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सेवानिवृत हुए वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद सिंह, कॉलेज स्टाफ ने दी भावभीनी विदाई - उत्तराखंड हिंदी खबर

वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद सिंह रजवार स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हो गए हैं. 30 नवंबर को महाविद्यालय परिवार ने उन्हें भावभीनी विदाई दी. इस दौरान वे काफी भावुक नजर आए.

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सेवानिवृत हुए वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद सिंह.
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Published : Dec 2, 2019, 8:27 AM IST

रुद्रप्रयाग: प्रदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद सिंह रजवार स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हो गए हैं. उन्होंने 43 साल तक शोध, शिक्षण और प्रशासनिक सेवाएं दी हैं. 30 नवंबर को महाविद्यालय परिवार ने उन्हें भाव भीनी विदाई दी. इस दौरान रजवार ने अपने जीवन से जुड़ी तमाम बातें कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ साझा की.

बता दें कि, प्रोफेसर गोविंद सिंह रजवार ने 1977 में कोटद्वार महाविद्यालय से अपनी राजकीय सेवा का सफर शुरू किया था. इस दौरान वह उत्तरकाशी और ऋषिकेश महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के शिक्षक रहे. जिसके बाद जोशीमठ महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर अपनी कार्यकुशलता की बदौलत तीन सालों तक उपनिदेशक उच्चशिक्षा का कार्यभार संभाला. फिर स्नातकोत्तर महाविद्यालय नरेंद्रनगर में प्राचार्य की जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने अपने इस 43 सालों की सेवा अवधि में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त किया.

पढ़ें- केदारघाटी में तेज हुआ चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध, गुप्तकाशी में पुरोहित समाज ने फूंका CM का पुतला

गोविंद सिंह रजवार की प्रकाशित 8 पुस्तकें और 115 शोधपत्र दुनियाभर के विवि में पढ़ाए जाते हैं. इनका जन्म 20 नवंबर 1954 में अल्मोड़ा जिले के कैलानी गांव में हुआ था. प्रो. रजवार इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, कीनिया, चीन और नेपाल जैसे देशों में शोध संबंधी यात्राएं कर चुके हैं.

रुद्रप्रयाग: प्रदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंद सिंह रजवार स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हो गए हैं. उन्होंने 43 साल तक शोध, शिक्षण और प्रशासनिक सेवाएं दी हैं. 30 नवंबर को महाविद्यालय परिवार ने उन्हें भाव भीनी विदाई दी. इस दौरान रजवार ने अपने जीवन से जुड़ी तमाम बातें कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ साझा की.

बता दें कि, प्रोफेसर गोविंद सिंह रजवार ने 1977 में कोटद्वार महाविद्यालय से अपनी राजकीय सेवा का सफर शुरू किया था. इस दौरान वह उत्तरकाशी और ऋषिकेश महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के शिक्षक रहे. जिसके बाद जोशीमठ महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर अपनी कार्यकुशलता की बदौलत तीन सालों तक उपनिदेशक उच्चशिक्षा का कार्यभार संभाला. फिर स्नातकोत्तर महाविद्यालय नरेंद्रनगर में प्राचार्य की जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने अपने इस 43 सालों की सेवा अवधि में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त किया.

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गोविंद सिंह रजवार की प्रकाशित 8 पुस्तकें और 115 शोधपत्र दुनियाभर के विवि में पढ़ाए जाते हैं. इनका जन्म 20 नवंबर 1954 में अल्मोड़ा जिले के कैलानी गांव में हुआ था. प्रो. रजवार इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, कीनिया, चीन और नेपाल जैसे देशों में शोध संबंधी यात्राएं कर चुके हैं.

