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33 साल बाद मदमहेश्वर घाटी के इस गांव में पांडव नृत्य का हुआ आयोजन

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Published : Nov 13, 2022, 5:32 PM IST

मदमहेश्वर घाटी के फापंज बरसाल गांव में 33 साल बाद आयोजित पांडव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है. प्रतिदिन विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं.

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रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत फापंज बरसाल में 33 साल बाद आयोजित पांडव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं, पांडव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा धियाणियों व प्रवासियों के गांव की ओर रूख करने से रौनक लौटने लगी है. वहीं, 26 नवंबर से शुरू हुए पांडव नृत्य में अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पांडव नृत्य में बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण व द्रोपदी सहित सभी पांडव पश्वाओं का नृत्य मुख्य आकर्षण बना हुआ है.

पांडव नृत्य कमेटी अध्यक्ष दर्शन सिंह पुष्वाण ने बताया कि फापंज बरसाल गांव में 33 साल बाद आयोजित पांडव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा प्रतिदिन विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. पांडव नृत्य कमेटी संरक्षक कुंवर सिंह नेगी ने बताया कि आगामी 15 नवंबर को गैडा कौथिग, 16 नवंबर को पर्यटक स्थल देवरिया ताल में तीर्थ यात्रा व गंगा स्नान, 18 नवंबर को पैंय्या डाली कौथिग के साथ 19 नवंबर को पांडवों के अस्त्र-शस्त्र विसर्जित के साथ पांडव नृत्य का समापन होगा.

पढ़ें- केदारघाटी में गंगा स्नान के साथ पांडव नृत्य का आगाज, परंपरा निर्वहन न करने पर होती है अनहोनी

पूर्व कनिष्ठ प्रमुख दर्शनी पंवार ने बताया कि केदारघाटी में पांडव नृत्य की परम्परा युगों पूर्व से चली आ रही है तथा हर वर्ष केदारघाटी के विभिन्न गांवों में पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिसमें अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है. प्रधान पुष्पा पुष्वाण ने बताया कि पांडव नृत्य केदारघाटी की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहर है तथा पांडव नृत्य की परम्परा को जीवित रखने के लिए केदारघाटी के जनमानस का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रधान पाली सरुणा प्रेमलता पन्त ने बताया कि पांडव नृत्य में पांडवों का नगर भ्रमण का समय बड़ा भावुक होता है तथा केदारघाटी का जनमानस पांडव नृत्य की परम्परा के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा से समर्पित व निस्वार्थ भावना से कार्य करता रहता है.

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत फापंज बरसाल में 33 साल बाद आयोजित पांडव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं, पांडव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा धियाणियों व प्रवासियों के गांव की ओर रूख करने से रौनक लौटने लगी है. वहीं, 26 नवंबर से शुरू हुए पांडव नृत्य में अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पांडव नृत्य में बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण व द्रोपदी सहित सभी पांडव पश्वाओं का नृत्य मुख्य आकर्षण बना हुआ है.

पांडव नृत्य कमेटी अध्यक्ष दर्शन सिंह पुष्वाण ने बताया कि फापंज बरसाल गांव में 33 साल बाद आयोजित पांडव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा प्रतिदिन विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. पांडव नृत्य कमेटी संरक्षक कुंवर सिंह नेगी ने बताया कि आगामी 15 नवंबर को गैडा कौथिग, 16 नवंबर को पर्यटक स्थल देवरिया ताल में तीर्थ यात्रा व गंगा स्नान, 18 नवंबर को पैंय्या डाली कौथिग के साथ 19 नवंबर को पांडवों के अस्त्र-शस्त्र विसर्जित के साथ पांडव नृत्य का समापन होगा.

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पूर्व कनिष्ठ प्रमुख दर्शनी पंवार ने बताया कि केदारघाटी में पांडव नृत्य की परम्परा युगों पूर्व से चली आ रही है तथा हर वर्ष केदारघाटी के विभिन्न गांवों में पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिसमें अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है. प्रधान पुष्पा पुष्वाण ने बताया कि पांडव नृत्य केदारघाटी की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहर है तथा पांडव नृत्य की परम्परा को जीवित रखने के लिए केदारघाटी के जनमानस का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रधान पाली सरुणा प्रेमलता पन्त ने बताया कि पांडव नृत्य में पांडवों का नगर भ्रमण का समय बड़ा भावुक होता है तथा केदारघाटी का जनमानस पांडव नृत्य की परम्परा के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा से समर्पित व निस्वार्थ भावना से कार्य करता रहता है.

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