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'मौत की डगर' पर बच्चों दिखाओ चलके, ये प्रदेश है तुम्हारा...

आपदा पीड़ित केदारघाटी के हाट गांव के स्कूली बच्चे और ग्रामीण उफान पर आई मंदाकिनी नदी को जान जोखिम में डालकर पैदल ही पार कर रहे हैं. यहां पर आवाजाही के लिये लोक निर्माण विभाग ने अस्थाई पैदल पुल बनाया था जो कि मंदाकिनी नदी के तेज बहाव में कभी भी डूब जाता है.

जान हथेली पर रखकर नदी पार करते स्कूली छात्र.
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Published : Jul 1, 2019, 8:03 PM IST

रुद्रप्रयाग: मानसून के दस्तक देने से पहले ही केदारघाटी की जनता के सामने मुसीबतें शुरू हो गई हैं. आपदा पीड़ित केदारघाटी के कई गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर तेज बहाव में बह रही मंदाकिनी नदी को पार कर रहे हैं. यहां हालात ऐसे हैं कि नदी को पार करते समय यदि थोड़ा भी संतुलन गड़बड़ाया तो जान जाना तय है. अभी पहाड़ों में मानसून ने दस्तक भी नहीं दी है, लेकिन फिर भी हालात इतने बुरे हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि आने वाले समय में क्या स्थिति होने वाली है.

जान हथेली पर रखकर नदी पार करते स्कूली छात्र.

आपदा पीड़ित केदारघाटी के हाट गांव के स्कूली बच्चे और ग्रामीण उफान पर आई मंदाकिनी नदी को जान जोखिम में डालकर पैदल ही पार कर रहे हैं. यहां पर आवाजाही के लिये लोक निर्माण विभाग ने अस्थाई पैदल पुल बनाया था जो कि मंदाकिनी नदी के तेज बहाव में कभी भी डूब जाता है. इसके अलावा नदी पार करने के लिए लगाई गई ट्रॉली के तार भी खराब हो गये हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर नदी को पार करना पड़ रहा है.

पढ़ें-जीरो टॉलरेंसः मत्स्य विभाग के अफसरों ने खूब डकारा सरकारी खजाना, 'पानी' में पीएमओ के आदेश

बता दें कि इन दिनों मंदाकिनी नदी उफान पर है. ऐसे में नदी पार करते समय ग्रामीणों और स्कूली छात्रों के साथ कभी भी कोई घटना घट सकती है. गांव के लिये पहले से ही पैदल झूला पुल स्वीकृत है, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. जिसका खामियाजा भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है.

पढ़ें-रुड़की से लापता नाबालिग छात्रा देहरादून से बरामद, 3 आरोपी गिरफ्तार

तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से स्कूली छात्र और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. हाट ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने बताया कि नदी का बहाव बढ़ने के कारण अस्थाई पुल तक पानी पहुंच चुका है. जबकि आवाजाही के लिये बनाई गई ट्रॉली के तार खराब हैं. उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग को इस मामले की जानकारी दे दी गई है. सुनीता देवी ने बताया कि पुल निर्माण के लिये जनता लंबे समय से मांग करती आ रही है. उन्होंने कहा कि पुल की स्वीकृति मिलने के बाद भी आज तक पुल का काम शुरू नहीं हो पाया है.

पढ़ें-चोराबाड़ी झील को लेकर वाडिया के वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, बताई हकीकत

केदारनाथ त्रासदी के छह साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी यहां की जनता की मुसीबतें कम नहीं हुई हैं. यहां आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोग आपदा के बाद भी बदतर जिदंगी जीने को मजबूर हैं. हाट गांव को जाने के लिये गंगानगर से तीन किमी सड़क मार्ग है, लेकिन यहां बराबर वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण ग्रामीण और स्कूली छात्रों को नदी पार करके विजयनगर, अगस्त्यमुनि जाना पड़ता है.

रुद्रप्रयाग: मानसून के दस्तक देने से पहले ही केदारघाटी की जनता के सामने मुसीबतें शुरू हो गई हैं. आपदा पीड़ित केदारघाटी के कई गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर तेज बहाव में बह रही मंदाकिनी नदी को पार कर रहे हैं. यहां हालात ऐसे हैं कि नदी को पार करते समय यदि थोड़ा भी संतुलन गड़बड़ाया तो जान जाना तय है. अभी पहाड़ों में मानसून ने दस्तक भी नहीं दी है, लेकिन फिर भी हालात इतने बुरे हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि आने वाले समय में क्या स्थिति होने वाली है.

जान हथेली पर रखकर नदी पार करते स्कूली छात्र.

आपदा पीड़ित केदारघाटी के हाट गांव के स्कूली बच्चे और ग्रामीण उफान पर आई मंदाकिनी नदी को जान जोखिम में डालकर पैदल ही पार कर रहे हैं. यहां पर आवाजाही के लिये लोक निर्माण विभाग ने अस्थाई पैदल पुल बनाया था जो कि मंदाकिनी नदी के तेज बहाव में कभी भी डूब जाता है. इसके अलावा नदी पार करने के लिए लगाई गई ट्रॉली के तार भी खराब हो गये हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर नदी को पार करना पड़ रहा है.

