रुद्रप्रयागः इन दिनों रुद्रप्रयाग जिले में मौसम बदलने से पालतू कुत्ते पार्वो वायरस की चपेट में आ रहे हैं. इस बीमारी से कुत्तों की आंत में संक्रमण फैल रहा है. जिले में करीब 60 फीसदी पालतू कुत्ते इस विषाणुजनित रोग की चपेट में आ चुके हैं. कुत्तों के पिल्लों में फैली इस बीमारी से निपटने के लिए पशु डॉक्टर हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं. बीमारी के कारण पशु चिकित्सालयों में कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है.
बता दें कि मौसम अनुकूल न होने के कारण पालतू कुत्ते भी पार्वो वायरस की चपेट में आ रहे हैं. रुद्रप्रयाग जिले में साठ फीसदी कुत्ते इस बीमारी की चपेट में है और कुत्तों को खूनी पेचिस और उल्टी हो रही है. यह विषाणुजनित रोग मौसम परिवर्तन होने से फैलता है. रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ, फाटा, गुप्तकाशी, रामपुर, रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि, चंद्रापुरी, सुमाड़ी, चैरिंया भरदार, जखोली, मुन्ना देवल, कांडई, दुर्गाधार, क्यूंजा के पशु केंद्रों में हर दिन 10 से 15 पालतू कुत्ते पर्वो बीमारी से ग्रसित हैं.
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अब तक करीब इन सभी चिकित्सालयों में दो हजार से ज्यादा कुत्ते पार्वो बीमारी की चपेट में आने के बाद आ चुके हैं. समय से इलाज न मिलने के कारण पार्वो बीमारी से ग्रसित कई कुत्तों की मौत भी हो चुकी है. पशु चिकित्सकों की मानें तो मौसम बदलने से कुत्तों में पार्वो वायरस का संक्रमण फैलने लगता है. जिन कुत्तों को पैदा होने के आधे महीने और डेढ़ महीने के भीतर पार्वो का टीका लगता है, उनमें यह बीमारी नहीं होती है. इसके साथ ही ढाई महीने में बूस्टर डोज लगाया जाता है.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश नितवाल ने बताया कि जिन कुत्तों का टीकाकरण होता है, वो तो इस बीमारी से बच जाते हैं, लेकिन जिनका टीकाकरण नहीं होता है, यह वायरस उन कुत्तों में तेजी से अटैक करता है. पार्वो वायरस कुत्तों की आंत में अवरोध पैदा करता है. इससे आंतों में संक्रमण हो जाता है. संक्रमण के प्रभाव से कुत्ते को खून की उल्टी होने लगती है. संक्रमित कुत्तों के शरीर से बुरी तरह दुर्गंध आती है.
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बड़े जानवरों को इस वायरस से कोई खतरा नहीं होता है, लेकिन छोटे जानवरों के लिए यह वायरस गंभीर खतरा पैदा करता है. समय पर इलाज नहीं मिलने से कुत्तों को खून की उल्टी हो रही है. कुत्ते के पिल्लों के लिए तो यह वायरस इतना घातक है कि डेढ़ से दो माह के पिल्लों की मौत तक हो रही है. उन्होंने बताया कि रोजाना बीमार कुत्तों की संख्या बढ़ रही है. वैक्सीनेसन से इलाज संभव है. इसलिए समय पर अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण जरूर करवाएं. उन्होंने कहा कि अपने कुत्ते को अंडा और मीट बिल्कुल भी न दें. जितना हो सके मूंग की खिचड़ी, दही और ओआरएस का घोल पिलाएं.
क्या है पार्वो वायरस
जानवरों में तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां होती है. इनमें कुत्तों में होने वाली बीमारियों में पार्वो वायरस बेहद घातक है. इस वायरस से पीड़ित कुत्ते के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है. यह एक वायरल बीमारी है और समय पर इलाजा न होने पर जानवरों की मौत तक हो जाती है. बीमार पड़ने से पहले कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जिससे आप आसानी से जान सकते हैं कि आपका कुत्ता वायरल बीमारी से पीड़ित है.
पशु चिकित्सकों के अनुसार पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ता खांसने लगता है, छींकें आती हैं. कुत्ता भोजन नहीं करता. पानी नहीं पीता और उसकी नाक में सूखापन आ जाता है. वायरस से कुत्तों को बचाने के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं. इनमें पहला टीका पिल्ले को डेढ़ महीने की उम्र में, दूसरा ढाई और तीसरा टीका साढ़े तीन महीने की उम्र में लगाया जाता है. पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ते की आंतों में गंभीर संक्रमण हो जाता है.
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बाजार में उपलब्ध है पार्वो का टीका
बाजार में पार्वो वायरस के एक टीके की कीमत तकरीबन दो सौ रुपये है. फिलहाल, राजकीय पशु चिकित्सालयों में यह टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन बाजार में पशुओं की दवा बेचने वाले केमिस्ट के पास टीका उपलब्ध है. वायरस से बचाव के लिए शुरूआत से ही कुत्तों का टीकाकरण बेहद जरूरी है.