रुद्रप्रयाग: शीतकाल में भी केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों ने रफ्तार पकड़ी हुई है. हर दिन चटक धूप खिलने से निर्माण कार्यों को करने में आसानी हो रही है. हालांकि, रात के समय ठंड की समस्या हो रही है, लेकिन प्रशासन की ओर से मजदूरों के लिए अलाव सहित अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे मजदूरों को कोई परेशानी नहीं हो रही है. इन दिनों धाम में 400 के करीब मजदूर पुनर्निर्माण कार्यों में जुटे हुए हैं, जबकि वायुसेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक से निर्माण सामग्री भी भेजी जा रही है.
केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से पुनर्निर्माण कार्य जारी हैं. धाम में प्रथम चरण के कार्यो को पूरा करने के बाद द्वितीय चरण के कार्य गतिमान है. इन दिनों धाम में चटक धूप खिली है, जिससे पुनर्निर्माण कार्यों को करने में आसानी हो रही है और मजदूर भी तेजी से धाम में निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं. केदारनाथ धाम में पिछले एक महीने से वायुसेना का मालवाहक हेलीकाप्टर चिनूक प्रतिदिन पुनर्निर्माण कार्यों से संबंधित निर्माण सामग्री पहुंचाई जा रही है.
चिनूक से हो रही बड़ी मदद: दो पोकलैंड मशीन व पुल की सामग्री के साथ ही चिनूक से अबतक 200 टन भारी निर्माण सामग्री पहुंचाई जा चुकी है. पिछले एक महीने से रोजाना चिनूक हेलीकॉप्टर निर्माण सामग्री केदारनाथ धाम पहुंचा रहा है. वहीं धाम में दो वाटर एटीएम का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है. जबकि साणेश्वर मंदिर का निर्माण भी अंतिम चरण में हैं. इसके अलावा गौरीकुंड में गेट-वे निर्माण के साथ ही सोनप्रयाग में रेन शेल्टर बना दिया गया है. दिसंबर महीने के अंत तक पुनर्निर्माण कार्य जारी रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
कड़ाके की ठंड में भी काम जारी: कड़ाके की ठंड के बावजूद केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य कार्य गतिमान हैं. केदारनाथ धाम में इन दिनों माइनस 16 डिग्री तक तापमान लुढ़क रहा है. कड़ाके की ठंड में भी 400 से अधिक मजदूर निर्माण कार्यों को अंजाम दे रहे हैं. वर्ष 2023 तक दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
एक माह से भारतीय वायुसेना का चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए गौचर हवाई पट्टी से केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की सामग्री भिजवाई जा रही है. दिसंबर अंत तक धाम में रेन शेल्टर, मंदाकिनी नदी के ठीक ऊपर दुकानों का निर्माण, यात्रा कंट्रोल सेंटर का निर्माण पूरा होना है, जबकि दो वाटर एटीएम का कार्य पूरा हो चुका है. चिनूक से पुल की गाडर, भारी सामग्री, स्टील के गाडर भिजवाए जा रहे हैं.
पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है केदारनाथ पुनर्निर्माण: वर्ष 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया है, जिसके तहत यहां मास्टर प्लान से पहले चरण के कार्य पूरे हो चुके हैं. दूसरे चरण के कार्य में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी शामिल है. बेस कैंप के समीप आठ करोड़ की लागत से बन रहे इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से केदारपुरी के गंदे पानी व अपशिष्ट को निस्तारित किया जाएगा.
वहीं, डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि केदरनाथ धाम में द्वितीय चरण के निर्माण कार्य धूप खिलने के कारण आसानी से हो पा रहे हैं. हालांकि, रात में तापमान में काफी गिरावट आ रही है, जिससे निपटने के लिए मजदूरों को अलाव और गर्म हीटर की व्यवस्था की गई है. स्वास्थ्य विभाग की टीम भी समय-समय पर जाकर मजदूरों की जांच कर रही है. मजदूरों के लिए हर सुविधा प्रदान की जा रही है.
केदारनाथ द्वितीय चरण कार्य-
- केदारनाथ धाम में द्वितीय चरण के 21 कार्यों में से चार कार्य पूरे हो चुके हैं.
- दो वाटर एटीएम, गौरीकुंट में गेट-वे के साथ ही सोनप्रयाग में रेन शेल्टर का कार्य पूरा कर लिया गया है.
- संगम घाट, क्यू मैनेजमेंट, दो गेस्ट हाउस, पुलिस हेड क्वाटर, हास्पिटल, प्रशासनिक भवन, तीर्थ पुरोहित भवन, पुल व ईशानेश्वर मंदिर सहित अन्य कार्य गतिमान है.
- केदारनाथ मंदिर परिसर के समीप निर्मित भवनों के साथ ही संपूर्ण केदारपुरी में मास्टर प्लान के तहत जैसे नए भवनों का निर्माण होगा. उन्हें चरणबद्ध तरीके से प्लांट से जोड़ा जाएगा.
- इन भवनों के स्नान घर, शौचालयों के गंदे पानी व अपशिष्ट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अलग-अलग चेंबरों में एकत्रित कर फिल्टर किया जाएगा.
- गंदे पानी को शुद्ध करने के बाद मंदाकिनी नदी में छोड़ा जाएगा, जबकि अपशिष्ट की रसायनिक विधि से खाद बनाई जाएगी. लगभग एक वर्ष में यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा.
- इसके अलावा केदारनाथ धाम को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए बेस कैंप के समीप सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू हो गया है.
- केदारनाथ में यात्राकाल में पर्याप्त जलापूर्ति के लिए मास्टर प्लान से पेयजल लाइन बिछाई जाएगी. स्रोत से एक किमी की दूरी पर तीन लाख लीटर क्षमता का भंडारण टैंक बनकर तैयार हो चुका है. टैंक से केदारपुरी को जलापूर्ति के लिए चार किमी वितरण लाइन बिछाई जानी है.