रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ की विग्रह उत्सव डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंची. वहीं, शुक्रवार को उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी और नौ नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधिवत मक्कूमठ में शुरू हो जाएगी.
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बता दें कि भूतनाथ मन्दिर चोपता में पंडित भरत प्रसाद मैठाणी सहित अन्य पुजारियों ने भगवान तुंगनाथ की डोली की पंचांग पूजन अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की. साथ ही उत्सव डोली को स्थानीय वाद्य यंत्रों की थाप व श्रद्धालुओं के जयकारों के साथ अगले पड़ाव के लिए रवाना किया गया.
जिसके बाद दोपहर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का डूण्डू गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने पौराणिक परम्परा के अनुसार अघ्रय लगाया. वहीं, भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के बनातोली पहुंचने पर करोखी, दैड़ा, सारी, उषाडा, बरंगाली सहित विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने भगवान तुंगनाथ को भोग अर्पित किया गया. फिर भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंची और शुक्रवार को डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी.