रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में भगवती राकेश्वरी के मंदिर परिसर में 15 सालों बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. इस दौरान घाटी के दर्जनों गांवों के ग्रामीण पांडव नृत्य में शामिल हुए और पुण्य अर्जित किया. इस बार 15 सालों बाद 22 नवंबर को पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली और पांडवों का अद्भुत मिलन होगा.
मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में पांडव नृत्य के आयोजन से घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुन और पौराणिक जागरों के साथ पांडव प्रतिदिन दोपहर और रात्रि के समय नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं. प्रवासियों के रांसी गांव की ओर रूख करने से रांसी गांव की चौपालों में रौनक लौट आईं है. वहीं, लगभग एक माह तक चलने वाले पांडव नृत्य में अनेक पौराणिक परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पौराणिक जागरों के माध्यम से पंच देव पांडवों सहित 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान किया गया.
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पौराणिक परंपरानुसार, पांडव नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष दे रहे हैं. ग्रामीणों ने पांडवों के नगर भ्रमण के दौरान फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया. इस बारे में प्रधान कुंती नेगी ने बताया कि रांसी गांव में आयोजित पांडव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली औक पंच देव पांडवों के अद्भुत मिलन को यादगार बनाने के लिए कीर्तन-भजन और अखंड जागरण का आयोजन किया जाएगा.