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रुद्रप्रयागः लॉकडाउन के कारण गहराया आर्थिक संकट, रिवर्स पलायन को मजबूर लोग

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Published : May 26, 2020, 6:45 PM IST

रुद्रप्रयाग के मुख्य बाजारों में वर्षों से डेरा जमाये कई परिवार अब अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं. लॉकडाउन के कारण कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

rudraprayag lockdown effect
कॉन्सेप्ट इमेज.

रुद्रप्रयाग: देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण रुद्रप्रयाग में आम लोगों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है. रुद्रप्रयाग के दुरस्थ गांवों के लोग बच्चों की पढ़ाई के लिये कई वर्षों से मुख्य बाजारों में डेरा डाले हुए हैं. वहीं, लॉकडाउन के कारण काम बंद होने के चलते ये लोग आज अपने गांवों की ओर रुख करने को मजबूर हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में मदमहेश्वर, कालीमठ, तुंगनाथ, केदारघाटियों की 70 ग्राम पंचायतों के लगभग 40 प्रतिशत परिवार नौनिहालों को उच्च शिक्षा देने के उद्देश्य से मुख्य बाजारों में वर्षों से डेरा जमाए हुए थे. इन परिवारों के मुखिया देश के अन्य राज्यों में होटलों या फिर अन्य संस्थानों में नौकरी करते थे. वहीं, लॉकडाउन के कारण अब इनकी जिंदगी पर खासा असर पड़ रहा है.

पढ़ें: रुद्रप्रयागः DM वंदना चैहान ने संभाला पद, कहा- कोरोना से डरना नहीं लड़ना है.

बीते दो महीनों से जारी लॉकडाउन के कारण मुख्य बाजारों में रह रहे कुछ परिवार वापस अपने गांवों का रुख कर रहे हैं. आने वाले समय में यदि प्राइवेट क्षेत्रों में नौकरी के अवसर नहीं मिलते हैं तो बेरोजगार हुए युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

प्रधान दैड़ा योगेंद्र नेगी का कहना है कि हर गांवों में स्वरोजगार अपनाने के लिए अभी से युवाओं को प्रयास करने होंगे. पीएम मोदी की आत्मनिर्भर बनने की अपील तभी साकार हो सकती है.

रुद्रप्रयाग: देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण रुद्रप्रयाग में आम लोगों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है. रुद्रप्रयाग के दुरस्थ गांवों के लोग बच्चों की पढ़ाई के लिये कई वर्षों से मुख्य बाजारों में डेरा डाले हुए हैं. वहीं, लॉकडाउन के कारण काम बंद होने के चलते ये लोग आज अपने गांवों की ओर रुख करने को मजबूर हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में मदमहेश्वर, कालीमठ, तुंगनाथ, केदारघाटियों की 70 ग्राम पंचायतों के लगभग 40 प्रतिशत परिवार नौनिहालों को उच्च शिक्षा देने के उद्देश्य से मुख्य बाजारों में वर्षों से डेरा जमाए हुए थे. इन परिवारों के मुखिया देश के अन्य राज्यों में होटलों या फिर अन्य संस्थानों में नौकरी करते थे. वहीं, लॉकडाउन के कारण अब इनकी जिंदगी पर खासा असर पड़ रहा है.

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बीते दो महीनों से जारी लॉकडाउन के कारण मुख्य बाजारों में रह रहे कुछ परिवार वापस अपने गांवों का रुख कर रहे हैं. आने वाले समय में यदि प्राइवेट क्षेत्रों में नौकरी के अवसर नहीं मिलते हैं तो बेरोजगार हुए युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

प्रधान दैड़ा योगेंद्र नेगी का कहना है कि हर गांवों में स्वरोजगार अपनाने के लिए अभी से युवाओं को प्रयास करने होंगे. पीएम मोदी की आत्मनिर्भर बनने की अपील तभी साकार हो सकती है.

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