रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में वैष्णो देवी की तर्ज पर घोड़ा-खच्चरों का संचालन किया जाएगा. जिसके लिए घोड़े-खच्चरों पर स्कीन इंनसर्ट टैग लगाये जाएंगे. साथ ही यात्रा पड़ावों पर जीपीआरएस सिस्टम की मदद से यात्री एवं घोड़े-खच्चरों की जानकारी भी मिल सकेगी. इसके अलावा घोड़े-खच्चरों की लीद के निस्तारण के लिये केदारनाथ धाम से लेकर सोनप्रयाग तक कम्पोस्ट पिट बनाएंगे जाएंगे.
आगामी यात्रा सीजन में केदारनाथ धाम के लिये गौरीकुंड और सोनप्रयाग से संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों का संचालन वैष्णो देवी की तर्ज पर किया जायेगा. गौरीकुण्ड घोड़ा पड़ाव स्थित प्रीपेड काउंटर का संचालन करने वाली संस्था को प्रत्येक खच्चर पर टैक्स दिया जायेगा.
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इसके अलावा घोड़े-खच्चरों की लीद के निस्तारण के लिये केदारनाथ धाम से लेकर सोनप्रयाग तक कम्पोस्ट पिट बनाएंगे जाएंगे. साथ ही लीद निस्तारण के लिये अलग से श्रमिकों की तैनाती की जायेगी. यात्रा से पूर्व घोड़ा-खच्चर संचालकों को अलग से प्रशिक्षण दिया जायेगा. जिसमें उन्हें यात्रियों को कैसे सहायता दी जाए, इसे लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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इसके अलावा यात्रा मार्ग पर व्यवस्थाओं पर निगरानी के लिए 44 कर्मचारियों की तैनाती की जायेगी. इस बार यात्रा के दौरान घोड़े खच्चरों पर स्कीन इंनसर्ट टैग लगाई जाएगी. यह चिप विभिन्न यात्रा पड़ावों पर जीपीआरएस सिस्टम की मदद से यात्री एवं घोड़े खच्चरों की जानकारी देगी. जो संचालक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण 15 अप्रैल तक कर देंगे उनके बीमा की प्रीमियम फ्री कर दिया जाएगा.
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दरअसल, केदारनाथ यात्रा के लिये पांच से सात हजार घोड़े-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन होता है. अत्यधिक घोड़े-खच्चर होने से सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड और केदारनाथ घोड़ा पड़ाव में लीद के कारण अत्यधिक गंदगी फैल जाती है, जिससे यात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लीद निस्तारण के लिये इस बार प्रशासन पशुपालन विभाग के सहयोग से अलग से श्रमिकों की तैनाती करेगा. इन श्रमिकों का काम सिर्फ लीद को एकत्रित कर कम्पोस्ट पिट तक ले जाने का होगा.
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जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि यात्रा सीजन में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों की लीद के निस्तारण के लिये श्रमिकों की मांग की गई है. लगभग 150 श्रमिक सिर्फ लीद निस्तारण का कार्य करेंगे. डीडीआरएफ के 44 जवान यात्रियों की सुविधा के लिये हर समय तैनात रहेंगे.