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Rudraprayag News: विकास ने इस गांव को भी बना दिया 'खंडहर', रेल प्रोजेक्ट की चुकाई कीमत!

रुद्रप्रयाग जिले के मरोड़ा गांव ने भी विकास के लिए खुद को बर्बाद कर लिया. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल के लिए आबादी से भरा रहने वाला गांव अब खंडहर में तब्दील होने जा रहा है. सबसे बड़ी समस्या ये है कि सरकार ने प्रभावितों के विस्थापन के लिए कोई जगह भी चिन्हित नहीं की है, जहां उन्हें बसाया जा सके.

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Published : Jan 21, 2023, 7:36 PM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के एक और गांव ने आज विकास की बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना से रुद्रप्रयाग जिले का मरोड़ा गांव बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. गांव के कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं कई घर जमींदोज हो चुके हैं.

आज गांव की स्थिति यह कोई भी घर रहने लायक नहीं बचा है, जिन पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिला, वह तो गांव को छोड़कर चले गये हैं. लेकिन जिन्हें मुआवजा नहीं मिला, वह परिवार आज भी टूटे फूटे घरों में निवास कर रहे हैं. हालांकि गांव के पीड़ित सभी 70 परिवारों को विस्थापन के लिये प्रशासन ने 21 करोड़ जारी कर दिये हैं. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन पीड़ितों को मुआवजा राशि वितरित की जायेगी.
पढ़ें- Joshimath Crisis: 'देवस्थानम बोर्ड होता तो पैसों के लिए नहीं भटकना पड़ता, पुनर्वास में बजट की कमी पर बोले त्रिवेंद्र

रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर स्थित मरोड़ा गांव ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन टनल निर्माण के चलते बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. गांव सहित आस-पास के क्षेत्रों में लगभग 70 परिवार निवास करते हैं. गांव के घरों में टनल निर्माण से पहले तो दरारें पड़ी और बाद में दरारों ने विकराल रूप ले लिया और घर टूटने लग गये. जिन प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से मुआवजा मिला वह तो गांव से निकल गये, लेकिन जिन परिवारों को मुआवजा नहीं मिला वह टूटे-फूटे घरों में ही रहने लगे. हालांकि रेल लाइन टनल का निर्माण कर रही कार्यदायी संस्था की ओर से पीड़ित परिवारों के लिये टिनशेड बनाये गए हैं. लेकिन इनमें कोई सुविधा नहीं दी गई, जिस कारण ग्रामीण टूटे घरों में ही रहे.

वहीं, पीड़ित 70 परिवारों के विस्थापन के लिये सरकार ने कोई जगह चिन्हित नहीं की है. विस्थापन के नाम पर पीड़ितों को मुआवजा राशि वितरित की जा रही है और इसके बाद ग्रामीणों को गांव खाली करने के निर्देश दिये जा रहे हैं. 70 परिवारों को लगभग 21 करोड़ की धनराशि मुआवजे के तौर पर दी जा रही है. आबादी से भरा रहने वाला गांव अब खंडर में तब्दील होने जा रहा है. प्रभावित परिवारों को वर्तमान सर्किल रेट से बढ़े हुए मुआवजे के रूप में वितरित किया जाएगा.
पढ़ें- Joshimath Crisis: एनडीएमए तैयार करेगी आपदा की फाइनल रिपोर्ट, भवनों में पड़ी दरारें हो रही है चौड़ी

वर्तमान समय में अन्यत्र रह रहे करीब 27 परिवारों को किराये की राशि दी जा रही है, जबकि 10 से 12 परिवारों के लिए टिनशेड बनाए गए हैं. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि रेलवे टनल निर्माण से मरोड़ा गांव को भारी नुकसान हुआ है. अब मरोड़ा गांव के 70 परिवारों के विस्थापन को लेकर रेलवे ने जिला प्रशासन को धनराशि दे दी है, जिसे जल्द ही प्रभावितों को बांटा जाएगा.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के एक और गांव ने आज विकास की बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना से रुद्रप्रयाग जिले का मरोड़ा गांव बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. गांव के कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं कई घर जमींदोज हो चुके हैं.

आज गांव की स्थिति यह कोई भी घर रहने लायक नहीं बचा है, जिन पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिला, वह तो गांव को छोड़कर चले गये हैं. लेकिन जिन्हें मुआवजा नहीं मिला, वह परिवार आज भी टूटे फूटे घरों में निवास कर रहे हैं. हालांकि गांव के पीड़ित सभी 70 परिवारों को विस्थापन के लिये प्रशासन ने 21 करोड़ जारी कर दिये हैं. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन पीड़ितों को मुआवजा राशि वितरित की जायेगी.
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रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर स्थित मरोड़ा गांव ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन टनल निर्माण के चलते बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. गांव सहित आस-पास के क्षेत्रों में लगभग 70 परिवार निवास करते हैं. गांव के घरों में टनल निर्माण से पहले तो दरारें पड़ी और बाद में दरारों ने विकराल रूप ले लिया और घर टूटने लग गये. जिन प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से मुआवजा मिला वह तो गांव से निकल गये, लेकिन जिन परिवारों को मुआवजा नहीं मिला वह टूटे-फूटे घरों में ही रहने लगे. हालांकि रेल लाइन टनल का निर्माण कर रही कार्यदायी संस्था की ओर से पीड़ित परिवारों के लिये टिनशेड बनाये गए हैं. लेकिन इनमें कोई सुविधा नहीं दी गई, जिस कारण ग्रामीण टूटे घरों में ही रहे.

वहीं, पीड़ित 70 परिवारों के विस्थापन के लिये सरकार ने कोई जगह चिन्हित नहीं की है. विस्थापन के नाम पर पीड़ितों को मुआवजा राशि वितरित की जा रही है और इसके बाद ग्रामीणों को गांव खाली करने के निर्देश दिये जा रहे हैं. 70 परिवारों को लगभग 21 करोड़ की धनराशि मुआवजे के तौर पर दी जा रही है. आबादी से भरा रहने वाला गांव अब खंडर में तब्दील होने जा रहा है. प्रभावित परिवारों को वर्तमान सर्किल रेट से बढ़े हुए मुआवजे के रूप में वितरित किया जाएगा.
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