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बुग्यालों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने बनाई रणनीति, शासन को भेजा 40 लाख रुपए का प्रस्ताव

रुद्रप्रयाग के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने कार्य योजना बनाई है. पहले चरण में 40 लाख की धनराशि का प्रस्ताव शासन को भेजा है.

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बुग्यालों की सुरक्षा
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Published : Nov 13, 2020, 6:58 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 9:21 PM IST

रुद्रप्रयाग: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा, बज्रपात के कारण बुग्यालों में हो रहे भू-कटाव और भूस्खलन को रोकने के लिए रुद्रप्रयाग वन प्रभाग एक वृहद कार्य योजना बनाने जा रहा है. इसके लिए पहल चरण में 40 लाख रुपए की कार्य योजना का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिसमें जूट टेक्सटाइल से भूकटाव को रोका जाएगा. साथ ही वेजिटेबल चेकडैम बनाए जाएंगें. इसके साथ ही बुग्यालों में घास की सुरक्षा को लेकर तारबाड़ भी की जाएगी.

रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार के नेतृत्व में 12 सदस्यीय दल ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों का भ्रमण कर बुग्यालों की स्थिति का अध्ययन किया. दल ने पाया कि रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के अन्तर्गत 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले प्रमुख क्यूणी, माटिया, पंवालीकांठा, डमारगाढ़ एवं भरदारी गाड़ बुग्यालों में बरसात के दौरान अत्यधिक वर्षा व बज्रपात के कारण भारी मात्रा में भूकटाव और भूधंसाव से बड़े-बड़े नाले बन गए हैं. जिस कारण बुग्यालों का अस्तित्व संकट में है. इसे देखते हुए वन विभाग की ओर से इन सभी स्थानों का चिन्हिकरण किया गया और इसे रोकने के लिए एक वृहद कार्य योजना बनाई गई है, जिसे जल्दी ही विभागीय योजनाओं के अन्तर्गत ठीक किया जायेगा.

बुग्यालों की सुरक्षा

ये भी पढ़ें: महिला हेल्पलाइन सेल में दो पक्षों में मारपीट, काउंसलिंग व्यवस्था पर उठे सवाल

इन बुग्यालों का ट्रीटमेंट जूट टेक्सटाइल विधि से किया जाएगा. इस विधि में जहां अत्यधिक भूकटाव हो रहा है, वहां काॅयर जूट मैट बिछाई जाएगी. ऊपर से आयरिस प्रजाति की घास का रोपण किया जाएगा, जो भूक्षरण को रोकने के साथ ही मिट्टी की परत को मजबूत करेगी. साथ ही बुग्यालों में पानी के बहाव से जिन स्थानों पर छोटी-छोटी नालियां बनी हुई हैं, वहां भूकटाव की रोथाम के लिए वैजिटेबल चेकडैम बनाए जाएंगे. इस विधि में बांस के डंडो से चेकडैम तैयार कर उसमें पिरूल के बंडल भरे जाते हैं, जो पानी को रोकने के साथ मिट्टी की सुरक्षा करता है. जिससे कुछ ही समय में मिट्टी की नई परत बनने लगती है और उस पर घास उग आती है.

इसके अलावा रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की ओर से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सोलर पाॅवर युक्त 8 कैमरे भी लगाये गए हैं. जिससे सर्दियों में अत्यधिक हिमपात होने पर भी केदारनाथ वन्य प्रभाग के वन्य जीवों के विचरण पर नजर रखी जा सके. इन वन्य जीवों का अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी. डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने के कारण बुग्यालों को खासा नुकसान पहुंच रहा है. जिसका ट्रीटमेंट किया जाना जरूरी है. इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार कर दी गई है और शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.

रुद्रप्रयाग: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा, बज्रपात के कारण बुग्यालों में हो रहे भू-कटाव और भूस्खलन को रोकने के लिए रुद्रप्रयाग वन प्रभाग एक वृहद कार्य योजना बनाने जा रहा है. इसके लिए पहल चरण में 40 लाख रुपए की कार्य योजना का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिसमें जूट टेक्सटाइल से भूकटाव को रोका जाएगा. साथ ही वेजिटेबल चेकडैम बनाए जाएंगें. इसके साथ ही बुग्यालों में घास की सुरक्षा को लेकर तारबाड़ भी की जाएगी.

रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार के नेतृत्व में 12 सदस्यीय दल ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों का भ्रमण कर बुग्यालों की स्थिति का अध्ययन किया. दल ने पाया कि रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के अन्तर्गत 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले प्रमुख क्यूणी, माटिया, पंवालीकांठा, डमारगाढ़ एवं भरदारी गाड़ बुग्यालों में बरसात के दौरान अत्यधिक वर्षा व बज्रपात के कारण भारी मात्रा में भूकटाव और भूधंसाव से बड़े-बड़े नाले बन गए हैं. जिस कारण बुग्यालों का अस्तित्व संकट में है. इसे देखते हुए वन विभाग की ओर से इन सभी स्थानों का चिन्हिकरण किया गया और इसे रोकने के लिए एक वृहद कार्य योजना बनाई गई है, जिसे जल्दी ही विभागीय योजनाओं के अन्तर्गत ठीक किया जायेगा.

बुग्यालों की सुरक्षा

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इन बुग्यालों का ट्रीटमेंट जूट टेक्सटाइल विधि से किया जाएगा. इस विधि में जहां अत्यधिक भूकटाव हो रहा है, वहां काॅयर जूट मैट बिछाई जाएगी. ऊपर से आयरिस प्रजाति की घास का रोपण किया जाएगा, जो भूक्षरण को रोकने के साथ ही मिट्टी की परत को मजबूत करेगी. साथ ही बुग्यालों में पानी के बहाव से जिन स्थानों पर छोटी-छोटी नालियां बनी हुई हैं, वहां भूकटाव की रोथाम के लिए वैजिटेबल चेकडैम बनाए जाएंगे. इस विधि में बांस के डंडो से चेकडैम तैयार कर उसमें पिरूल के बंडल भरे जाते हैं, जो पानी को रोकने के साथ मिट्टी की सुरक्षा करता है. जिससे कुछ ही समय में मिट्टी की नई परत बनने लगती है और उस पर घास उग आती है.

इसके अलावा रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की ओर से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सोलर पाॅवर युक्त 8 कैमरे भी लगाये गए हैं. जिससे सर्दियों में अत्यधिक हिमपात होने पर भी केदारनाथ वन्य प्रभाग के वन्य जीवों के विचरण पर नजर रखी जा सके. इन वन्य जीवों का अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी. डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने के कारण बुग्यालों को खासा नुकसान पहुंच रहा है. जिसका ट्रीटमेंट किया जाना जरूरी है. इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार कर दी गई है और शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.

Last Updated : Nov 13, 2020, 9:21 PM IST
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