रुद्रप्रयाग: चारों धामों की डोलियों के शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होते ही शीतकालीन यात्रा का भी विधिवत आगाज हो गया है. अब देश-विदेश के भक्त शीतकालीन मंदिर में आकर अपने आराध्य के दर्शन कर सकते हैं. पंच केदार शीतकालीन गद्दीस्थल व ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो भक्त किसी कारणवश केदार और मदमहेश्वर भगवान के दर्शन नहीं कर पाते हैं, उन्हें ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन करने से पंच केदारों के दर्शन का लाभ अर्जित होता है.
ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को पंच केदार शीतकालीन गद्दीस्थल के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर भगवान केदारनाथ और द्वितीय केदार मदमहेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल है. इसके अलावा यहां तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ और पंच केदार कल्पेश्वर की भी पूजा होती है. मान्यता है कि ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन करने से पांचों केदारों के दर्शन करने का लाभ मिलता है.
ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि महाराज मान्धाता को भगवान शिव ने यहां ओमकार रूप में दर्शन दिये थे. जिसके बाद इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर पड़ा. जो भक्त ओंकारेश्वर के दर्शन करते हैं, उन्हें पांचों केदारों के दर्शनों का पुण्य अर्जित होता है.
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देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर पहुंच गई हैं. डोलियों के पंच केदार गद्दीस्थल पहुंचने के बाद शीतकालीन यात्रा का भी आगाज हो गया है. पिछले वर्ष शीतकाल के दौरान 12 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री यहां पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु किसी कारणवश केदारनाथ या मदमहेश्वर नहीं जा पाते हैं, वे ओंकारेश्वर मंदिर में आकर दर्शन कर सकते हैं.