रुद्रप्रयाग: पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं. वहीं, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी भी खतरे के निशान के पास बह रही है. अलकनंदा नदी के उफान पर आने के कारण सभी स्नान घाट जलमग्न हो गए हैं. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ में भी दो दिनों से बारिश जारी है. बारिश के कारण यात्रा मार्ग के व्यापारियों का व्यवसाय भी चौपट हो गया है.
पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के कारण भूस्खलन होना भी शुरू हो गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड पर डेंजर जोन सक्रिय बन गए हैं. इसके अलावा नदी-नाले और गाड़-गदेरे भी उफान पर हैं. बारिश के कारण चमोली और केदारघाटी में लगातार बारिश होने से अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ गया है. जिससे नदी किनारे नमामि गंगे योजना के तहत नवनिर्मित सभी स्नान और अन्य घाट डूब गए हैं. नदी का बहाव इतना तेज है कि घाट के कुछ हिस्सों का कुछ पता ही नहीं चल रहा है.
इसके साथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में दो दिनों से लगातार बारिश जारी है. धाम में हो रही बारिश के कारण यात्रा भी बुरी तरह से चरमरा गई है. केदारनाथ में विजिबिलिटी भी शून्य है. घने कोहरे के कारण केदारनाथ के लिये हेली सेवाएं भी उड़ान नहीं भर पा रही हैं.
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यात्रा में भारी कमी आने से यात्रा मार्ग पर व्यवसाय करने वाले व्यापारियों को भी खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. अधिकांश व्यापारियों ने तो पैदल मार्ग से अपनी दुकानें भी हटा ली हैं. केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग के जंगलचटटी, छानी कैंप, बेस कैंप, लिनचैली में सन्नाटा पसरा हुआ है.
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि मानसून को देखते हुए प्रशासन स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग गौरीकुंड-रुद्रप्रयाग में 15 से ज्यादा मशीनें तैनात की गई हैं, जबकि दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में दो माह का राशन भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया है, जिससे कोई बड़ी घटना होने पर जल्द बचाव किया जा सके.