Intro:43 वर्ष की शिक्षण सेवा से प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर रजवार सेवानिवृत
सेवानिवृति पर महाविद्यालय परिवार ने दी भावभीनी विदाई
रुद्रप्रयाग। 43 वर्षों तक शोध, शिक्षण एवं प्रशासनिक सेवाओं के बाद 30 नवम्बर को उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविन्द सिंह रजवार राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हो गये। महाविद्यालय में एक सादे समारोह में महाविद्यालय परिवार ने उन्हें भाव भीनी विदाई दी। 1977 में कोटद्वार महाविद्यालय से अपनी राजकीय सेवा का सफर शुरू करने वाले प्रो रजवार उत्तरकाशी एवं ऋषिकेश महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के शिक्षक रहे। उसके बाद जोशीमठ महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर अपनी कार्यकुशलता की बदौलत तीन वर्षों तक उपनिदेशक उच्चशिक्षा का कार्यभार भी सम्भाला। फिर स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नरेन्द्रनगर में प्राचार्य की जिम्मेदारी निभाई। आपने इस 43 वर्षों की सेवा अवधि में न केवल राष्ट्रीय बल्कि, अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किये है। इनके द्वारा प्रकाशित 8 पुस्तकें एवं 115 शोधपत्र दुनिया भर के विवि में पढे एवं पढाये जाते हैं। हिमालयी वनस्पति एवं परिस्थितिकी, कृषि पर शोध एवं विदेशी वनस्पति की प्रजातियों का देशी प्रजातियों पर प्रभाव विषय पर इनके महत्वपूर्ण लेखों को फिल्मों, रेडियो व टीवी की चर्चाओं में प्रमुख स्थान मिला है। पर्यावरण व वनों के संक्षरण पर इनके विचार महत्वपूर्ण हैं। प्रो रजवार ने अगस्त्यमुनि महाविद्यालय में 18 माह के कार्यकाल में महाविद्यालय की पत्रिका मन्दाकिनी का सफल प्रकाशन, पुरूष छात्रावास, ई लाइब्रेरी, विभागों में प्रोजेक्टर की व्यवस्था, निशुल्क प्रेरणा कोचिंग का सफल संचालन, प्राथमिक विद्यालय अगस्त्यमुनि एवं बनियाडी गांव के सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यो का संचालन किया। जबकि हाल ही में हुये नैक निरिक्षण में आपके कुशल नेतृत्व के कारण ही अगस्त्यमुनि महाविद्यालय को बी ग्रेड प्राप्त हो पाया है। Body:प्रो गोविन्द सिंह रजवार का जन्म अल्मोड़ा जिला के पौड़ी की सीमा से लगे एक छोटे से पहाड़ी गांव कैलानी में 20 नवम्बर 1954 को हुआ। चार भाई-बहनों में प्रो रजवार सबसे बड़े हैं इनके पिता प्रेम सिंह रजवार डाक विभाग में कार्यरत थे। परिवार के पालन पोषण और बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी मां बचुली देवी ने संभाली। प्रो0 रजवार की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। डीएवी कालेज देहरादून से बीएससी व एमएससी करने के बाद गढ़वाल विवि से पीएचडी की पढ़ाई पूर्ण की। विश्व के आधा दर्जन से अधिक देशों का भ्रमण कर चुके प्रो रजवार ने यूरोप तथा अफ्रीका की वनस्पति पर भी शोध किया है। प्रो रजवार इटली, आस्ट्रेलिया, स्वीट्जरलैण्ड, कीनिया, चीन तथा नेपाल आदि देशों में शोध संबन्धी यात्राओं के साथ ही कई अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में व्याख्यान दे चुके हैं। वह कई विज्ञान पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी कर चुके हैं। सेवा निवृति के समय हुए कार्यक्रम में प्रो रजवार अपने जीवन से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुये भावुक हो उठे। सेवानिवृति के बाद वे अपनी दो बेटियों और पत्नी को समय देने के साथ अधूरे शोधों को पूरा करने व अपनी अप्रकाशित पुस्तकों के प्रकाशन करने की इच्छा रखते हैं। विदाई समारोह में महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने उनके साथ साझा किए पलों को याद करते हुए उनकी सहृदयता की सराहना की।

उपलब्धियां
जर्मनी द्वारा प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक सम्मान (1987), लीनियल सोसाइटी ऑफ लन्दन द्वारा फैलो चयनित (2007), परिस्थितिकी एवं पर्यावरण कांग्रेस द्वारा प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पुरस्कार (2014), जिलाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (1986), सोसाइटी फॉर प्लांट रिसर्च द्वारा फैलो चयनित (1994), ए.एस.ई.ए. द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए एक्सीलैंस अवार्ड (1998), नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज इण्डिया के आजीवन सदस्य (2006), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलाजी द्वारा फैलो चयनित (2008), फ्रैंडशिप फार्म ऑफ इण्डिया द्वारा भारत एक्सीलैंस अवार्ड (2008)
विदाई अवसर पर प्रो0 रजवार के साथ महाविद्यालय परिवार
Conclusion:
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