रुद्रप्रयागः जिला मुख्यालय से सटे दरमोला गांव के उफराई देवी मंदिर में स्नान एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ नौ दिवसीय महायज्ञ एवं भागवत कथा का शुभारंभ हो गया है. इस दौरान भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो उठा. इसके बाद 11 ब्राह्मणों ने मंत्रों के साथ हवनकुंड में जौ तिल व घी से आहुतियां डालनी शुरू की. जो नौ दिनों तक चलती रहेंगी. मंदिर समिति ने अधिक से अधिक भक्तों से मंदिर में पहुंचकर पुण्य अर्जित करने की अपील की है.
भरदार पट्टी की मां उफराई देवी मंदिर में 12 सालों बाद क्षेत्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए अयुत्त महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. इससे पूर्व ग्रामीण शंकरनाथ, विनसर, क्षेत्रपाल, हीत, नागराजा समेत कई देव निशानों को ढोल नगाड़ों के साथ स्नान के लिए संगम तट पर पहुंचे. जहां पर स्नान के बाद देव निशान मंदिर प्रांगण पहुंचने पर भक्तों ने पुष्प व अक्षतों से जोरदार स्वागत किया. जहां देव निशानों ने नृत्य कर भक्तों को आशीर्वाद भी दिया.
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क्षेत्र के दरमोला, जवाडी, रौठिया, स्वीली, सेम, डुंग्री, तरवाड़ी, कोटली समेत आठ गांवों के लगभग एक हजार से अधिक भक्तों ने मंदिर परिसर में पहुंचकर पुण्य अर्जित किया. मंदिर में बना यज्ञ कुंड को भगवान शंकरनाथ एवं विनसर देवताओं की ओर से खोला गया. इसके बाद उफराई देवी मंदिर में 11 ब्राह्मणों ने पंचाग पूजा, गणेश पूजा, भद्र पूजा व्यास पूजा समेत कई नित्य पूजाएं संपन्न की.
ब्राह्मणों ने हवनकुंड में जोत जलाकर आहुतियां डालने की प्रक्रिया शुरू की. प्रतिदिन हवनकुंड में जौ, तिल व घी लगभग एक हजार आहुतियां डाली जाएंगी. नौ दिनों तक चलने वाले इस महायज्ञ में लगभग नौ हजार आहुतियां डाली जाएंगी. आगामी नौ अप्रैल को भव्य जल कलश एवं 10 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ महायज्ञ का समापन होगा.
वहीं, भागवत पुराण कथा में कथावाचक आचार्य गणेश प्रसाद जोशी ने कहा कि देवी भागवत कथा से श्रवण से मनुष्यों के जन्म जन्मातरों के पाप धुल जाते हैं. मां सबके हृदय में बुद्धि व चैतन्य के रूप में विराजमान है. मात्र उसे समझने की जरूरत है. यह क्षेत्र केदारखंड में आता है. जो भगवान शिव की नगरी है. यहां हमें दो-दो नदियां मिली है. जो पूरे क्षेत्र को पवित्र करते हुए आगे बढ़ रही है.
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उफराई देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रकाश कप्रवान एवं उपाध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार ने बताया क्षेत्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए उफराई देवी मंदिर दरमोला में 12 सालों बाद अयुत्त महायज्ञ व श्रीमद्भागवत कथा शुरू हो गई है. इससे पहले साल 2011 में यहां पर महायज्ञ का आयोजन हुआ था. अगामी नौ अप्रैल को जल कलश यात्रा एवं 10 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाएगा.