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15 घंटे बाद खुला केदारनाथ हाईवे, अलकनंदा नदी के ऊपर बना पुल गिन रहा अंतिम सांसें

उत्तराखंड सरकार बड़े-बड़े हादसों से भी सबक नहीं ले रही है. रुद्रप्रयाग शहर के बीच में अलकनंदा नदी के ऊपर केदारनाथ हाईवे पर बना मोटरपुल अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. लेकिन सरकार उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. वहीं, फाटा में शुक्रवार देर रात को भूस्खलन के बाद बंद हुआ केदारनाथ हाईवे करीब 15 घंटे बाद खुला है.

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15 घंटे बाद खुला केदारनाथ हाईवे
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Published : Jul 23, 2022, 7:15 PM IST

रुद्रप्रयाग: बारिश के बीच केदारनाथ हाईवे पर भूस्खलन का दौर जारी है. हाईवे पर जगह-जगह भूस्खलन होने से केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ ही केदारघाटी की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. शुक्रवार रात हुई मूसलाधार बारिश के कारण केदारनाथ हाईवे 15 घंटों तक फाटा के निकट बंद रहा. यहां पर हाईवे बंद रहने से राजमार्ग के दोनों ओर हजारों तीर्थयात्री फंसे रहे. राजमार्ग के खुलने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली.

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है. बारिश की वजह से पहाड़ का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. सबसे ज्यादा दिक्कतें चारधाम में जाने वाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है. क्योंकि बारिश के वजह से पहाड़ों से लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं, जिस कारण हाईवे बंद हो जा रहा है और यात्री घंटों-घंटों बीच रास्ते में फंसे रहते हैं.

Kedarnath
अलकनंदा नदी के ऊपर बना पुल जर्जर हालत में
पढ़ें-
मानसून में असंतुलित बारिश ने बढ़ाई चिंता, कहीं झड़ी तो अधिकतर जिलों में उम्मीद से कम बरसे बदरा

चारधाम यात्रा तीर्थयात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों को भी हाईवे बंद होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हाईवे बंद होने के कारण रोजमर्रा की वस्तुएं समय से नहीं पहुंच पा रहा है. शुक्रवार रात भारी बारिश के चलते केदारनाथ हाईवे पर फाटा के निकट पहाड़ी से मलबा आ गया. सुबह चार बजे हाईवे को खोलने का कार्य शुरू किया गया, लेकिन मलबा इतना अधिक था कि एनएच विभाग की पसीने छूट गये.

किसी तरह पहले दुपहिया वाहनों के लिए राजमार्ग को खोला गया, इसके बाद शाम को 6.30 बजे तक मलबा साफ करने के बाद राजमार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही हो पाई. हाईवे के बंद होने से दोनों ओर सुबह से ही हजारों यात्री और वाहन फंसे रहे। राजमार्ग खुलने के बाद तीर्थयात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली.

अलकनंदा नदी के ऊपर बना पुल जर्जर हालत में: रुद्रप्रयाग शहर के बीच में अलकनंदा नदी के ऊपर केदारनाथ हाईवे पर बना मोटरपुल अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. वर्ष 1964 में बना यह पुल जर्जर हो चुका है. अगर इस पुल पर एक से अधिक वाहन गुजरते हैं तो यह कांपने लगता है. वर्ष 2013 की आपदा में भी पुल की बुनियाद हिल चुकी है और इस बरसाती सीजन में पुल की और अधिक दयनीय स्थिति हो चुकी है.
पढ़ें- रुद्रप्रयाग में पुल की शटरिंग गिरने के मामले में जेई और एई निलंबित, 3 श्रमिकों की हुई थी मौत

केदारघाटी एवं अन्य हिस्सों के दर्जनों गांवों को जोड़ने के लिये अलकनंदा नदी पर रुद्रप्रयाग शहर के बीच में लगभग चालीस मीटर लंबा मोटरपुल स्थित है. सालों से ट्रीटमेंट न होने के कारण आज पुल जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. इस पुल पर एक से अधिक वाहन चलते हैं तो यह कांपने लगता है. साथ ही बारिश होने पर पुल में पानी जमा हो जाता है. एक दिन में इस मोटरपुल से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन वर्षों से पुल ट्रीटमेंट की राह देख रहा है.

