादा होती तो यह एवलॉन्च मंदिर के पीछे तक भी आ सकते थे.

इसलिए पिघल रही तेजी से बर्फः वह बताते हैं कि बर्फबारी कम हो रही है और वायुमंडल में धूल के कण फैलने के कारण जो बर्फ गिर रही है, वह तेजी से पिघल रही है. इसकी वजह यह है कि बर्फ के साथ यह धूल के कण मिक्स हो रहे हैं जिसके कारण सूर्य की किरणें यह बर्फ सोख रही हैं. इससे बर्फ तेजी से पिघल रही है. वह बताते हैं कि केदारनाथ जिस क्षेत्र में है, उसके आगे समतल क्षेत्र सीमित है. इसके आगे पूरा इलाका एक ढलान के रूप में मौजूद है. ऐसी स्थिति में इस सीमित समतल क्षेत्र पर निर्माण का इस तरह का दबाव ज्यादा करना खतरा बन सकता है.

Last Updated : Oct 31, 2022, 10:18 AM IST
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