रुद्रप्रयाग: अत्यधिक बर्फबारी के कारण केदारनाथ धाम में सभी प्रकार के पुनर्निर्माण कार्य ठप हो गये हैं. इन कार्यों में कई काम ऐसे थे जिन्हें दिसम्बर महीने के अंत तक पूरा होना था, लेकिन धाम में हुई बर्फबारी के कारण ये सभी काम अधर में लटक गये है. धाम से सभी मजदूर वापस लौट आए हैं. अब संभवतः फरवरी महीने में बर्फबारी कम होने के बाद ही काम दोबारा शुरू हो पाएगा.
बता दें कि केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद से धाम में लगातार बर्फबारी हो रही है. केदारनाथ धाम सहित पैदल मार्ग बर्फ से ढक चुका है. बर्फबारी के बाद धाम में चल रहे सभी प्रकार के पुनर्निर्माण कार्य ठप पड़ गये हैं और धाम में पुनर्निर्माण कार्य में सौ से ज्यादा मजदूर वापस लौट आये हैं. आपदा प्रभावित केदारनाथ में पांच फीट से अधिक बर्फ जम चुकी है, जिससे पुनर्निर्माण कार्यों की रफ्तार थम गई है.
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केदारनाथ में शीतकाल में निर्माण कार्य मौसम पर ही निर्भर रहेंगे. आने वाले दिनों में भी तेज बर्फबारी हुई तो पहले चरण के कार्यों को 31 दिसंबर तक पूरा करना मुश्किल हो सकता है, जबकि दूसरे चरण के कार्य भी देरी से शुरू हो पायेंगे. 16-17 जून 2013 की आपदा से प्रभावित केदारनाथ में आठ वर्ष से पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं. वर्ष 2017 मई से पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ में मंदिर परिसर, मंदिर मार्ग का विस्तार सहित मंदाकिनी व सरस्वती नदी किनारे आस्था पथ बन चुका है, जबकि आदिगुरू शंकराचार्य समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहित भवन और सरस्वती नदी पर घाट का कार्य चल रहा है. यह कार्य 31 दिसंबर तक पूरे होने थे.
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वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधन मनोज सेमवाल ने बताया कि केदारनाथ में शीतकाल में सिमेंट कार्य होना संभव नहीं हैं. साथ ही जिस तरह से बर्फबारी हो रही है, उससे नहीं लगता कि शीतकाल में बहुत ज्यादा निर्माण कार्य हो पाएंगे. उन्होंने बताया कि धाम में बर्फबारी के कारण सौ से ज्यादा मजूदर सोनप्रयाग लौट आए हैं, जबकि दस मजदूर छोटी लिनचौली में हैं, जो लोहा और सरिया का ढुलान कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि शंकराचार्य समाधि स्थल का दूसरे चरण का कार्य चल रहा था, जिसे दिसम्बर अंत तक पूरा हो जाना चाहिए था. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहित के चार भवन बन चुके हैं. एक भवन बनकर तैयार होने ही वाला था, लेकिन मौसम की मार के चलते कार्य होना मुश्किल है. अब बर्फबारी कम होने के बाद ही धाम में पुनर्निर्माण कार्य किये जायेंगे.