रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के नौजुला मैखंडा में सिद्धपीठ मां महिषमर्दनी का पांगरी मेला कोरोना वायरस के चलते सादगी के साथ मनाया गया. क्षेत्र के पांगरी नाम के स्थान पर मेले में मात्र मां की भोग मूर्तियों की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई. इस बार सीमित लोगों को मेले की अनुमति मिलने की वजह से सिद्धपीठ में भक्तों की कोई भीड़ जमा नहीं हुई.
केदारघाटी के मैखंडा में मां महिषमर्दनी की पांगरी मेले को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. दो दिवसीय इस मेले के लिए ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुमति लेकर शनिवार को मां भगवती महिषमर्दनी की मूर्ति को गर्भ गृह से बाहर निकाल कर पांगरी ले गए. जहां पर पुजारियों ने मां की भोग मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना की.
ये भी पढ़ें: CORONA को कड़ी टक्कर, फुल फेस मास्क से सुरक्षित होंगे 'वॉरियर्स'
अखण्डता और एकता का प्रतीक है पांगरी मेला
केदारघाटी के स्थानीय लोगों के मुताबिक मां महिषमर्दनी का पांगरी मेला एकता और अखण्डता का प्रतीक है. मेले में हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. क्षेत्र में लगभग बीस गांवों का समूह है, जिसका नाम नौजुला मैखंडा रखा गया है. इन गांवों के बेटियां इस मेले में शिरकत करने ससुराल से मायके आतीं थीं. स्थानीय लोग गढ़वाली नृत्य झुमैलो खेलकर मां महिषमर्दिनी की अराधना करते हैं.