रुद्रप्रयाग: भेड़ पालकों की आराध्य देवी भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा राकेश्वरी मंदिर रांसी से शुरू हो गयी है. ये लोक जात यात्रा 24 जुलाई को मनणामाई धाम पहुंचेगी. पूजा-अर्चना के बाद लोक जात यात्रा राकेश्वरी मन्दिर रांसी के लिए वापस रवाना होगी. लोक जात यात्रा का राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचना मौसम पर निर्भर करेगा. मगर मनणामाई लोक जात यात्रा की वापसी में सनियारा रात्रि प्रवास युगों से चली परम्परा के अनुसार आवश्यक माना गया है. लोक जात यात्रा में 25 श्रद्धालु मौजूद हैं.
शुक्रवार को राकेश्वरी मंदिर रांसी में विद्वान आचार्यों ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजायें संपन्न कर भगवती राकेश्वरी व भगवती मनणामाई का आह्वान कर आरती उतारी. जिसके बाद भगवती मनणामाई की डोली का विशेष श्रृंगार कर भगवती मनणामाई की डोली ने राकेश्वरी मंदिर की परिक्रमा की. महिलाओं ने मांगल गीतों तथा ब्राह्मणों ने वेद ऋचाओं से भगवती मनणामाई की डोली को कैलाश के लिए रवाना किया. भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा के कैलाश रवाना होने पर रांसी गांव के ग्रामीणों ने मीलों दूर तक मनणामाई की लोक जात यात्रा को परम्परानुसार विदा किया.
राकेश्वरी मंदिर के पुजारी भगवती प्रसाद भट्ट ने बताया कि भगवती मनणामाई भेड़ पालकों की आराध्य देवी मानी जाती हैं. युगों से परम्परा के अनुसार प्रति वर्ष मनणामाई की लोक जात यात्रा सावन मास में राकेश्वरी मन्दिर रासी से शुरू होती है. मनणा धाम में पूजा-अर्चना के बाद लोक जात यात्रा की राकेश्वरी मन्दिर रासी के लिए वापसी होती है. राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचने पर लोक जात यात्रा का समापन होता है. राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया इस बार पण्डित ईश्वरी प्रसाद भट्ट मनणामाई लोक जात यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं. 24 जुलाई को मनणामाई लोक जात यात्रा मनणा धाम पहुंचेगी.
बदरी-केदार मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि मनणामाई धाम रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर चौखम्बा की तलहटी व मदानी नदी के किनारे बसा है. मनणामाई तीर्थ सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है. शिक्षाविद रवि भट्ट ने बताया मनणामाई धाम पहुंचने के लिए सनियारा, पटूणी, थौली, सीला समुन्दर, कुलवाणी यात्रा पड़ावों से पहुंचा जा सकता है. मनणामाई तीर्थ में हर भक्त के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.