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द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की प्रक्रिया कल से शुरू

21 मई तक भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां सभा मण्डप में ही विश्राम करेगी और 22 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां डोली में विराजमान डोली का विशेष श्रृंगार किया जायेगा.

भगवान मदमहेश्वर
भगवान मदमहेश्वर
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Published : May 19, 2021, 7:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विधिवत शुरू होगी. गुरूवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां पूजा-अर्चना के बाद ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मण्डप में विराजमान होगी. परंपरा के अनुसार नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली इस बार पैदल जायेगी या फिर रथ से धाम को प्रस्थान करेगी. इसका निर्णय तहसील प्रशासन, देवस्थानम बोर्ड और हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में लिया जायेगा. जबकि निर्धारित ग्रामीणों द्वारा भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

पढ़ें- 'हरिद्वार कुंभ पर राजनीति ठीक नहीं, टूलकिट फैला रही प्रोपेगेंडा'

देवस्थानम् बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि गुरूवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां परम्परानुसार शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मण्डप में विराजमान होगी और ग्रामीणों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

उन्होंने बताया कि बताया कि 21 मई तक भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां सभा मण्डप में ही विश्राम करेगी और 22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां डोली में विराजमान डोली का विशेष श्रृंगार किया जायेगा. डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से धाम के लिए प्रस्थान करेगी और विभिन्न यात्रा पड़ावों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी.

23 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 24 मई को डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पड़ावों से होते हुए मद्महेश्वर धाम पहुंचेगी और डोली के धाम पहुंचने पर शुभ लग्नानुसार भगवान मद्महेश्वर के कपाट विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विधिवत शुरू होगी. गुरूवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां पूजा-अर्चना के बाद ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मण्डप में विराजमान होगी. परंपरा के अनुसार नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली इस बार पैदल जायेगी या फिर रथ से धाम को प्रस्थान करेगी. इसका निर्णय तहसील प्रशासन, देवस्थानम बोर्ड और हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में लिया जायेगा. जबकि निर्धारित ग्रामीणों द्वारा भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

पढ़ें- 'हरिद्वार कुंभ पर राजनीति ठीक नहीं, टूलकिट फैला रही प्रोपेगेंडा'

देवस्थानम् बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि गुरूवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां परम्परानुसार शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मण्डप में विराजमान होगी और ग्रामीणों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

उन्होंने बताया कि बताया कि 21 मई तक भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां सभा मण्डप में ही विश्राम करेगी और 22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियां डोली में विराजमान डोली का विशेष श्रृंगार किया जायेगा. डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से धाम के लिए प्रस्थान करेगी और विभिन्न यात्रा पड़ावों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी.

23 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 24 मई को डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पड़ावों से होते हुए मद्महेश्वर धाम पहुंचेगी और डोली के धाम पहुंचने पर शुभ लग्नानुसार भगवान मद्महेश्वर के कपाट विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.

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