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केदारनाथ में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बवाल, ब्लास्टिंग से थर्राया पूरा धाम - पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बवाल

केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत चल रहे द्वितीय चरण के निर्माण कार्यों का तीर्थ पुरोहितों ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि इससे वर्ष 2013 की प्रलयकारी आपदा की याद ताजा हो रही है.

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Published : Aug 16, 2021, 12:14 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 10:47 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत चल रहे द्वितीय चरण के निर्माण कार्य हो रहे हैं. निर्माण कार्यों के दौरान धाम में ब्लास्टिंग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ तीर्थ-पुरोहित नाराज हैं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि निर्माण कार्य में ब्लास्टिंग का प्रयोग किया जा रहा है, साथ ही जो कार्य आपदा के बाद किए गए थे उन निर्माण कार्यों को भी तोड़ा जा रहा है, जो सरासर गलत है.

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जिस प्रकार से घाट को तोड़ने का काम जारी है और इस संवेदनशील क्षेत्र में ब्लास्टिंग के जरिए घाट को तोड़ा जा रहा है.वह आने वाले समय में केदारनाथ धाम के लिए खतरे का सबब बन सकता है. केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. धाम में मजदूर, कर्मचारी एवं तीर्थ पुरोहितों के अलावा कोई अन्य मौजूद नहीं है. सरकार की ओर से यात्रा पर रोक लगाई है, जिसका फायदा निर्माण एजेंसियां उठा रही हैं. निर्माण एजेंसी कार्य में ब्लास्टिंग का प्रयोग कर रही है. जिससे तीर्थ पुरोहितों को वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की याद आने लगी हैं. ऐसे में निर्माण कार्यों में विस्फोटों का प्रयोग होने से तीर्थ पुरोहितों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है.

तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध.

केदारसभा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित विनोद शुक्ला ने कहा कि केदारघाटी में आपदा के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंदाकिनी नदी के किनारे 28 करोड़ की लागत से एक घाट का निर्माण करवाया था, जिसमें चेंजिंग रूम सहित अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी. लेकिन अब उस घाट को पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारियों द्वारा तोड़ दिया गया है.

पढ़ें: देहरादून में बीजेपी की 'जन आशीर्वाद यात्रा', घर से निकलने से पहले जानिए ट्रैफिक रूट

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जिस प्रकार से घाट को तोड़ने का काम जारी है और इस संवेदनशील क्षेत्र में ब्लास्टिंग के जरिए घाट को तोड़ा जा रहा है. वह आने वाले समय में केदारनाथ धाम के लिए खतरे का सबक बन सकता है. तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ आपदा की याद आने लगी है. उन्होंने कहा कि धाम में पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है, जो चीज पहले ही बन चुकी है, उसको तोड़कर नये सिरे से बनाया जाना, सरासर समय और धन दोनों का दुरूपयोग है.

श्रीनगर में भी प्रदर्शन: केदारनाथ पुनर्निर्माण और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य बड़ी ही तेजी के साथ किया जा रहा है. जिसकी वजह से पहाड़ के लोग डरे सहमे रहे. श्रीनगर में लोगों ने लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ प्रदर्शन किया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान ब्लास्टिंग के चलते पहाड़ कमजोर हो रहे है, जिससे दैवीय आपदाओं के प्रकोप बढ़ गया है. ग्लेशियर पहले से ही पिघल रहे है और अब बड़ी मात्रा में ब्लास्टिंग के कारण लोगो के मकान ही हिलने लगे हैं. स्थानीय लोगो ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर पहाड़ों में विस्फोटकों का इस्तेमाल नही रुका तो जनता बड़े आंदोलन को मजबूर होगी.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत चल रहे द्वितीय चरण के निर्माण कार्य हो रहे हैं. निर्माण कार्यों के दौरान धाम में ब्लास्टिंग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ तीर्थ-पुरोहित नाराज हैं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि निर्माण कार्य में ब्लास्टिंग का प्रयोग किया जा रहा है, साथ ही जो कार्य आपदा के बाद किए गए थे उन निर्माण कार्यों को भी तोड़ा जा रहा है, जो सरासर गलत है.

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जिस प्रकार से घाट को तोड़ने का काम जारी है और इस संवेदनशील क्षेत्र में ब्लास्टिंग के जरिए घाट को तोड़ा जा रहा है.वह आने वाले समय में केदारनाथ धाम के लिए खतरे का सबब बन सकता है. केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. धाम में मजदूर, कर्मचारी एवं तीर्थ पुरोहितों के अलावा कोई अन्य मौजूद नहीं है. सरकार की ओर से यात्रा पर रोक लगाई है, जिसका फायदा निर्माण एजेंसियां उठा रही हैं. निर्माण एजेंसी कार्य में ब्लास्टिंग का प्रयोग कर रही है. जिससे तीर्थ पुरोहितों को वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की याद आने लगी हैं. ऐसे में निर्माण कार्यों में विस्फोटों का प्रयोग होने से तीर्थ पुरोहितों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है.

तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध.

केदारसभा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित विनोद शुक्ला ने कहा कि केदारघाटी में आपदा के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंदाकिनी नदी के किनारे 28 करोड़ की लागत से एक घाट का निर्माण करवाया था, जिसमें चेंजिंग रूम सहित अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी. लेकिन अब उस घाट को पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारियों द्वारा तोड़ दिया गया है.

पढ़ें: देहरादून में बीजेपी की 'जन आशीर्वाद यात्रा', घर से निकलने से पहले जानिए ट्रैफिक रूट

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जिस प्रकार से घाट को तोड़ने का काम जारी है और इस संवेदनशील क्षेत्र में ब्लास्टिंग के जरिए घाट को तोड़ा जा रहा है. वह आने वाले समय में केदारनाथ धाम के लिए खतरे का सबक बन सकता है. तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ आपदा की याद आने लगी है. उन्होंने कहा कि धाम में पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है, जो चीज पहले ही बन चुकी है, उसको तोड़कर नये सिरे से बनाया जाना, सरासर समय और धन दोनों का दुरूपयोग है.

श्रीनगर में भी प्रदर्शन: केदारनाथ पुनर्निर्माण और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य बड़ी ही तेजी के साथ किया जा रहा है. जिसकी वजह से पहाड़ के लोग डरे सहमे रहे. श्रीनगर में लोगों ने लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ प्रदर्शन किया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान ब्लास्टिंग के चलते पहाड़ कमजोर हो रहे है, जिससे दैवीय आपदाओं के प्रकोप बढ़ गया है. ग्लेशियर पहले से ही पिघल रहे है और अब बड़ी मात्रा में ब्लास्टिंग के कारण लोगो के मकान ही हिलने लगे हैं. स्थानीय लोगो ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर पहाड़ों में विस्फोटकों का इस्तेमाल नही रुका तो जनता बड़े आंदोलन को मजबूर होगी.

Last Updated : Aug 16, 2021, 10:47 PM IST
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