रुद्रप्रयाग: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है. स्थिति यह है कि मानकों के अनुसार जिला चिकित्सालय में 32 चिकित्सकों का होना अनिवार्य है. लेकिन वर्तमान में यहां मात्र 15 चिकित्सक ही सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में 17 चिकित्सकों के पद रिक्त होने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चिकिल्सालय मात्र रेफर सेंटर बना हुआ है. चिकित्सालय की स्थिति यह है कि यहां आने कोई तैयार नहीं है. चार चिकित्सकों की तैनाती यहां हो रखी है, लेकिन वे यहां आने को तैयार ही नहीं हैं.
वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की तैनाती कोविड-19 चिकित्सालय कोटेश्वर में भी की गई है. ऐसे में जिला चिकित्सालय पहुंच रहे मरीजों का समय पर उपचार नहीं हो पा रहा है. चिकित्सालय का अधिकांश स्टाॅफ भी कोरोना संक्रमित पाया गया है, जिस कारण स्वास्थ्य सेवाएं संचालित करने में भी दिक्कतें हो रही हैं.
पिछले लंबे समय से चिकित्सालय में चिकित्सकों का भी टोटा बना हुआ है. जिस कारण जिला चिकित्सालय रेफर सेंटर बना हुआ है. चिकित्सालय में सर्जन सहित महत्वूपर्ण चिकित्सकों के 17 पद खाली हैं. जबकि पैरामेडिकल में भी तीन पद खाली हैं. चिकित्सालय में मौजूद कई चिकित्सकों की ड्यूटी कोरोना चिकित्सालय कोटेश्वर में भी लगाई जा रही है.
ऐसे में चिकित्सकों को दो-दो जगह का अतिरिक्त भार संभालना पड़ रहा है. जिला चिकित्सालय पहुंच रहे मरीजों को समय पर चिकित्सकों के न मिलने से उन्हें प्राइवेट चिकित्सालयों का रूख करना पड़ रहा है.
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वहीं दूसरी तरफ दो महीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी जिला चिकित्सालय में नई अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं लग पाई है. अल्ट्रासाउंड मशीन न होने के कारण मरीजों को भारी परेशानियां हो रही हैं. खासकर गर्भवती महिलाओं को महंगे दामों पर बाहरी चिकित्सालयों का रूख करना पड़ रहा है. सीएमएस डाॅ दिनेश चन्द्र सेमवाल ने बताया कि चिकित्सालय में वर्तमान समय में 15 चिकित्सक तैनात हैं. चार चिकित्सकों की तैनाती जिला चिकित्सालय में होनी हैं, मगर वे आना नहीं चाह रहे हैं. इसके साथ ही अल्ट्रासाउंड मशीन लग चुकी है और एक सप्ताह के भीतर मशीन चालू हो जायेगी.