16-17 जून 2013 की आपदा में भी पुल को काफी क्षति पहुंची थी. उस दौरान पुल की बुनियाद हिल गई थी और पुल की कुछ मरम्मत की गई थी, लेकिन एक बार फिर स्थिति बदहाल हो गई है. इन दिनों लगातार बरसात हो रही है. बारिश का पानी भी पुल पर जमा हो रहा है, जबकि अलकनंदा नदी का जल स्तर भी बढ़ता जा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की मरम्मत आवश्यक है या फिर इसके स्थान पर नया पुल बनाया जाना आवश्यक है. वर्षों पुराना पुल जर्जर है और कभी भी कोई घटना घट सकती है. वहीं मामले में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि पुल की उम्र काफी हो गई है और पुल की स्थिति जर्जर भी हो गई है. एनएच विभाग को तत्काल पुल का ट्रीटमेंट करने के लिये कहा गया है और इसके स्थान पर जो दूसरा पुल बनना प्रस्तावित है, उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है.

रुद्रप्रयाग: बारिश के बीच केदारनाथ हाईवे पर भूस्खलन का दौर जारी है. हाईवे पर जगह-जगह भूस्खलन होने से केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ ही केदारघाटी की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. शुक्रवार रात हुई मूसलाधार बारिश के कारण केदारनाथ हाईवे 15 घंटों तक फाटा के निकट बंद रहा. यहां पर हाईवे बंद रहने से राजमार्ग के दोनों ओर हजारों तीर्थयात्री फंसे रहे. राजमार्ग के खुलने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली.

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है. बारिश की वजह से पहाड़ का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. सबसे ज्यादा दिक्कतें चारधाम में जाने वाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है. क्योंकि बारिश के वजह से पहाड़ों से लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं, जिस कारण हाईवे बंद हो जा रहा है और यात्री घंटों-घंटों बीच रास्ते में फंसे रहते हैं.

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चारधाम यात्रा तीर्थयात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों को भी हाईवे बंद होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हाईवे बंद होने के कारण रोजमर्रा की वस्तुएं समय से नहीं पहुंच पा रहा है. शुक्रवार रात भारी बारिश के चलते केदारनाथ हाईवे पर फाटा के निकट पहाड़ी से मलबा आ गया. सुबह चार बजे हाईवे को खोलने का कार्य शुरू किया गया, लेकिन मलबा इतना अधिक था कि एनएच विभाग की पसीने छूट गये.

किसी तरह पहले दुपहिया वाहनों के लिए राजमार्ग को खोला गया, इसके बाद शाम को 6.30 बजे तक मलबा साफ करने के बाद राजमार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही हो पाई. हाईवे के बंद होने से दोनों ओर सुबह से ही हजारों यात्री और वाहन फंसे रहे। राजमार्ग खुलने के बाद तीर्थयात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली.

अलकनंदा नदी के ऊपर बना पुल जर्जर हालत में: रुद्रप्रयाग शहर के बीच में अलकनंदा नदी के ऊपर केदारनाथ हाईवे पर बना मोटरपुल अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. वर्ष 1964 में बना यह पुल जर्जर हो चुका है. अगर इस पुल पर एक से अधिक वाहन गुजरते हैं तो यह कांपने लगता है. वर्ष 2013 की आपदा में भी पुल की बुनियाद हिल चुकी है और इस बरसाती सीजन में पुल की और अधिक दयनीय स्थिति हो चुकी है.
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केदारघाटी एवं अन्य हिस्सों के दर्जनों गांवों को जोड़ने के लिये अलकनंदा नदी पर रुद्रप्रयाग शहर के बीच में लगभग चालीस मीटर लंबा मोटरपुल स्थित है. सालों से ट्रीटमेंट न होने के कारण आज पुल जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. इस पुल पर एक से अधिक वाहन चलते हैं तो यह कांपने लगता है. साथ ही बारिश होने पर पुल में पानी जमा हो जाता है. एक दिन में इस मोटरपुल से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन वर्षों से पुल ट्रीटमेंट की राह देख रहा है.

16-17 जून 2013 की आपदा में भी पुल को काफी क्षति पहुंची थी. उस दौरान पुल की बुनियाद हिल गई थी और पुल की कुछ मरम्मत की गई थी, लेकिन एक बार फिर स्थिति बदहाल हो गई है. इन दिनों लगातार बरसात हो रही है. बारिश का पानी भी पुल पर जमा हो रहा है, जबकि अलकनंदा नदी का जल स्तर भी बढ़ता जा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की मरम्मत आवश्यक है या फिर इसके स्थान पर नया पुल बनाया जाना आवश्यक है. वर्षों पुराना पुल जर्जर है और कभी भी कोई घटना घट सकती है. वहीं मामले में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि पुल की उम्र काफी हो गई है और पुल की स्थिति जर्जर भी हो गई है. एनएच विभाग को तत्काल पुल का ट्रीटमेंट करने के लिये कहा गया है और इसके स्थान पर जो दूसरा पुल बनना प्रस्तावित है, उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है.

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