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15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य, 22 नवंबर को होगा मिलन कार्यक्रम

15 साल बाद रांसी गांव के मदमहेश्वर घाटी में पांडव नृत्य के आयोजन से घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुन और पौराणिक जागरों के साथ पांडव प्रतिदिन दोपहर और रात्रि के समय नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं.

15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य
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Published : Nov 17, 2019, 7:40 PM IST

Updated : Nov 17, 2019, 7:45 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में भगवती राकेश्वरी के मंदिर परिसर में 15 सालों बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. इस दौरान घाटी के दर्जनों गांवों के ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल हुए और पुण्य अर्जित किया. इस बार 15 सालों बाद 22 नवंबर को पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली और पांडवों का अद्भुत मिलन होगा.

15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य.

मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में पांडव नृत्य के आयोजन से घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुन और पौराणिक जागरों के साथ पांडव प्रतिदिन दोपहर और रात्रि के समय नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं. प्रवासियों के रांसी गांव की ओर रूख करने से रांसी गांव की चौपालों में रौनक लौट आईं है. वहीं, लगभग एक माह तक चलने वाले पांडव नृत्य में अनेक पौराणिक परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पौराणिक जागरों के माध्यम से पंच देव पांडवों सहित 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान किया गया.

ये भी पढ़ें: सेलाकुई नगर पंचायत गठन को लेकर असमंजस में सरकार, जानें पूरा मामला

पौराणिक परंपरानुसार, पांडव नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं. ग्रामीणों ने पांडवों के नगर भ्रमण के दौरान फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया. इस बारे में प्रधान कुंती नेगी ने बताया कि रांसी गांव में आयोजित पांडव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली औक पंच देव पांडवों के अद्भुत मिलन को यादगार बनाने के लिए कीर्तन-भजन और अखंड जागरण का आयोजन किया जाएगा.

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में भगवती राकेश्वरी के मंदिर परिसर में 15 सालों बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. इस दौरान घाटी के दर्जनों गांवों के ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल हुए और पुण्य अर्जित किया. इस बार 15 सालों बाद 22 नवंबर को पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली और पांडवों का अद्भुत मिलन होगा.

15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य.

मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में पांडव नृत्य के आयोजन से घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुन और पौराणिक जागरों के साथ पांडव प्रतिदिन दोपहर और रात्रि के समय नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं. प्रवासियों के रांसी गांव की ओर रूख करने से रांसी गांव की चौपालों में रौनक लौट आईं है. वहीं, लगभग एक माह तक चलने वाले पांडव नृत्य में अनेक पौराणिक परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पौराणिक जागरों के माध्यम से पंच देव पांडवों सहित 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान किया गया.

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पौराणिक परंपरानुसार, पांडव नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं. ग्रामीणों ने पांडवों के नगर भ्रमण के दौरान फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया. इस बारे में प्रधान कुंती नेगी ने बताया कि रांसी गांव में आयोजित पांडव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली औक पंच देव पांडवों के अद्भुत मिलन को यादगार बनाने के लिए कीर्तन-भजन और अखंड जागरण का आयोजन किया जाएगा.

Intro:पाण्डव नृत्य से मदमहेश्वर घाटी का वातावरण बना भक्तिमय
पन्द्रह वर्षों बाद हो रहा है रांसी गांव में पाण्डव नृत्य
22 नवंबर को मदमहेश्वर डोली और पाण्डवों का होगा अद्भुत मिलन
रुद्रप्रयाग-मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव में भगवती राकेश्वरी के मंदिर परिसर में पन्द्रह वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य के आयोजन से मद्महेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। पाण्डवों के पश्वा हर दिन नगर भ्रमण कर गांव के विभिन्न तोकों में श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं। मद्महेश्वर घाटी के दर्जनों गांवों के ग्रामीण भी पाण्डव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस बार पन्द्रह वर्षों बाद 22 नवम्बर को पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली व पाण्डवों का अदभुत मिलन होगा, जो कि भविष्य के पलों में हमेशा यादगार रहेगा।Body:मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में पांडव नृत्य के आयोजन से घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुनों व पौराणिक जागरों के साथ पाण्डव प्रतिदिन दोपहर व रात्रि के समय नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं। प्रवासियों व धियाणियों के रांसी गांव की ओर रूख करने से रांसी गांव की चैपालों में रौनक लौट आईं है। लगभग एक माह तक चलने वाले पाण्डव नृत्य में अनेक पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है। पौराणिक जागरों के माध्यम से पंच देव पाण्डवों सहित तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान किया जा रहा है। जागरों के माध्यम से प्रतिदिन देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चैखम्भा हिमालय तक देव स्तुति की जा रही है। पौराणिक परम्परानुसार पाण्डव नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं तथा ग्रामीणों द्वारा पाण्डवों के नगर भ्रमण के दौरान फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया जा रहा है। इस बार 22 नवम्बर को पन्द्रह वर्षों बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली व पंच देव पाण्डवों का अदभुत मिलन के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बनेंगे। जानकारी देते हुए प्रधान कुंती नेगी ने बताया कि रांसी गांव में आयोजित पाण्डव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली व पंच देव पाण्डवों के अदभुत मिलन को यादगार बनाने के लिए कीर्तन-भजन व अखण्ड जागरण का आयोजन किया जायेगा। बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, शिक्षाविद् भगवती प्रसाद भट्ट, हरेन्द्र खोयाल, पान सिंह नेगी, लक्ष्मण सिंह पंवार, रणजीत रावत, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य भरोसी रावत, चन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि 29 नवम्बर तक चलने वाले पाण्डव नृत्य में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।Conclusion:
Last Updated : Nov 17, 2019, 7:45 PM IST
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