रुद्रप्रयाग: छः नवंबर से अगस्त्यमुनि में आयोजित होने वाले मंदाकिनी शरदोत्सव मेले को शासन-प्रशासन से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है. जिसके कारण मेला समिति के लोगों में खासा आक्रोश है. मेला समिति का आरोप है कि मेले में निमंत्रण देने पर मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री आकर घोषणाएं तो करते हैं, लेकिन उन पर अमल कोई नहीं करता. मेला समिति ने कहा कि सरकार लगातार संस्कृति को बचाने की बात कहती है, लेकिन जब संस्कृति के लिए काम करने की बात आती है तो सभी हाथ पीछे खींच लेते हैं. मेला समिति ने कहा कि वे लगातार अपने संसाधनों से मेले का संचालन कर रहे हैं.
दरअसल, अगस्त्यमुनि में दो दशकों से मंदाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक विकास मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर मनोरंजन के साथ ही स्थानीय उत्पादों के भी स्टाॅल लगाये जाते हैं. साथ ही विभागीय स्टाॅल लगाकर जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है. इतना ही नहीं जिले के इस सबसे बड़े मेले में मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री आकर मेले का हर दिन किसी न किसी योजना का शुभारंभ करते हैं. बावजूद इसके मेला समिति सरकार और प्रशासन से खुश नहीं है.
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मेला समिति का कहना है कि आज तक मेले में जितनी भी घोषणाएं की गई हैं वो पूरी नहीं की गई हैं. मेला समिति ने कहा कि सरकार और नेता जिले के इस मेले को लेकर गंभीर नहीं हैं. जिसके कारण स्थानीय लोग मायूस हो रहे हैं. मेला समिति के संयोजक विक्रम नेगी ने बताया कि छः नवंबर से आयोजित होने वाले मंदाकिनी शरदोत्सव मेले का शुभारंभ केदारनाथ विधायक करेंगे. जबकि मेले के समापन पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत यहां पहुंचेंगे.
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उन्होंने कहा कि पिछले साल मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस मेले के शुभारंभ किया था. इस दौरान उन्होंने मेले को भव्य रूप देने के लिए पांच लाख रुपए देने की घोषणा की थी. इसके अलावा अन्य मंत्रियों और विधायकों ने संस्कृति विभाग व अन्य संसाधानों से मेले की मजबूती को लेकर घोषणाएं की थी, जिन पर अभी तक कोई अमल नहीं किया गया है. इस बारे में कई बार पत्राचार और मुलाकात भी की गई लेकिन नतीजा सिफर ही निकला.
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मेला समिति का कहना है कि जिस तरह से गौचर में आयोजित होने वाले मेले को सरकारी मदद दी जाती है, ठीक उसी प्रकार से अगस्त्यमुनि में आयोजित होने वाले मंदाकिनी शरदोत्सव मेले को भी सहायता दी जाय. जिससे यहां के स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा मिल सके और इस मेले को और अधिक भव्य बनाया जा सके. वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का इस मामले में कहना है कि स्थानीय समिति मेले का आयोजन करती है. जिला प्रशासन की ओर से मेला समिति की मदद करने के साथ ही यहां स्टाॅल लगाये जाते हैं. यदि शासन स्तर पर मेला समिति का बजट रह गया है तो इसके लिए पत्राचार किया जायेगा.