रुद्रप्रयागः केदारपुरी के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ के कपाट वेद ऋचाओं व मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए हैं. कपाट खुलने के पावन अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर भैरवनाथ से मनौतियां मांगी. भैरवनाथ को केदारपुरी का क्षेत्र रक्षक माना जाता है. भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना के साथ आरती शुरू किए जाने की परंपरा है. आज रात से बाबा केदारनाथ में पहली आरती भी शुरू हो जाएगी.
बता दें कि केदारनाथ धाम के कपाट (Kedarnath Dham Kapat) बंद होने से पूर्व भुकुंट भैरवनाथ के कपाट बंद किए जाने की परंपरा है. जब भगवान केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से केदारनाथ प्रस्थान करती है तो उससे एक दिन पहले रात्रि भर भुकुंट भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है, जिसके बाद भैरवनाथ केदारपुरी को चले जाते हैं और बाबा की डोली विभिन्न पड़ावों से होकर केदारनाथ धाम पहुंचती है. भैरवनाथ के कपाट मंगलवार व शनिवार को ही खोले और बंद किए जाते हैं. साथ ही केदारनाथ में भगवान भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही बाबा केदार की विधिवत पूजा-अर्चना और आरती शुरू होती है.
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शुक्रवार को बाबा केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने के बाद आज शनिवार को भुकुंट भैरवनाथ के कपाट (lord Bhairavnath kapat open) भी खोल दिए गए हैं. केदारनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने आज केदारनाथ मंदिर से एक किमी की दूरी पर स्थित दक्षिण दिशा में स्थित भैरवनाथ मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर कपाट खोले. कपाट खुलने के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु भी मौजूद रहे. विधि-विधान से कपाट खोलने के बाद भक्तों ने भैरवनाथ के दर्शन किए.
शीतकाल में केदारपुरी की रक्षा करते हैं भगवान भैरवनाथः बता दें कि भैरवनाथ को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. यहां मूर्तियां भैरव की हैं, जो बिना छत के स्थापित हैं. भगवान भैरवनाथ को क्षेत्र के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है. लोक कथाओं के अनुसार जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, तब भैरनाथ मंदिर की रखवाली करते हैं.
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