पढ़ें-जीरो टॉलरेंसः मत्स्य विभाग के अफसरों ने खूब डकारा सरकारी खजाना, 'पानी' में पीएमओ के आदेश

बता दें कि इन दिनों मंदाकिनी नदी उफान पर है. ऐसे में नदी पार करते समय ग्रामीणों और स्कूली छात्रों के साथ कभी भी कोई घटना घट सकती है. गांव के लिये पहले से ही पैदल झूला पुल स्वीकृत है, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. जिसका खामियाजा भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से स्कूली छात्र और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. हाट ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने बताया कि नदी का बहाव बढ़ने के कारण अस्थाई पुल तक पानी पहुंच चुका है. जबकि आवाजाही के लिये बनाई गई ट्रॉली के तार खराब हैं. उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग को इस मामले की जानकारी दे दी गई है. सुनीता देवी ने बताया कि पुल निर्माण के लिये जनता लंबे समय से मांग करती आ रही है. उन्होंने कहा कि पुल की स्वीकृति मिलने के बाद भी आज तक पुल का काम शुरू नहीं हो पाया है.

पढ़ें-चोराबाड़ी झील को लेकर वाडिया के वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, बताई हकीकत

केदारनाथ त्रासदी के छह साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी यहां की जनता की मुसीबतें कम नहीं हुई हैं. यहां आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोग आपदा के बाद भी बदतर जिदंगी जीने को मजबूर हैं. हाट गांव को जाने के लिये गंगानगर से तीन किमी सड़क मार्ग है, लेकिन यहां बराबर वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण ग्रामीण और स्कूली छात्रों को नदी पार करके विजयनगर, अगस्त्यमुनि जाना पड़ता है.

एक्सक्लूसिव वीडीओ भेजे गये हैं।

मानसून सीजन शुरू होने से पहले ही बढ़ने लगी केदारघाटी की जनता की मुसीबतें
जान जोखिम में डालकर मंदाकिनी नदी को किया जा रहा है आर-पार
स्कूली छात्रों और बच्चों के साथ कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - जान जोखिम में
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/01 जुलाई 2019/रुद्रप्रयाग/एवी
एंकर - मानसून के दस्तक देने से पहले ही केदारघाटी की जनता के सामने मुसीबतें पैदा हो गई हैं। आपदा पीड़ित केदारघाटी के कई गांवों के ग्रामीण जान को जोखिम में डालकर तेज बहाव में बह रही मंदाकिनी नदी को आर-पार कर रहे हैं। मंदाकिनी नदी को पार करते समय यदि थोड़ा भी बैलेंस डगमगाया या फिर पैर फिसला तो सीधे मौत के मुंह में समाना पड़ सकता है। अभी पहाड़ में मानसून ने दस्तक नहीं दी है, लेकिन फिर भी हालात इतने बुरे हैं कि कहा नहीं जा सकता। मानसून सीजन के आने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी खतरनाक होगी।
वीओ -1- आपदा पीड़ित केदारघाटी के केदारघाटी के हाट गांव के स्कूली बच्चे और ग्रामीण उफान पर आई मंदाकिनी नदी को जान जोखिम में डालकर पैदल रही पार कर रहे हैं। आवाजाही के लिये लोक निर्माण विभाग द्वारा अस्थाई रूप से लगाया गया पैदल पुल नदी का पानी बढ़ने के कारण डूब गया है और ट्राली के तार खराब हो गये हैं। जिस कारण मजबूरी में अब ग्रामीणों को जान हाथ में रखकर नदी को पैदल ही पार करना पड़ रहा है। तेज बहाव में बह रही मंदाकिनी नदी को पार करते समय ग्रामीणों और स्कूली छात्रों के साथ कभी भी कोई घटना घट सकती है। गांव के लिये पूर्व से ही पैदल झूल पुल स्वीकृत है, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है।
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस तरह से केदारघाटी के हाट गांव के स्कूली नौनिहाल और ग्रामीण तेज बाहव में बह रही मंदाकिनी नदी को जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं। नदी का बहाव इतना तेज है कि वह किसी को भी अपने साथ बहाकर ले जाय। तस्वीरों में दिख रहे बच्चे हाथ से हाथ पकड़कर नदी को पार करने की कोशिश कर रहे हैं।
ग्राम प्रधान हाट सुनीता देवी ने बताया कि नदी का बहाव बढ़ने के कारण अस्थाई पुल तक पानी पहुंच चुका है। जबकि आवाजाही के लिये बनाई गई ट्राली के तार खराब हैं। समस्या से लोक निर्माण विभाग को भी अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। पुल निर्माण के लिये जनता लंबे समय से मांग करती आ रही है, लेकिन इस दिशा में सुध नहीं ली जा रही है। पुल को स्वीकृति भी मिल चुकी है, मगर पुल का कार्य शुरू नहीं हो रहा है। नदी को पार करते समय कभी भी कोई घटना घट सकती है।
केदारनाथ त्रासदी को छह साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन जनता की मुसीबतें कम नहीं हुई हैं। कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां के लोग आपदा के बाद बदतर जिदंगी जीने को मजबूर हैं। हाट गांव को जाने के लिये गंगानगर से तीन किमी सड़क मार्ग है, लेकिन यहां तक बराबर वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में ग्रामीण और स्कूली छात्र नदी को पार करके ही विजयनगर, अगस्त्यमुनि बाजार पहुंचते हैं, लेकिन बाजार पहुंचने से पूर्व ग्रामीणों को मंदाकिनी नदी जान जोखिम में डालकर पार करनी पड़ रही है।

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